भण्डागारण निधि का उपयोग निम्नलिखित के लिए किया जाएगा –
(क) राज्य सरकारों को ऐसी शर्तों पर ऋण देना जो केन्द्रीय भंडारण निगम उपयुक्त समझे ताकि राज्य सरकारें राज्य भंडारण निगमों की अंश पूंजी में अंशदान कर सकें;
(ख) राज्य भंडारण निगमों या राज्य सरकारों को ऐसी शर्तों और निबंधनों पर ऋण और राजसहायता देना जो केन्द्रीय भंडारण निगम, अन्यथा सहकारी समितियों के माध्यम से, कृषि उपज और अधिसूचित वस्तुओं के भण्डागारण और भंडारण को बढ़ावा देने के प्रयोजन के लिए उपयुक्त समझे;
(ग) कृषि उपज और अधिसूचित वस्तुओं के भण्डागारण और भंडारण को बढ़ावा देने के प्रयोजन के लिए कार्मिकों को प्रशिक्षण, या प्रचार और प्रसार के संबंध में किए जाने वाले व्यय को पूरा करने के लिए;
(घ) भण्डागारण निधि के प्रशासन के संबंध में होने वाले व्यय, जिसमें अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों का वेतन, भत्ते और अन्य पारिश्रमिक शामिल हैं, को पूरा करने के लिए।
सामान्य निधि
(1) निम्नलिखित में सामान्य निधि जमा की जाएगी –
(क)धारा 16 की उप-धारा (1) में उल्लिखित धनराशियों को छोड़कर केन्द्रीय भंडारण निगम को प्राप्त समस्त धनराशि; और
(ख)ऐसे अनुदान और ऋण जो केन्द्रीय सरकार द्वारा सामान्य निधि के प्रयोजन के लिए दिए जाएंगे।
(2) सामान्य निधि का उपयोग निम्नलिखित के लिए किया जाएगा:-
(क) केन्द्रीय भंडारण निगम के अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों के वेतन, भत्तों और अन्य पारिश्रमिक पर होने वाले व्यय को पूरा करने के लिए;
(ख) निगम के अन्य प्रशासनिक खर्चों को पूरा करने के लिए; और
(ग) इस अधिनियम के प्रयोजन को पूरा करने के लिए;
परंतु यह कि सामान्य निधि का उपयोग धारा 16 की उप-धारा (2) के खंड (ग) या खंड (घ) में उल्लिखित खर्चों को पूरा करने के लिए नहीं किया जाएगा।
राज्य भंडारण निगम
(1) राज्य सरकार सरकारी राजपत्र में अधिसूचना द्वारा और केन्द्रीय भंडारण निगम के अनुमोदन से ऐसे नाम से, जैसाकि अधिसूचना में निर्दिष्ट हो, राज्य के लिए भंडारण निगम स्थापित कर सकती है।
(2) उप-धारा (1) के अधीन स्थापित राज्य भंडारण निगम उस उप-धारा के अधीन अधिसूचित नाम से एक निगमित निकाय होगा, जिसमें स्थायी उत्तराधिकार होगा और सम्पत्ति का अधिग्रहण, उसे रखने और बेचने की शक्ति के साथ एक सील होगी और उक्त नाम से मुकदमा चलाया जा सकता है या उस पर मुकदमा हो सकता है।
(3) राज्य भंडारण निगम का मुख्यालय राज्य के अंदर ऐसे स्थान पर होगा, जैसाकि सरकारी राजपत्र में अधिसूचित किया जाएगा।
(4) उप-धारा (1), (2) और (3) में निहित किसी बात के होते हुए भी, राज्य सरकार के लिए उप-धारा (1) के अधीन निगम स्थापित करना आवश्यक नहीं होगा जहां धारा 43 की उप-धारा (2) के खंड (छ) के अधीन, इस अधिनियम के अंतर्गत एक निगम स्थापित हुआ माना जाता है।
अंश पूंजी और अंशधारी
(1) राज्य भंडारण निगम की अधिकृत अंश पूंजी दो करोड़ रुपये से अधिक नहीं होगी, जैसाकि निर्धारित की जाए, और यह प्रत्येक एक सौ रुपये के अंकित मूल्य के शेयरों में विभक्त होगी, जिसकी ऐसी संख्या, जो निगम द्वारा राज्य सरकार के परामर्श से निर्धारित की जाए, पहले जारी की जाएगी और शेष शेयर जब निगम, उपयुक्त समझे, केन्द्रीय भंडारण निगम के परामर्श से और राज्य सरकार की स्वीकृति से समय-समय पर जारी किए जा सकते हैं।
परंतु किसी राज्य भंडारण निगम के संबंध में केन्द्रीय सरकार संबंधित राज्य सरकार के साथ परामर्श करने के पश्चात्, समय-समय पर और सरकारी राजपत्र में अधिसूचित आदेश द्वारा उक्त अधिकृत पूंजी की अधिकतम सीमा में उस सीमा तक और ऐसी विधि से वृद्धि कर सकती है जो केन्द्रीय सरकार निर्धारित करे।
(2) प्रथमत: जारी किए गए शेयरों में से और ऐसी पूंजी के बाद के किसी निर्गम में से, केन्द्रीय सरकार, किसी भी स्थिति में जहां राज्य सरकार ने ऐसी पूंजी का पचास प्रतिशत पूर्वक्रीत किया है, पूंजी का शेष पचास प्रतिशत पूर्वक्रीत करेगी।
राज्य भंडारण निगम का प्रबंधन
(1) राज्य भंडारण निगम के कार्यों का सामान्य पर्यवेक्षण और प्रबंधन एक निदेशक मंडल में निहित होगा जिसमें निम्नलिखित शामिल होंगे, अर्थात्
(क) केन्द्रीय भंडारण निगम द्वारा पांच निदेशक नामित किए जाएंगे जिनमें से एक निदेशक स्टेट बैंक के परामर्श से नामित किया जाएगा और कम से कम एक निदेशक गैर-सरकारी होगा;
(ख) पांच निदेशक राज्य सरकार द्वारा नामित किए जाएंगे; और
(ग) प्रबंध निदेशक, जिसकी नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा खंड (क) और (ख) में उल्लिखित निदेशकों के परामर्श से की जाएगी और उसकी सूचना केन्द्रीय भंडारण निगम को दी जाएगी।
(2) निदेशक मंडल का अध्यक्ष राज्य सरकार द्वारा राज्य भंडारण निगम के निदेशकों में से नियुक्त किया जाएगा और उसकी सूचना केन्द्रीय भंडारण निगम को दी जाएगी।
(3) प्रबंध निदेशक
(क) ऐसी शक्तियों का प्रयोग करेगा और ऐसे कर्तव्यों का निर्वाह करेगा जो निदेशक मंडल या केन्द्रीय भंडारण निगम उसे सौंपेगा या प्रत्यायोजित करेगा; और
(ख) ऐसा वेतन और भत्ते प्राप्त करेगा जो राज्य भंडारण निगम केन्द्रीय भंडारण निगम के परामर्श से और राज्य सरकार के पूर्व के अनुमोदन से निर्धारित किए जाएंगे।
(4) निदेशक मंडल जन हित को ध्यान में रखते हुए व्यवसाय के सिद्धांतों पर कार्य करेगा और केन्द्रीय सरकार द्वारा उन्हें दिए गए नीतिगत प्रश्नों पर अनुदेशों द्वारा उनका मार्गदर्शन किया जाएगा।
(5) यदि यह संदेह उत्पन्न होता है कि कोई प्रश्न नीतिगत है या नहीं, या, यदि राज्य सरकार और केन्द्रीय भंडारण निगम परस्पर विरोधी अनुदेश देते हैं तो यह मामला केन्द्रीय सरकार के पास भेजा जाएगा जिसका उस पर दिया गया निर्णय अंतिम होगा।
(6)प्रबंध निदेशक के सिवाय राज्य भंडारण निगम के निदेशक पारिश्रमिक के रूप में ऐसी धनराशि प्राप्त करने के पात्र होंगे, जो निर्धारित किए जाएंगे:
परंतु कोई भी सरकारी निदेशक उसकी सेवा शर्तों को विनियमित करने वाले नियमों के अधीन उसे अनुमेय भत्तों, यदि कोई हों, को छोड़कर कोई पारिश्रमिक प्राप्त करने का पात्र नहीं होगा।
(7)निदेशकों का कार्यकाल और उनमें से आकस्मिक रिक्तियों को भरने की विधि वह होगी, जो निर्धारित की जाएगी।
राज्य भंडारण निगम के निदेशक के पद के लिए अयोग्यता
राज्य भंडारण निगम का निदेशक चुनने और बनने के लिए कोई व्यक्ति अयोग्य होगा।
(i) यदि वह पागल पाया जाता है या विक्षिप्त हो जाता है; या
(ii) वह किसी भी समय दिवालिया करार किया गया है या उसने अपने ऋणों का भुगतान रोक दिया है या अपने ऋणदाताओं के साथ समझौता कर लिया है; या
(iii) यदि वह/उसने कोई अपराध करता है/किया है जिसमें भ्रष्टाचार लिप्त है और उसे इस अपराध के लिए छ: महीने की कैद की सजा मिली है, तो वह तब तक अयोग्य होगा जब तक सजा के समाप्त होने की तारीख से पांच वर्ष की अवधि व्यपगत न हो गई हो; या
(iv) यदि उसे सरकार या सरकार के अपने या सरकार द्वारा नियंत्रित निगम की सेवा से हटा दिया गया है या बरखास्त कर दिया गया है; या
(v) प्रबंध निदेशक के मामले को छोड़कर, यदि वह राज्य भंडारण निगम का एक वेतनभोगी कर्मचारी है; या
(vi) उस स्थिति को छोड़कर जब कम्पनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) में यथापरिभाषित किसी सरकारी कम्पनी में एक अंशधारी (निदेशक को छोड़कर) है उसकी व्यक्तिगत रूप से राज्य भंडारण निगम के साथ की गई किसी अस्तित्वयुक्त संविदा या केन्द्रीय भंडारण निगम के लिए किए जा रहे किसी कार्य में रुचि है:
(vi)परंतु यह कि जहां ऐसा कोई व्यक्ति अंशधारी है, तब वह ऐसी कम्पनी में उसके द्वारा रखे गए शेयरों की किस्म और मात्रा के संबंध में भंडारण निगम को सूचित करेगा।
निदेशकों को पद से हटाना
(1) राज्य सरकार केन्द्रीय भंडारण निगम को सूचित करते हुए, किसी भी समय, प्रबंध निदेशक को प्रस्तावित बरखास्तगी के प्रति सफाई देने का उचित अवसर देने के बाद उसे बरखास्त कर सकती है।
(2) निदेशक मंडल किसी निदेशक को पद से हटा सकता है-
(क) जो धारा 21 में उल्लिखित किन्हीं अयोग्यताओं के अनुसार अयोग्य है या
(ख )अयोग्य बन गया है; या
(ग) यदि निदेशक मंडल की राय में उसकी अनुपस्थिति का कारण पर्याप्त नहीं है और वह मंडल की अनुमति के बिना अनुपस्थित रहता है या मंडल की लगातार तीन बैठकों में अनुपस्थित रहता है।
अधिकारियों आदि की नियुक्ति और उनकी सेवा की शर्तें
(1) राज्य भंडारण निगम अपने कार्यों को कुशलतापूर्वक करने के लिए ऐसे अधिकारियों और अन्य कर्मचारियों, जो वह आवश्यक समझे, की नियुक्ति कर सकता है।
(2) राज्य भंडारण निगम द्वारा इस अधिनियम के अधीन नियुक्त किया गया प्रत्येक व्यक्ति इस अधिनियम के अधीन सेवा शर्तों के अध्यधीन होगा और वह ऐसे पारिश्रमिक के लिए पात्र हो जो निगम द्वारा इस अधिनियम के अधीन निर्धारित किया जाएगा।
राज्य भंडारण निगम के कार्य
इस अधिनियम के उपबंधों के अध्यधीन, राज्य भंडारण निगम –
(क) राज्य के अंदर गोदामों और भांडागारों का अधिग्रहण और निर्माण करना जैसाकि केन्द्रीय भंडारण निगम के साथ परामर्श करने के पश्चात् निश्चय किया जाए;
(ख) कृषि उपज, बीजों, खाद, उर्वरकों, कृषि औजारों और अधिसूचित वस्तुओं का भंडारण करने के लिए भांडागारों का प्रचालन कर सकता है;
(ग) भांडागारों से और भांडागारों तक कृषि उपज, बीजों, खाद, उर्वरकों, कृषि औजारों और अधिसूचित वस्तुओं की ढुलाई के लिए सुविधाओं की व्यवस्था कर सकता है।
(घ) कृषि उपज, बीजों, खाद, उर्वरकों, कृषि औजारों और अधिसूचित वस्तुओं की खरीद, बिक्री, भंडारण और वितरण के प्रयोजन के लिए केन्द्रीय भंडारण निगम के या सरकार के एजेंट के रूप में कार्य करना;
राज्य सरकार के पूर्व अनुमोदन से केन्द्रीय भंडारण निगम के साथ संयुक्त उद्यम का करार कर सकता है; और
(ड.) यथानिर्धारित ऐसे अन्य कार्य कर सकता है।
कार्यकारी समिति
(1) राज्य भंडारण निगम की एक कार्यकारी समिति होगी, जिसमें निम्नलिखित शामिल होंगे।
(क) निदेशक मंडल का अध्यक्ष;
(ख) प्रबंध निदेशक; और
(ग) निर्धारित विधि से चुने गए तीन अन्य निदेशक, जिनमें से एक धारा 20 की उप-धारा (1) के खंड (क) में निर्दिष्ट एक निदेशक होगा।
(2) निदेशक मंडल का अध्यक्ष कार्यकारी समिति का अध्यक्ष होगा।
(3) निदेशक मंडल, किन्हीं सामान्य या विशेष निर्देशों के अध्यधीन, समय-समय पर, कार्यकारी समिति को राज्य भंडारण निगम को राज्य की सक्षमता के अंदर किसी भी मामले में कार्रवाई करने के लिए सक्षम बना सकता है।
वित्त, लेखे और लेखापरीक्षा
(1) प्रत्येक भंडारण निगम प्रत्येक वर्ष के आरम्भ होने से पहले आगामी वर्ष के अपने कार्यकलापों के कार्यक्रम का विवरण और इसके संबंध में वित्तीय अनुमान तैयार करेगा।
(2) उप-धारा (1) के अधीन तैयार किया जाने वाला विवरण प्रत्येक वर्ष के आरम्भ होने से पहले तीन महीने की अनधिक अवधि में निम्नलिखित को अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया जाएगा –
(क) केन्द्रीय भंडारण निगम के मामले में केन्द्रीय सरकार को;
(ख) राज्य भंडारण निगम के मामले में केन्द्रीय भंडारण निगम और राज्य सरकार को।
(3) उप-धारा (1) में उल्लिखित भंडारण निगम के विवरण और वित्तीय अनुमानों में केन्द्रीय भंडारण निगम के मामले में केन्द्रीय सरकार के अनुमोदन से और राज्य भंडारण निगम के मामले में केन्द्रीय भंडारण निगम और राज्य सरकार के अनुमोदन से भंडारण निगम द्वारा संशोधन किया जा सकता है।
भंडारण निगम की उधार लेने की शक्ति
(1) भंडारण निगम रिजर्व बैंक के परामर्श से और समुचित सरकार के पूर्व के अनुमोदन से, धन जुटाने के प्रयोजन के लिए बांड और ऋण-पत्र जारी कर सकता है और बेच सकता है जिन पर ब्याज देया होगा।
परंतु जारी किए गए और बकाया बांड्स और ऋण-पत्रों तथा निगम के अन्य ऋणों की कुल धनराशि किसी भी समय निगम की प्रदत्त अंश पूंजी और आरक्षित निधि के दस गुणा से अधिक नहीं होगी।
(2) इस अधिनियम के अधीन, भांडागार निगम अपने कार्यों को करने के प्रयोजन के लिए निम्नलिखित से धनराशि उधार ले सकता है।
(i) रिजर्व बैंक से, या
(ii) स्टेट बैंक से, जिसके लिए/पर किन्हीं प्रतिभूतियों, जिसके प्रति वह [भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम, 1955] के अधीन अग्रिम और धनराशियां उधार लेने के लिए अधिकृत किया गया है।
(iii) किसी अनुसूचित बैंक से, या
(iv) ऐसी बीमा कम्पनी, निवेश न्यास या अन्य वित्तीय संस्था से, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा इस संबंध में अनुमोदित की जाए।
(3) उप-धारा (1) के परंतु के अध्यधीन, केन्द्रीय भंडारण निगम केन्द्रीय सरकार से और राज्य भंडारण निगम राज्य सरकार से और केन्द्रीय भंडारण निगम से ऐसी प्रतिभूतियों और ऐसी शर्तों और निबंधनों पर धनराशि उधार ले सकता है जिनके संबंध में प्रत्येक मामले में उधार लेने वाले निगम और ऋणदाता में सहमति हो।
(4) भंडारण निगम के बांड्स और ऋण-पत्रों की समुचित सरकार द्वारा गारंटी दी जाए ताकि बांड्स या ऋण-पत्रों को जारी करते समय निगम के निदेशक मंडल की सिफारिश पर ब्याज की ऐसी दर पर, जो समुचित सरकार द्वारा निर्धारित की जाए, मूलधन और ब्याज चुकाया जा सके।
जमा खाता
भंडारण निगम की समस्त धनराशि रिजर्व बैंक में या स्टेट बैंक [या किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में] या इस अधिनियम के अधीन बनाए नियमों के अध्यधीन, [किसी अन्य अनुसूचित बैंक] या सहकारी बैंक में जमा की जाएगी।
निधियों का निवेश
भंडारण निगम केन्द्रीय या किसी राज्य सरकार की प्रतिभूतियों में या ऐसी किसी अन्य विधि से, जो समुचित सरकार द्वारा निर्धारित की जाए, अपनी धनराशि का निवेश कर सकता है।
लाभों का निपटान
(1) प्रत्येक भंडारण निगम अपने वार्षिक निवल लाभों में से एक आरक्षित निधि सृजित करेगा।
(2) अशोध्य और संदिग्ध ऋणों, परिसम्पत्तियों पर मूल्यह्रास और अन्य सभी मामलों, जिनके लिए कम्पनी अधिनियम, 1956 के अधीन पंजीकृत और सम्मिलित कम्पनियों द्वारा सामान्यतया प्रावधान किया जाता है, के लिए प्रावधान करने के पश्चात् भंडारण निगम अपने वार्षिक निम्न लाभों में से लाभांश घोषित कर सकता है
(3) परंतु जब तक आरक्षित निधि से केन्द्रीय भंडारण निगम की प्रदत्त अंश पूंजी कम है और जब तक ऐसी धनराशि, यदि कोई हो, जो उस सरकार ने धारा 27 की उप-धारा (4) या धारा 5 की उप-धारा (1) के अनुसरण में केन्द्रीय सरकार को चुका दी गई हो, तब तक केन्द्रीय भंडारण निगम के मामले में ऐसे लाभांश की दर केन्द्रीय सरकार द्वारा धारा 5 की उप-धारा (1) द्वारा गारंटित दर से अधिक नहीं होगी।
भंडारण निगम के लेखे और लेखापरीक्षा
(1) प्रत्येक भंडारण निगम समुचित लेखे, अन्य संगत रिकार्ड रखेगा तथा लाभ और हानि लेखे सहित वार्षिक लेखों का विवरण और तुलन-पत्र ऐसे रूप में रखेगा जो निर्धारित किए जाएं।परंतु केन्द्रीय भंडारण निगम के मामले में, भण्डागारण निधि और सामान्य निधि से संबंधित लेखे अलग से रखे जाएंगे।
(2) भंडारण निगम के लेखों की कम्पनी अधिनियम, 1956 की धारा 226 के अधीन लेखापरीक्षक के रूप में कार्य के रूप में विधिवत् रूप से योग्य लेखापरीक्षक द्वारा लेखापरीक्षा की जाएगी।
(3) उक्त लेखापरीक्षक की नियुक्ति समुचित सरकार द्वारा भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षा के परामर्श से की जाएगी।
(4) लेखापरीक्षक को भंडारण निगम के वार्षिक तुलन-पत्र तथा लाभ और हानि लेखे की प्रति दी जाएगी और उसका यह कर्तव्य होगा कि वह उनसे संबंधित लेखों, वाउचरों के साथ उनकी जांच करे, और उसके पास निगम द्वारा रखी सभी बहियों की एक सूची होगी और सभी उपयुक्त समयों पर उसकी निगम की बहियों, लेखों और अन्य दस्तावेजों तक पहुंच होगी और वह निगम के किसी अधिकारी से ऐसी सूचना और स्पष्टीकरण, जो वह लेखापरीक्षक के रूप में अपने कर्तव्य के कार्यनिष्पादन के लिए आवश्यक समझे, मांग सकता है।
(5) लेखापरीक्षक लेखों, वार्षिक तुलन-पत्र तथा लाभ और हानि लेखे, जिनकी उसने जांच की है, के संबंध में अंशधारियों को रिपोर्ट देगा और ऐसी प्रत्येक रिपोर्ट में वह यह उल्लेख करेगा कि क्या उसके विचार में लेखे सही और उचित हैं –
(क) वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर निगम के तुलन-पत्र के संबंध में क्या स्थिति है।
(ख) लाभ और हानि लेखे के मामले में इसके वित्तीय वर्ष के लिए लाभ और हानि और यदि वह अधिकारियों से कोई स्पष्टीकरण या सूचना मांगता है, क्या यह दी गई है और क्या यह संतोषजनक है।
(6) समुचित सरकार भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षा के साथ परामर्श करके किसी भी समय लेखापरीक्षक को निर्देश जारी कर सकती है जिसमें उससे अपेक्षा की गई हो कि वह भंडारण निगम द्वारा अपने अंशधारियों और ऋणदाताओं की रक्षा के लिए किए गए उपायों की पर्याप्तता के संबंध में या निगम के लेखों की लेखापरीक्षा में अपनी कार्यविधि की पर्याप्तता के संबंध में समुचित सरकार को रिपोर्ट करे और वह लेखापरीक्षा के अपने दायरे का विस्तार करे या यह निदेश दे सकती है कि यदि समुचित सरकार के विचार में जन हित में ऐसा करना अपेक्षित हो तो लेखापरीक्षक द्वारा कोई अन्य जांच की जाए।
(7) भंडारण निगम लेखापरीक्षक की प्रत्येक रिपोर्ट की प्रति भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक और केन्द्रीय सरकार को अंशधारियों को प्रस्तुत करने से कम से कम एक महीना पहले भेजेगा।
(8) इस धारा में इससे पहले निहित किसी बात के होते हुए भी, भारत का नियंत्रक और महालेखापरीक्षक या तो अपनी ओर से या समुचित सरकार से इस संबंध में अनुरोध प्राप्त होने पर भंडारण निगम की किसी भी समय, जो वह उचित समझे, ऐसी लेखापरीक्षा कर सकता है।
परंतु जहां धारा 5 की उप-धारा (1) के अधीन केन्द्रीय सरकार द्वारा दी गई गारंटी के प्रति उसे कोई भुगतान करना अपेक्षित है, वहां ऐसी लेखापरीक्षा भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक या उसके द्वारा इस संबंध में अधिकृत किसी व्यक्ति द्वारा की जाएगी।
(9) भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक और भंडारण निगम के लेखों की लेखापरीक्षा करने के संबंध में उसके द्वारा अधिकृत किसी व्यक्ति को इस लेखापरीक्षा के संबंध में वही अधिकार, विशेषाधिकार और प्राधिकार प्राप्त होंगे जो नियंत्रक और महालेखापरीक्षक को सरकारी लेखों की लेखापरीक्षा में होते हैं और विशेष रूप से उसका बहियों, लेखों, सम्बद्ध वाउचरों और कोई अन्य दस्तावेज या कागजात की मांग करने और निगम के कार्यालय का निरीक्षण करने का अधिकार होगा।
(10 भंडारण निगम के वार्षिक लेखे और उनकी लेखापरीक्षा रिपोर्ट वित्तीय वर्ष की समाप्ति के छ: महीने के अंदर निगम की वार्षिक आम सभा में रखी जाएगी।
(11) इस धारा के अधीन प्रत्येक लेखापरीक्षा रिपोर्ट वार्षिक आम सभा में इसे प्रस्तुत करने के एक महीने के भीतर समुचित सरकार को भेजी जाएगी और सरकार उसके तत्काल बाद यह रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों या राज्य के विधान-मंडल, जैसा भी मामला हो, में प्रस्तुत करेगी।
विवरणियां और रिपोर्टें
भंडारण निगम अपनी सम्पत्तियों या कार्यकलापों से संबंधित ऐसी विवरणियां, सांख्यिकी, लेखे और अन्य सूचना समुचित सरकार को भेजेगा जिसकी उसे समय-समय पर आवश्यकता हो।
विविध
रिक्ति के कारण भंडारण निगम के कार्य और कार्यवाही अवैध नहीं होंगे।
भंडारण निगम का कोई भी कार्य या कार्यवाही केवल इस कारण से अवैध नहीं होगी यदि इसके निदेशक का कोई पद रिक्त हो या उसके गठन में कोई त्रुटि हो।
प्रत्यायोजन