ऊर्जा
दृष्टि
सिंचाई पंप सेटों (सरकारी एवं निजी) को उर्जान्वित करना एवं कृषि तथा कृषि आधारित उद्योगों के विकास की आवश्यकता को पूरा करने हेतु पारंपरिक एवं गैर पारंपरिक स्त्रोतों का उपयोग करते हुए कृषि आवश्यकता को पूरा करने के लिए समयबद्ध तरीके से ऊर्जा उपलब्ध कराना ताकि कृषि के विकास दर को प्राप्त किया जा सके एवं कृषि आधारित ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बढ़ोतरी हो सके | इंद्रधनुषी क्रांति हेतु कृषि के उत्पादकता के स्तर को बढ़ाने के लिए दो पंचवर्षीय योजनाओं (2012 – 17 एवं 2017 – 22) का रोडमैप तैयार इया गया है | इन योजनाओं के समरूप फसल में सिंचाई की तीव्रता में गुणात्मक वृद्धि के लिए बड़े पैमाने पर सिंचाई की आवश्यकता को प्रक्षेपित किया गया है | वर्तमान में ग्रामीण (मिश्रित) फीडरो के माध्यम से कुल ऊर्जा का मात्र 5.83 प्रतिशत ही खेती की सिंचाई सेवाओं (IAS-I निजी एवं IAS-II सरकारी) को आपूर्ति की जाती है, जबकि अखिल भारतीय औसत 20.30 प्रतिशत है एवं हरियाणा का सर्वाधिक 38 प्रतिशत है | जल संसाधन एवं लघु जल संसाधन एवं कृषि आधारित उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, पशुपालन, मत्स्यपालन उद्योगों हेतु दो पंचवर्षीय योजनाओं (2012-17 एवं 2017-22) के लिए कुल विद्युत् आवश्यकता की विस्तृत गणना की गई है | वर्ष 2021-22 तक कुल निजी नलकूपों की संख्या 22.14 लाख एवं सम्बद्ध भार 5860 मेगावाट तथा कुल सरकारी नलकूपों का सम्बद्ध 832 मेगावाट होगा | डाइवर्सिटी फैक्टर को ध्यान में रखते हुए सभी नलकूपों (निजी एवं सरकारी) का कुल विद्युत् भार 4120 मेगावाट आंकलित किया गया है| इसके अतिरिक्त कृषि आधारित उद्योगों, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, पशुपालन, मछलीपालन आदि उद्योगों के लिए बिजली की अलग से आवश्यकता होगी | इन आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु बिजली की 160 मेगावाट की अतिरिक्त आवश्यकता आंकलित की गई है | इस प्रकार इंद्रधनुषी क्रांति हेतु वर्ष 2021 -22 तक कृषि क्षेत्र के लिए कुल 4280 मेगावाट ऊर्जा की आवश्यकता होगी |
उक्त परिप्रेक्ष्य में कुल आवश्यकता का 10 प्रतिशत अर्थात 428 मेगावाट की प्रतिपूर्ति गैर पारंपरिक ऊर्जा श्रोत द्वारा 2 एच.पी. के 285000 सौर पंप सेटों को लगाकर पूरा किया जायेगा तथा शेष 90 प्रतिशत अर्थात 3852 मेगावाट ऊर्जा की आवश्यकता की पूर्ति परंपरागत ऊर्जा श्रोत से की जाएगी | पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत की आवश्यकता मुख्यत: निजी नलकूपों के कारण होगी, जिसकी संख्या 1929000 है एवं इसका विद्युत् मांग लगभग 3065 मेगावाट है |
पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों की आवश्यकता
वर्ष | सरकारी नलकूपों के लिए ऊर्जा की आवश्यकता |
निजी नलकूपों के लिए ऊर्जा की आवश्यकता |
नलकूपों के लिए ऊर्जा की कुल आवश्यकता (सरकारी + ++निजी ) |
डाईवर्सिटी फैक्टर को ध्यान में रखते हुए कृषि आधारित उद्योगों, पशुपालन एवं मछलीपालन हेतु ऊर्जा की आवश्यकता |
कृषि क्षेत्र के लिए ऊर्जा की प्रक्षेपित आवश्यकता |
||||
लघु सिंचाई (संबद्ध भार ) |
सिंचाई (संबद्ध भार) |
कुल (संबद्ध भार) |
डाईवर्सिटी फैक्टर को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा की आवश्यकता |
निजी नलकूपों की संख्या (संचयात्मक |
डाईवर्सिटी को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा की आवश्यकता |
||||
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
8 |
9 |
10 |
वर्तमान |
83 |
9.73 |
92.73 |
70 |
51663 |
82 |
152 |
0 |
152 |
2012-13 |
99 |
32 |
131 |
98 |
61666 |
98 |
196 |
19 |
215 |
2013-14 |
123 |
34 |
157 |
118 |
154166 |
245 |
363 |
38 |
401 |
2014-15 |
155 |
35 |
190 |
143 |
277499 |
441 |
584 |
57 |
641 |
2015-16 |
195 |
115 |
310 |
233 |
431665 |
686 |
919 |
76 |
995 |
2016-17 |
242 |
292 |
534 |
400 |
616663 |
980 |
1380 |
95 |
1475 |
2017-18 |
252 |
492 |
744 |
558 |
747897 |
1189 |
1747 |
108 |
1855 |
2018-19 |
267 |
492 |
759 |
569 |
944747 |
1501 |
2070 |
121 |
2191 |
2019-20 |
287 |
492 |
779 |
584 |
1207214 |
1919 |
2503 |
134 |
2637 |
2020-21 |
312 |
492 |
804 |
603 |
1535298 |
2440 |
3043 |
147 |
3190 |
2021-22 |
340 |
492 |
832 |
627 |
1929000 |
3065 |
3692 |
160 |
3852 |
टिप्पणी
वर्ष 2012-17 के दौरान मध्यम एवं वृहत सिंचाई योजनाओं के लिए ऊर्जा की आवश्यकता में अप्रत्याशित वृद्धि मुख्यत: ड्रेनेज व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण मोकामा टाल क्षेत्र में जल के समुचित उपयोग संबधी योजना जिसमें 10 किलोवाट की क्षमता वाले 20000 नलकूप अर्थात 200 मेगावाट एवं 2017-22 के दौरान गंगा में पंपिंग माध्यम से उत्तरी बिहार से दक्षिणी बिहार की नादियों का इंट्री रिभर बेसिन ट्रांसफर योजना सम्मिलत है |
इंद्रधनुषी क्रांति के कारण ऊर्जा की प्रक्षेपित आवश्यकता
- बिहार में इंद्रधनुषी क्रांति हेतु कृषि क्षेत्र के लिए अतिरिक्त ऊर्जा की मांग एवं के 17वें प्रतिवेदन आलोक में बिहार की कुल संशोधित विद्युत् की मांग एवं इसकी उपलब्धता निम्न प्रकार है –
वर्ष |
इंद्रधनुषी क्रांति के कारण ऊर्जा की प्रक्षेपित आवश्यकता |
बिहार में इंद्रधनुषी क्रांति हेतु ऊर्जा के मांग की संशोधित प्रक्षेपित आवश्यकता |
बिहार में ऊर्जा की प्रक्षेपित उपलब्धता |
|||
सरकारी नलकूप |
निजी नलकूप |
डाईवर्सिटी फैक्टर को ध्यान में रखते हुए कृषि आधारित उद्योगों, पशुपालन एवं मत्स्यपालन हेतु ऊर्जा की आवश्यकता |
कृषि क्षेत्र के लिए कुल ऊर्जा की प्रक्षेपित आवश्यकता |
|||
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
वर्तमान |
70 |
82 |
0 |
152 |
3000 |
1500 |
2012-13 |
98 |
98 |
19 |
215 |
4041 |
1867 |
2013-14 |
118 |
245 |
38 |
401 |
4585 |
2590 |
2014-15 |
143 |
441 |
57 |
641 |
5222 |
3015 |
2015-16 |
233 |
686 |
76 |
995 |
5957 |
5314 |
2016-17 |
401 |
980 |
95 |
1476 |
6750 |
8032 |
2017-18 |
558 |
1189 |
108 |
1855 |
7597 |
8935 |
2018-19 |
569 |
1501 |
121 |
2191 |
8385 |
9314 |
2019-20 |
584 |
1919 |
134 |
2637 |
9181 |
9314 |
2020-21 |
603 |
2440 |
147 |
3190 |
9982 |
9314 |
2021-22 |
627 |
3065 |
160 |
3852 |
10760 |
9314 |
टिप्पणी
इंद्रधनुषी क्रांति हेतु कुल 3852 मेगावाट ऊर्जा की प्रक्षेपित मांग मुख्य रूप से नलकूपों (निजी एवं सरकारी) की ऊर्जा की आवश्यकता के कारण है एवं यह प्रस्तावित है कि इन ऊर्जा की आवश्यकताओं को डेडीकेटेड फीडर के द्वारा पूरा किया जाएगा| 10 से 12 घंटे डेडीकेटेड फीडर के माध्यम से विद्युत् की आपूर्ति करने पर किसी भी क्षण ऊर्जा की वास्तविक मांग प्रक्षेपित मांग 3852 मेगावाट का 60 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा | तदनुरूप बिहार के लिए संशोधित ऊर्जा आवश्यकता की गणना की गई है|
रणनीति
कृषि उद्योग, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, पशुपालन, मछलीपालन उद्योगों आदि को समाहित करते हुए कृषि क्षेत्र के ऊर्जा की प्रक्षेपित आवश्यकता को पूरा करने के लिए मुख्य रूप से दो भागो में आंकलित किया गया है –
(क) पारंपरिक ऊर्जा,
(ख) गैर पारंपरिक ऊर्जा
वैसे स्थानों को छोड़कर जहाँ आर्थिक अथवा भौगोलिक पहुंच आदि कारकों के कारण ग्रिड से विद्युत् आपूर्ति करना संभव नहीं हो, कृषि उद्देश्य हेतु ऊर्जा की आपूर्ति मुख्यत: पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों के माध्यम से की जाएगी | इन पहलुओं को ध्यान में रखते हुए ऊर्जा की कुल आवश्यकता का 90 प्रतिशत पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों से पूरी की जाएगी एवं शेष 10 प्रतिशत गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों से पूरी की जाएगी | कृषि के ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए समर्पित फीडर (डेडीकेटेड) की व्यवस्था की जाएगी |
इंद्रधनुषी क्रांति केलिए उद्योग एवं संबंधित सहायक गतिविधियों के बढ़ते हुए ऊर्जा की आवश्यकता को समाहित करते हुए बिहार के लिए संशोधित ऊर्जा आवश्यकता की गणना की गई है |
कृषि हेतु डेडीकेटेड फीडर की व्यवस्था जिसके कारण विद्युत् आपूर्ति की गुणवत्ता में सुधार एवं अन्य ग्रामीण आवश्यकता को पूरा करने हेतु रोटेशन व्यवस्था को अपनाना साथ ही एच.टी. एवं एल.टी. अनुपात में भी सुधार ताकि निश्चित समय में कृषि को विद्युत् आपूर्ति की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकें |
- मत्स्यपालन के लिए ऊर्जा की आवश्यकता मुख्यत: अप्रैल, मई एवं जून में होती है एवं इस अवधि में सिंचाई हेतु ऊर्जा की आवश्यकता इसके मांग के विरुद्ध मात्र 30 प्रतिशत होती है | यद्यपि ऊर्जा की अल्प आवश्यकता मछली के जनन हेतु सालोंभर होती है |
- डाईवर्सिटी फैक्टर को ध्यान में रखते हुए समग्र वितरण व्यवस्था द्वारा विभिन्न क्षेत्रों एवं भिन्न प्रकार के उपभोक्ताओं की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है |
- उत्तरी बिहार जहाँ जल स्तर उपलब्ध है, में बड़ी मात्रा में निजी उथले (शैलो) नलकूपों में सोलर पंप लगाकर ऊर्जा की अधिकतम आवश्यकता को पूरा किया जा सकता है |
- ग्रामीण क्षेत्र में जैव ऊर्जा भी कुल ऊर्जा आवश्यकता का पूरक हो सकता है |
- लोड का स्टैगरिंग – गैर पीक अवधि में सिंचाई हेतु ऊर्जा प्रदान किया जायेगा |
- मांग का प्रबंधन – ऊर्जा दक्षता ब्यूरो द्वारा विनिर्दिष्ट मानकों के अनुसार कृषि पंपों को लगाना जो पावर फैक्टर करेक्सन कैपेसिटर्स से युक्त होगा | इससे ऊर्जा के मांग में कमी आएगी |
- टैरिफ व्यवस्था के द्वारा – टाईम ऑफ़ डे पद्धति को कृषि क्षेत्र में अपनाकर विद्युत् मांग को समतल रखा जा सकता है |
- ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा के उच्च हानि के कारण सरकार पर बढ़ी हुई सब्सिडी का भार के इंतजाम हेतु तंत्र विकसित करना |
- वार्षिक मूल्यांकन – ऊर्जा की आवश्यकता की पूर्ति को सुनिश्चित करने हेतु कृषि क्षेत्र की वास्तविक ऊर्जा की आवश्यकता का वार्षिक मूल्यांकन किया जायेगा |
- चीनी मिलों द्वारा अपने कैप्टिव विद्युत् उत्पादन जो बिहार राज्य विद्युत् बोर्ड की संचरण व्यवस्था में प्रवाहित होता है उसकी गन्ना फसलों एवं संबंधित क्षेत्रों के ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करने हेतु उपयोग में लाया जाएगा | इन क्षेत्रों को न्यूनतम अवधि के लिए स्थायी विद्युत् आपूर्ति की जा सकेगी जो गन्ना उत्पादन एवं चीनी उद्योग के विकास में सहायक होगा |
- ग्राम/प्रखंड मुख्यालय स्तर पर व्यापक प्रचार के साथ निश्चित तिथि को कैम्प लगाकर किसानों को सिंचाई पम्प सेटों हेतु विद्युत् सम्बद्ध प्रदान करने की प्रक्रिया का सरलीकरण किया जायेगा
कार्य योजना
(क) पंरपरागत ऊर्जा (3852 मेगावाट) – डेडिकेटेड फीडर द्वारा कृषि आवश्यकता को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर विद्युत् संचरण एवं वितरण व्यवस्था का आधारभूत संरचना विकसित करने के साथ-साथ विद्युत् उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि करनी होगी |
(i) विद्युत् संचरण एवं वितरण व्यवस्था के विकास हेतु वर्षवार अनुसरणीय लक्ष्य एवं लागत –
क्र. सं. |
कार्य का नाम |
2012-13 |
2013-14 |
2014-15 |
2015-16 |
2016-17 |
2016-17 तक कुल कार्य एवं लागत |
2017-18 से 2021-22 तक कुल कार्य एवं लागत |
2021-22 तक कुल कार्य एवं लागत |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
8 |
9 |
10 |
क |
2 x MVA विद्युत् उपकेन्द्र का निर्माण (2 x 38 Nos.) |
0 |
4 |
6 |
8 |
10 |
28 |
48 |
76 संख्या |
लागत करोड़ में (भूमि के लागत सहित) |
0 |
17 |
25.5 |
34 |
44.81 |
121.31 |
204 |
325.31 |
|
ख |
33 के.वी. लाईन का निर्माण (डॉग कन्डक्टर पर) |
0 |
84 |
112 |
140 |
224 |
560 |
960 |
1520 कि.मी. |
(i) नये विद्युत् उपकेन्द्र हेतु 33 के.वी. लाईन का निर्माण (20 कि.मी. प्रति नये विद्युत् उपकेन्द्र) |
0 |
84 |
112 |
140 |
224 |
560 |
960 |
1520 कि.मी. |
|
(ii) वर्तमान विद्युत् उपकेन्द्र हेतु 33 के.वी. लाईन का निर्माण; 204 विद्युत् उपकेन्द्र के सुदृढ़ीकरण |
110 |
165 |
220 |
275 |
330 |
1100 |
940 |
2040कि.मी. |
|
कुल 33 के.वी. लाईन |
110 |
249 |
332 |
415 |
554 |
1660 |
1900 |
3560 कि.मी. |
|
लागत करोड़ में |
4.84 |
10.956 |
14.608 |
18.26 |
24.376 |
73.04 |
83.6 |
156.64 |
|
ग |
33 के.वी. कनेक्टिविटी के लिए विद्युत् उपकेन्द्र से 33 के.वी. बे का निर्माण |
14 |
21 |
28 |
35 |
40 |
138 |
142 |
280 कि.मी. |
लागत करोड़ में |
2.72 |
4.08 |
5.44 |
6.80 |
7.77 |
26.80 |
27.58 |
54.38 |
|
घ |
नये विद्युत् उपकेन्द्र हेतु रेबिट कन्डक्टर पर 11 के.वी. लाईन का निर्माण (प्रत्येक विद्युत् उपकेन्द्र के चार फीडर 10 कि.मी. लम्बाई प्रति फीडर) |
0 |
168 |
240 |
320 |
392 |
1120 |
1920 |
3040 कि.मी. |
लागत करोड़ में |
0.00 |
4.94 |
7.06 |
9.41 |
11.52 |
32.93 |
56.45 |
89.38 |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
8 |
9 |
10 |
ड. |
33/11 के.वी. विद्युत् उपकेन्द्र में 2 अलग-अलग बे का निर्माण |
33 |
50 |
66 |
83 |
94 |
326 |
490.00 |
816 संख्या |
लागत करोड़ में |
2.43 |
3.64 |
4.86 |
6.11 |
6.95 |
23.99 |
36.06 |
60.05 |
|
ऊर्जान्वयन हेतु निजी नलकूपों की संख्या |
61666 |
92500 |
123333 |
154166 |
184998 |
616663 |
1312337.00 |
1929000 संख्या |
|
च |
प्रत्येक विद्युत् उपकेन्द्र से दो डेडीकेटेड 11 के.वी. फीडर का निर्माण (प्रत्येक की लम्बाई 20 कि.मी.) |
||||||||
(i) ट्रंक लाईन का निर्माण (रैबिट कन्डक्टर पर) |
652 |
978 |
1304 |
1630 |
1956 |
6520 |
9800.00 |
16320 कि.मी. |
|
लागत करोड़ में |
19.17 |
28.75 |
38.34 |
47.92 |
57.51 |
191.69 |
288.12 |
479.81 |
|
(ii) डी.टी. कनेक्टिविटी हेतु स्पर लाईन का निर्माण (विजेल कन्डक्टर पर) |
1625 |
2438 |
3250 |
4062 |
4880 |
16255 |
20310.00 |
36565 कि.मी. |
|
लागत करोड़ में |
35.75 |
53.64 |
71.50 |
89.36 |
107.36 |
357.61 |
446.82 |
804.43 |
|
कुल |
2277 |
3416 |
4554 |
5692 |
6836 |
22775 |
30110.00 |
52885 कि.मी. |
|
छ |
उपयुक्त क्षमता का विद्युत् वितरण केंद्र का निर्माण |
6502 |
9753 |
13004 |
16255 |
19505 |
65019 |
81250.00 |
146269 संख्या |
लागत करोड़ में |
136.54 |
204.81 |
273.08 |
341.36 |
409.61 |
1365.40 |
1706.25 |
3071.65 |
|
ज |
3 Ø 4 एल.टी. लाईन का निर्माण (विजेल कन्डक्ट पर ) |
||||||||
(i) उद्व्य (लिफ्ट) सिंचाई एवं राजकीय नलकूप योजना के लिए |
25 |
38 |
50 |
62 |
75 |
250 |
219.60 |
469.60 कि.मी. |
|
लागत करोड़ में |
0.66 |
1.00 |
1.32 |
1.63 |
1.97 |
6.58 |
5.80 |
12.38 |
|
(ii) निजी कृषि नलकूपों के लिए |
1560 |
2340 |
3120 |
3900 |
4685 |
15605 |
19500.00 |
35105 कि.मी. |
|
लागत करोड़ में |
41.03 |
61.54 |
82.06 |
102.57 |
123.22 |
410.41 |
512.85 |
923.26 |
|
कुल |
1585 |
2378 |
3170 |
3962 |
4760 |
15855 |
19719.60 |
35574.60 कि.मी. |
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
8 |
9 |
10 |
झ |
फेज-1 में प्रत्येक विद्युत् उपकेन्द्र के लिए 1X5 एम.वी.ए. पावर ट्रांसफार्मर की स्थापना |
41 |
62 |
82 |
103 |
120 |
408 |
|
408 संख्या |
लागत करोड़ में |
23.47 |
35.50 |
46.95 |
58.97 |
68.70 |
233.58 |
|
233.58 |
|
ट |
फेज-2 में प्रत्येक विद्युत् उपकेन्द्र 1X5 एम.वी.ए. पावर ट्रांसफार्मर की स्थापना |
– |
– |
– |
– |
– |
– |
408.00 |
408 संख्या |
लागत करोड़ में |
|
|
|
|
|
|
233.58 |
233.58 |
|
वितरण व्यवस्था हेतु कुल लागत (करोड़ में) |
266.61 |
425.85 |
570.70 |
716.38 |
863.79 |
2843.33 |
3601.11 |
6444.440 |
|
ठ |
संचरण व्यवस्था के उन्नयन हेतु आवश्यकता (करोड़ में) |
110 |
140 |
183 |
226 |
267 |
926 |
1000.00 |
1926 |
कुल लागत (करोड़ में) |
376.61 |
565.85 |
753.70 |
942.38 |
1130.79 |
3769.33 |
4601.11 |
8370.44 |
मान्यताएं
(क) प्रत्येक ग्राम के लिए 3 से 4 वितरण ट्रांसफार्मर लिया गया है | |
(ख) निजी नलकूपों के लिए एल.टी. लाईन =0.24 कि.मी. प्रति वितरण ट्रांसफार्मर उद्व्य सिंचाई एवं राजकीय नलकूप के लिए – (एकमुश्त) |
(ग) वितरण ट्रांसफार्मर के कनेक्टिविटी हेतु 11 के.वी. लाईन = 0.25 कि.मी. प्रति वितरण ट्रांसफार्मर | |
(घ) क्र.सं. च (i), छ एवं ज (ii) निजी नलकूपों की संख्या के समानुपातिक है | |
निवेश योजना
क्र.सं. |
वर्ष |
निधि की आवश्यकता (रु. करोड़ में) |
1 |
2012-13 |
376.61 |
2 |
2013-14 |
565.85 |
3 |
2014-15 |
753.70 |
4 |
2015-16 |
942.38 |
5 |
2016-17 |
1130.79 |
12वीं योजना के लिए उप-योग |
3769.33 |
|
13वीं योजना के लिए उप-योग |
4601.11 |
|
महा योग |
8370.44 (लगभग 8370) |
(ii) कृषि हेतु विद्युत् उत्पादन का हिस्सा
क्र.सं. |
श्रोत |
उत्पादन क्षमता (मेगावाट में) |
बिहार राज्य विद्युत् बोर्ड का हिस्सा (मेगावाट में) |
संयुक्त उपक्रम का हिस्सा (मेगावाट में) |
1 |
बरौनी |
500 |
500 |
– |
2 |
नबीनगर |
3300 |
1650 |
1650 |
3 |
कांटी |
400 |
140 |
260 |
4 |
कुल |
4200 |
2290 |
1910 |
5 |
कृषि क्षेत्र हेतु 20% का उपयोग किया जायेगा |
840 |
458 |
382 |
6 |
7 करोड़ रूपये/मेगावाट की दर से लागत |
5880 |
3206 |
2674 |
निवेश योजना
(रू. करोड़ में)
क्र.सं. |
वर्ष |
सरकारी निधि |
निजी निधि (संयुक्त उपक्रम) |
1 |
2012- 13 |
500 |
400 |
2 |
2013-14 |
500 |
400 |
3 |
2014-15 |
500 |
400 |
4 |
2015-16 |
500 |
400 |
5 |
2016-17 |
565 |
539 |
12वीं योजना के लिए उप-योग |
2565 |
2139 |
|
13वीं योजना के ली उप-योग |
641 |
535 |
|
योग |
3206 |
2674 |
परंपरागत ऊर्जा के लिए कुल निधि की आवश्यकता
(रू. करोड़ में)
योजना अवधि |
सरकारी |
निजी |
कुल |
2012-17 |
6334 |
2139 |
8473 |
2017-22 |
5242 |
535 |
5777 |
कुल |
11576 |
2674 |
14250 |
(ख) गैर पारंपरिक ऊर्जा (428 मेगावाट) द्वारा
गैर पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत द्वारा कुल ऊर्जा आवश्यकता का 10 प्रतिशत अर्थात 428 मेगावाट की आवश्यकता की पूर्ति 2 एच.पी. (1.5 किलोवाट) के 285000 सोलर पंपों को विभिन्न चरणों में स्थापित करके पूरी की जा सकेगी | इस प्रक्रिया में लागत को निम्न प्रकार से प्राक्कलित किया गया है –
(i) वर्तमान में एक सोलर पंप की कीमत = लगभग 3 लाख
(ii) कुल प्राक्कलित लागत – 285000 X 3 लाख = रू. 8550 करोड़ |
निवेश योजना
(रू. लाख में)
वर्ष |
2012-13 |
2013-14 |
2014-15 |
2015-16 |
2016-17 |
2012-17 के लिए कुल |
2017-22 के लिए कुल |
महा योग |
लघु सिंचाई+निजी नलकूप द्वारा ऊर्जा की आवश्यकता (मेगावाट में ) |
4.050 |
10.95 |
30.00 |
22.5 |
30.00 |
97.5 |
330 |
427.5 लगभग 428 |
लघु सिंचाई के लिए 2 एच.पी. के सोलर पंप+निजी नलकूपों के आवश्यक संख्या |
6500 |
9750 |
13000 |
16250 |
19500 |
65000 |
220000 |
285000 |
कुल पंपों की लागत (रू. तीन लाख/पंप) |
19500 |
29250 |
39000 |
48750 |
58500 |
195000 |
660000 |
855000 |
केन्द्रीय सरकार की सब्सिडी 30% (लाख में) |
5850 |
8775 |
11700 |
14625 |
17550 |
58500 |
198000 |
256500 |
राज्य सरकार की सब्सिडी 30% (लाख में) |
5850 |
8775 |
11700 |
14625 |
17550 |
58500 |
198000 |
256500 |
वित्तीय संस्थाओं द्वारा 40% (चैनेल द्वारा व्यवस्था की जाएगी) |
7800 |
11700 |
15600 |
19500 |
23400 |
78000 |
264000 |
342000 |
टिप्पणी: यह अपेक्षा की जाती है किशुरू में सोलर पंप सेट की संख्या इसके उच्च कीमत के वजह से कम रहेगी, लेकिन बाद में सरकारी सहायता एवं सोलर पंपों के लागत में पर्याप्त कमी होने पर इसकी संख्या में समुचित वृद्धि होगी |
गैर परंपरागत ऊर्जा के लिए कुल निधि की आवश्यकता
(रू. करोड़ में)
योजना अवधि |
सरकारी |
निजी |
कुल |
2012-17 |
1170 |
780 |
1950 |
2017-22 |
3960 |
2640 |
6600 |
कुल |
5130 |
3420 |
8550 |
ऊर्जा क्षेत्र के लिए कुल निधि की आवश्यकता (परंपरागत एवं गैर परंपरागत)
(रू. करोड़ में)
योजना आवधि |
परंपरागत |
गैर परंपरागत |
कुल |
महायोग |
|||
सरकारी |
निजी |
सरकारी |
निजी |
सरकारी |
निजी |
||
2012-17 |
6334 |
2139 |
1170 |
780 |
7504 |
2919 |
10423 |
2017-22 |
5242 |
535 |
3960 |
2640 |
9202 |
3175 |
12377 |
कुल |
11576 |
2674 |
5130 |
3420 |
16706 |
6094 |
22800 |
योजना आवधि |
परंपरागत |
गैर परंपरागत |
कुल |
महायोग |
|||
सरकारी |
निजी |
सरकारी |
निजी |
सरकारी |
निजी |
||
2012-13 |
876.61 |
400 |
117 |
78 |
993.61 |
478 |
1471.6 |
2013-14 |
1065.9 |
400 |
175.5 |
117 |
1241.4 |
517 |
1758.4 |
2014-15 |
1253.7 |
400 |
234 |
156 |
1487.7 |
556 |
2043.7 |
2015-16 |
1442.4 |
400 |
292.5 |
195 |
1734.9 |
595 |
2329.9 |
2016-17 |
1695.8 |
539 |
351 |
234 |
2046.8 |
773 |
2819.8 |
कुल |
6334.3 |
2139 |
1170 |
780 |
7504.3 |
2919 |
10423 |
स्त्रोत: कृषि विभाग, बिहार सरकार
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