भीमा शुभ्रा प्याज-विदर्भ के किसानों के लिए आशा की नई किरण
महाराष्ट्र के अकोला जिले में पातुर एक छोटा सा गांव है। यह गांव बारानी विदर्भ क्षेत्र के अंतर्गत है। पातुर के एक किसान श्री नामदेव राव अधाऊ अपनी 1.25 एकड़ जमीन पर प्याज की पारम्परिक किस्में उगाते थे, किन्तु उत्पादन हमेशा उम्मीद से कम होता था।
डीओजीआर के अनुसंधान ने परिदृश्य बदला
महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में लाल प्याज की तुलना में सफेद प्याज ज्यादा पसंद किया जाता है। प्याज और लहसुन अनुसंधान निदेशालय (डीओजीआर) ने प्याज की उच्च उत्पादक किस्म ‘भीमा शुभ्रा’ विकसित की है। बिधान चन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, कल्याणी में 18-19 अप्रैल 2013 को आयोजित अखिल भारतीय प्याज और लहसुन नेटवर्क अनुसंधान प्रायोजना में खरीफ और पछेती खरीफ में बोने के लिए इस किस्म की संस्तुति की गयी। खरीफ में रोपाई के 110-115 दिन और पछेती खरीफ में रोपाई के 120-130 दिन में यह किस्म फसल देने के लिए तैयार हो जाती है।
श्री नामदेव राव अधाऊ ने डीओजीआर से ‘भीमा शुभ्रा’ का पांच किलोग्राम बीज खरीदा और डीओजीआर की संस्तुत प्रौद्योगिकी के अनुसार उठी हुई क्यारियों पर 1.25 एकड़ क्षेत्र में प्याज की फसल बोयी। उन्होंने 21 टन/एकड़ की अच्छी क्वालिटी के एक समान आकार के प्याज की रिकॉर्ड उपज प्राप्त की।
उपज बढ़ने से लाभ बढ़ा
श्री अधाऊ ने ‘भीमा शुभ्रा’ का कुल उत्पादन बेचकर 2.5 लाख रुपये का शुद्ध लाभ कमाया। इस किस्म के प्रदर्शन से प्रभावित होकर उन्होंने आस-पास के किसानों के साथ मिलकर इस प्रौद्योगिकी के प्रचार का निश्चय किया। श्री अधाऊ ने इस क्षेत्र के 12 गांवों के लगभग 300 किसानों का एक समूह बनाया। अब यह समूह इन गांवों के 750 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र पर ‘भीमा शुभ्रा’ के उत्पादन को बढ़ावा दे रहे हैं। इस समूह के ज्यादातर सदस्य अब 1.0 लाख/एकड़ से ज्यादा शुद्ध लाभ कमा रहे हैं।
माननीय राष्ट्रपति ने प्रशंसा की
श्री अधाऊ ने ‘भीमा शुभ्रा’ के प्याज का विभिन्न प्रदर्शनियों में प्रदर्शन किया, जैसे 9 से 13 फरवरी 2014 को केन्द्रीय कपास अनुसंधान संस्थान, नागपुर में आयोजित राष्ट्रीय कृषि प्रदर्शनी ‘कृषि वसंत’ में। श्री प्रणब मुखर्जी, भारत के माननीय राष्ट्रपति ने श्री अधाऊ द्वारा प्रदर्शित ‘भीमा शुभ्रा’ प्याज की गुणवत्ता की सराहना की। श्री मुखर्जी ने ‘भीमा शुभ्रा’ को ‘प्याज का बादशाह’ कहा।
श्री अधाऊ को प्याज उत्पादन में व्यावहारिक उपलब्धियों के लिए ‘स्वर्गीय वसंतराव नाइक कृषि गौरव पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। उन्होंने अपनी सफलता का पूरा श्रेय डीओजीआर के वैज्ञानिकों को दिया।
स्त्रोत : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद,डीओजीआर,राजगुरुनगर