झींगा के किसान, जोसेफ कोरा, अपने परिवारजन के साथ
केरल में स्थित कुट्टनाड, एक मानव-निर्मित शुष्क भूमि पारिस्थितिकी तंत्र, जिसमें पर्याप्त मात्रा में पानी एवं उपजाऊ ज़मीन है। यह क्षेत्र धान की पैदावार के लिए आदर्श माना जाता है। लेकिन, अब परिदृश्य बदल चुका है। ऊंची लागत, श्रमिकों की कमी एवं उत्पादों की उचित पारिश्रमिक न मिलना बड़ी चुनौतियां हैं जिनसे क्षेत्र के धान किसानों को जूझना पड़ता है।
जब किसान अधीरता से कम लागत वाले विकल्प की तलाश कर रहे थे, उसी समय जैविक धान की खेती करने वाले किसान श्री जोसेप कोरा ने अपने चार हेक्टेयर क्षेत्र में झींगा की खेती कर उससे लाभ कमाने वाले अग्रणी किसान बन कर उभरे।
बेहतरी के लिए बदलाव
द मेरीन प्रॉडक्ट्स एक्स्पोर्ट डेवलपमेंटल ऑथोरिटी (MPEDA) एवं अन्य विकासोन्मुख एजेंसियों ने उन्हें डिब्बाबन्द मसालेदार झींगे के साथ जैविक जल जीवों की पैदावार का सुझाव दिया एवं उन्होंने इसके लिए प्रयास करने का निश्चय किया। उनके चार हेक्टेयर क्षेत्र में लगभग 11 लाख डिब्बाबन्द मसालेदार झींगे के बीज बढ़ाए गए। बीजों की व्यवस्था करने, पोषण, सलाह एवं व्यक्तिगत दौरों के रूप मे अधिकारियों ने मदद की। लगभग 7 महीने बाद अपने 04 हेक्टेयर क्षेत्र से करीब 1,800 किलोग्राम डिब्बाबन्द मसालेदार झींगे पैदा किये, जिनमें प्रत्येक का वज़न लगभग 30 ग्राम था।
अधिक जानकारी के लिए सम्पर्क करें-
श्री जोसेफ कोरा,
करिवेलिथरा, रमनकारी, पीओ- 689-595,
कुट्टनाड, एल्लेप्पी, फोन: 0477-2707375, मोबाइल: 9495240886
श्री आर. हली,
फोन: 04070-2622453, मोबाइल:9947460075.
स्रोत: द हिन्दू, दिनांक 8 जनवरी, 2009