- सर्व सुलभ है ये पौधा हर जगह देखने को मिल जाता है लेकिन इसके उपयोग की जानकारी कम लोगो को है हम आपको इसके प्रयोग की जानकारी दे रहे है।
- आक का पौधा दो प्रकार का होता है एक सफ़ेद और नीला।
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आक की जड को पानी में घीस कर लगाने से नाखूना रोग अच्छा हो जाता है।
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आक की जड छाया में सुखा कर पीस लेवे और उसमें गुड मिलाकर खाने से शीत ज्वर शाँत हो जाता है।
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आक की जड 2 सेर लेकर उसको चार सेर पानी में पकावे जब आधा पानी रह जाय तब जड निकाल ले और पानी में 2 सेर गेहूँ छोडे जब जल नहीं रहे तब सुखा कर उन गेहूँओं का आटा पिसकर पावभर आटा की बाटी या रोटी बनाकर उसमें गुड और घी मिलाकर प्रतिदिन खाने से गठियाबाद दूर होती है। बहुत दिन की गठिया 21 दिन में अच्छी हो जाती है।
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आक की जड के चूर्ण में काली मिर्च पिस कर मिलावे और रत्ती -रत्ती भर की गोलियाँ बनाये इन गोलियों को खाने से खाँसी दूर होती है।
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आक की जड पानी में घीस कर लगाने से नाखूना रोग जाता रहता है।
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आक की जड के छाल के चूर्ण में अदरक का अर्क और काली मिर्च पीसकर मिलावे और 2-2 रत्ती भर की गोलियाँ बनावे इन गोलियों से हैजा रोग दूर होता है।
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आक की जड की राख में कडुआ तेल मिलाकर लगाने से खुजली अच्छी हो जाती है।
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आक की सूखी डँडी लेकर उसे एक तरफ से जलावे और दूसरी ओर से नाक द्वारा उसका धूँआ जोर से खींचे शिर का दर्द तुरंत अच्छा हो जाता है।
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आक का पत्ता और ड्ण्ठल पानी में डाल रखे उसी पानी से आबद्स्त ले तो बवासीर अच्छी हो जाती है।
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आक की जड का चूर्ण गरम पानी के साथ सेवन करने से उपदंश (गर्मी) रोग अच्छा हो जाता है। उपदंश के घाव पर भी आक का चूर्ण छिडकना चाहिये। आक ही के काडे से घाव धोवे।
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आक की जड के लेप से बिगडा हुआ फोडा अच्छा हो जाता है।
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आक की जड की चूर्ण 1 माशा तक ठण्डे पानी के साथ खाने से प्लेग होने का भय नहीं रहता।
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आक की जड का चूर्ण दही के साथ खाने से स्त्री के प्रदर रोग दूर होता है।
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आक की जड का चूर्ण 1 तोला, पुराना गुड़ 4 तोला, दोनों की चने की बराबर गोली बनाकर खाने से कफ की खाँसी अच्छी हो जाती है।
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आक की जड पानी में घीस कर पिलाने से सर्प विष दूर होता है।
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आक की जड का धूँआ पीने से आतशक (सुजाक) रोग ठीक हो जाता है। इसमें बेसन की रोटी और घी खाना चाहिये और नमक छोड देना चाहिये।
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आक की जड और पीपल की छाल का भष्म लगाने से नासूर अच्छा हो जाता है।
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आक की जड का चूर्ण का धूँआ पीकर उपर से बाद में दूध गुड पीने से श्वास बहुत जल्दी अच्छा हो जाता है।
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आक का दातून करने से दाँतों के रोग दूर होते हैं।
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आक की जड का चूर्ण 1 माशा तक खाने से शरीर का शोथ (सूजन) अच्छा हो जाता है।
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आक की जड 5 तोला, असगंध 5 तोला, बीजबंध 5 तोला, सबका चूर्ण कर गुलाब के जल में खरल कर सुखावे इस प्रकार 3 दिन गुलाब के अर्क में घोटे बाद में इसका 1 माशा चूर्ण शहद के साथ चाट कर उपर से दूध पीवे तो प्रमेह रोग जल्दी अच्छा हो जाता है।
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आक की जड की काडे में सुहागा भिगो कर आग पर फुला ले मात्रा 1 रत्ती 4 रत्ती तक यह 1 सेर दूध को पचा देता है. जिनको दूध नहीं पचता वे इसे सेवन कर दूध खूब हजम कर सकते हैं।
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आक की पत्ती और चौथाई सेंधा नमक एक में कूट कर हण्डी में रख कर कपरौटी आग में फूँक दे. बाद में निकाल कर चूर्ण कर शहद या पानी के साथ 1 माशा तक सेवन करने से खाँसी, दमा, प्लीहा रोग शाँत हो जाता है. आक का दूध लगाने से ऊँगलियों का सडना दूर होता है।
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अफेद आक (आंकड़ा)। यह बहुत चमत्कारी पौधा है। यह सामान्य रूप से पाएं जाने वाले आक के पौधे से अलग होता है। इसका उपयोग की तांत्रिक क्रियाओं में किया जाता है। तांत्रिक प्रयोगों से बचने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। जिस घर में यह लगा होता है उस घर किसी भी प्रकार के तंत्र-मंत्र या जादू-टोने का असर नहीं होता है।
* इस आक के पौधे से भी अधिक चमत्कारी है इससे निर्मित गणेश प्रतिमा। तंत्र शास्त्र में यह बताया गया है कि यदि सफेद आक से निर्मित गणेश प्रतिमा की विधिवत पूजा की जाए तो सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। यह गणेश प्रतिमा अद्भुत व चमत्कारी होता है। इसकी पूजा बहुत नियम और कायदों से करनी पड़ती है। नियम से पूजा ना होने पर इसका उचित लाभ नहीं मिल पाता है। इसलिए यदि आप चाहते हैं कि आपके घर में किसी तरह के तंत्र-मंत्र का असर ना हो तो ये पौधा घर में जरुर लगाएं। इसके अलावा सफेद आक की जड़ को भी तंत्र में बहुत उपयोगी माना जाता है।
स्रोत:- इन्टरनेट
https://www.hamarepodhe.com