परिचय
मत्स्य पालन का कार्य सहकारिता के माध्यम से करने से किसानों को बहुत अधिक लाभ है | जिन तालाबों की बंदोबस्ती वे अकेले नहीं ले सकते हैं वे एक सहकारी समिति बनाकर आसानी से और कम खर्च करके प्राप्त कर सकते हैं | इसी प्रकार मिल-जुल कर मछली के बीज का उत्पादन एवं बिक्री भी किया जा सकता है, जिससे सदस्यों के साथ-साथ समिति को भी लाभ होगा | सहकारी समिति बनाने के लिए सहकारिता विभाग के द्वारा सहकारिता अधिनियम 1935 के तहत प्रखण्ड स्तर पर मत्स्य जीवी सहयोग समिति का गठन किया जा सकता है |
सहकारिता के फायदे
मत्स्य विभाग के द्वारा भी सहकारी समितियों को राजस्व तालाबों की बंदोबस्ती में प्राथमिकता दी जाती है | सरकार के परिपत्र सं. 114 दिनांक 18.1.1992 के द्वारा किसी भी प्रखण्ड के जलकरों के अल्पकालीन बंदोबस्ती सर्वप्रथम सक्षम सहकारी समिति को ही देने का प्रावधान है | समिति के समक्ष नहीं रहने अथवा बकायेदार रहने अथवा अनिच्छा प्रकट करने की स्थिति में ही जलकरों की खुले डाक द्वारा बंदोबस्ती की जा सकती है | मत्स्य पालन से जुड़े लोगों के लिए यह लाभदयक नियम है, जिसका लाभ हजारों मछुआरे उठा रहें हैं | इसके अतिरिक्त राष्ट्रिय सह्करिकता विकास निगम के तहत सहकारी समितियाँ जल क्रय, विपणन केंद्र, हैचरी निर्माण इत्यादि के लिए ऋण भी प्राप्त कर सकते हैं | समितियां यदि चाहें तो जलाशयों का भी बंदोबस्ती लेकर उनमें मत्स्य बीज संचयन कर सकते हैं तथा प्रभावकारी तरीके से मछली की शिकारमाही एवं बिक्री कर सदस्यों को प्रचुर लाभ पहुँचा सकते हैं | विभाग के द्वारा लगभग सभी जलाशयों पर सहकारी समितियां गठित करने का प्रयास किया गया है | जहां समितियां गठित नहीं है वहां नई समितियां गठित करने का प्रयास किया जाना चाहिए | सहकारिकता विभाग के परिपत्र संख्या 1410 दिनांक 29.6.11 के आलोक में जिस क्षेत्र में एक से ज्यादा समितियां कार्यरत हैं उनके बीच सिमित डाक से बंदोबस्ती की जाएगी |
मछली और मछुआरों का अन्योन्याश्रित संबध है | मत्स्य उधोग की तरक्की के लिए मछुआरा समाज में आर्थिक संसाधनों का अभाव है | जिन क्षेत्रों में मत्स्यपालन की संभावनाएं है और जहां पर बहुतायत में मछुआरा परिवार के लोग रहते हैं वे मत्स्यजीवी सहकारी समितियां बनाकर अपना व्यवसाय आरम्भ कर सकते हैं | मछली मारना, मत्स्य बीज का उत्पादन संचयन, वितरण तथा मछली की बिक्री इत्यादि का कार्य समिति के मध्यम से करने से ही स्थानीय मछुआरों का विकास होगा तथा विकास कार्यों का लाभ सभी लोगों को मिलेगा | समिति बनाकर कार्य करने से लागत व्यय भी कम आयेगा और देख रेख, चौकीदारी आदि पर होने वाला व्यय भी नगण्य हो जायेगा |
राज्य में दिनांक 29.11.2008 को झारखण्ड राज्य सहकारी मत्स्य संघ लि. (झास्कोफिश) एक राज्य स्तरीय संघ का गठन किया गया | इसका कार्यालय बटन तालाब डोरंडा, रांची में है | इस संघ में वर्तमान में राज्य के 89 मत्स्यजीवी सहयोग समितियां जुड़ चुकी है | इसके तहत राज्य के सभी मत्स्यजीवी सहयोग समितियों को आच्छादित कर उन्हें प्रसिक्षण, वितीय सहायता तथा प्रबंधकीय सहायता के माध्यम से सुद्रढ़ करने का कार्य किया जाता है जिससे राज्य के मत्स्य उत्पादन में वृद्धि हो सके तथा राज्य के मछुआरों की आर्थिक तथा सामाजिक स्थिति सुद्रढ़ हो सके | इसके लिए राज्य के सभी मत्स्यजीवी सहयोग समितियों तथा स्वालंबी मत्स्यजीवी सहयोग समितियों को झास्कोफिश का सदस्यता ग्रहण करना आवश्यक है |
कैसे लें सदस्यता
सदस्यता के लिए समिति के प्रस्ताव के साथ हिस्सा पूंजी के रूप में मों.5000/- (पांच हजार) रुपये तथा सदस्यता शुल्क के रूप में मों. 500/- रूपये जमा करना आवश्यक है | संघ का मूल उदेश्य मत्स्य पालन से सम्बंधित गतिविधियों जैसे मत्स्योपादन तथा इससे सम्बंधित गतिविधियाँ तथा अन्य जलीय उत्पादों के उत्पादन से सह्करिकता के मध्यम से वृद्धि करना जैसे –
(क) राज्य के लघु, मध्यम तथा वृहत जलाशयों तथा राजस्व तालाबों का सीधे अथवा मत्स्यजीवी सहयोग समितियों के माध्यम से प्रबंधन करना |
(ख) मत्स्य पालन से सम्बंधित गतिविधियों में बढ़ावा देने के लिये मत्स्यजीवी सहयोग समितियों को वित्त प्रदत्त करना |
(ग) मछली तथा अन्य जलीय उत्पादों के प्रिजर्वेशन (संधारण) में सहायता प्रदान करना |
(घ) मछली तथा अन्य जलीय उत्पादों के सरकारी अथवा अन्य संस्थाओं के माध्यम से विपणन में सहायता करना |
(ङ) सभी प्रकार के जलक्षेत्रों से मछली तथा अन्य जलीय उत्पादों के उत्पादन में वृद्धि लाने के लिये सहायता करना |
(च) मछली तथा अन्य जलीय उत्पादों के क्रम तथा बिक्रय से सम्बंधित सभी प्रकार निविदा अथवा विनिमय में भाग लेना |
(छ) संघ के हित में किसी अन्य सहकारी समिति के शेयर या हिस्सा पूंजी का क्रय करना |
स्त्रोत: मत्स्य निदेशालय, राँची, झारखण्ड सरकार
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