परिचय
किसान भाई कुक्कुट पालन की तरह ही बटेर पालन कर अपनी आय का जरिया बना सकते है। कुक्कुट में कई प्रकार की बीमारियां होने का डर सदैव बना रहता है जबकि बटेर की सबसे बड़ी खासियत यह होती है कि इसे विभिन्न प्रकार की जलवायु में आसानी से पाला जा सकताहै। इस पक्षी का पुरातनकाल से ही विशिष्ट प्रकार का खाद्य पदार्थ तैयार कर परोसा जाता रहाहै। परंतु समय के साथ वन्य प्राणी संरक्षण की धारा 1972 के लागू होने से भारत में जंगली बटेर के शिकार पर प्रतिबंध लग जाने के बाद से बटेर पालन की आवश्यकता महसूस की जाने लगी़ इसी कड़ी में नाबार्ड द्वारा प्रेम यूथ फाउंडेशन के माध्यम से राज्य के वैशाली जिले में सन 2011 से 11 लाख के प्रोजेक्ट पर लगभग 100 किसानों को प्रशिक्षित कर बटेर पालन को व्यावसायिक रूप देने का निर्णय लिया गया़|
किसानों का ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण
ऐसे की शुरुआत दिसंबर, 2011 से 25-15 किसानों का ग्रुप बना कर ट्रेनिंग की व्यवस्था की गयी़ अब तक लगभग 80 किसानों ने ट्रेनिंग प्राप्त कर बटेर पालन का कार्य शुरू कर दिया है। शुरुआती दिनों में इज्जत नगर, उत्तर प्रदेश से बटेर का चूजा मंगा कर पालकों को डेमो के तौर पर दिया गया़ इज्जत नगर, यूपी से मांगने पर एक दिन का चूजा 6.00 रुपये का तो एक सप्ताह के चूजे की कीमत 19 रुपये पड़तीहै। प्रेम यूथ फाउंडेशन के सचिव राजदेव राय ने बताया कि बटेर पालकों को हमारे फाउंडेशन की ओर से दो किस्तों में दो-दो सौ चूजे प्रत्येक ग्रुप के परीक्षण के तौर पर फ्री अफ कास्ट क्रमवार दिया जा रहाहै। ये चूजे 40 से 45 दिनों में लगभग 300 ग्राम के हो जाते हैं तब हमारी संस्था ही 45 रुपये प्रति बटेर पालकों से खरीद कर बाजार भेजने का प्रबंध करतीहै। वैशाली जिले में इस फाउंडेशन की योजना है कि यहां के चार प्रगतिशील किसानों का चुनाव करने के बाद उन्हें इज्जत नगर से प्रशिक्षण दिलवा कर यहां पर चार हैचरी का निर्माण कर बड़े स्तर पर बटेर पालन कर प्रतिदिन 500 बटेर बाजार भेजने का़ जिससे कि इस व्यवसाय से जुड़े किसान भाइयों को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सक़े जिले के सराय, महुआ, राजापाकर तथा भगवानपुर आदि प्रखंडों के कई बटेर पालकों ने बताया कि निकट भविष्य में बटेर पालन व्यवसाय को हमलोग एक नयी उंचाई तक ले जायेंग़े
पौष्टिक है बटेर का अंडा
बटेर के एक अंडे का वजन 10 ग्राम तथा मुरगी के अंडे का वजन 55 ग्राम का होता है परंतु मुरगी की अपेक्षा बटेर के अंडे में क्रमशरू वजन 10 रू 55, जर्दी 29 रू 25 प्रतिशत, सफेदी 55 रू 61 प्रतिशत, कैल्शियम 59 रू 57 ग्राम, फास्फोरस 220 ग्राम, लौह तत्व 3-7, विटामिन 0.12 रू 0.07 ग्राम, प्रोटीन 13 रू 10 प्रतिशत तथा बीटा बी 150 रू 50 ग्राम की मात्र में पाया जाताहै। इसकी पौष्टिकता को देखते हुए बटेर की कीमत मुरगे की कीमत से ज्यादा होने के बावजूद मांस प्रेमी बटेर के प्रति आकर्षित हो रहे हैं|
बनाए बटेर पालन को एक सफल व्यवसाय
व्यवसाय को लाखों में पहुंचाने प्रयास मांगनपुर के बटेर पालक गुड्डू कुमार, सरसई के अनुपम कुमार, नीरपुर के संजीव कुमार, कुतुबपुर के सुरेंद्र झा तथा मीरपुर प्रताड़ के राकेश राय ने बताया कि शुरुआत में 200 बटेर चूजों को 45 दिन तक पालन करने पर 12,500 रुपये की लागत आयी और 21,800 रुपये में बिक्री हुई़ खुले बाजार में एक बटेर की कीमत 60 रुपये तक मिल जाताहै। भगवानपुर प्रखंड के मुकुंदपुर गांव निवासी सुधीर कुमार शर्मा ने बताया कि हमारे पास 4,000 बटेर पालन का एक छोटा फर्महै। इस फर्म में हम अपने अन्य चार सहयोगियों के साथ पालन कर रहे है।अभी हमारा उत्पादन प्रतिमाह 1000 बटेर काहै। जिससे हमारे समूह से जुड़े सदस्यों की आय हजार में है निकट भविष्य में इनका ग्रुप इस व्यवसाय को बड़े स्तर पर करके अपनी वार्षिक आय लाखों में पहुंचाने का प्रयास कर रहाहै। चारा के रूप में जिला मुख्यालय हाजीपुर में 30 रुपये प्रति किलो की दर से खरीद कर अमृत नामक दाने का उपयोग कर रहे हैं|
बटेर को बेचने की उम्र लगभग पांच सप्ताह बटेर को बाजार में बेचने की उम्र लगभग पांच सप्ताह की होती है साथ ही जितने क्षेत्र में एक मुर्गी-मुर्गे को रखा जाताहै। उतने ही क्षेत्र में 8-10 बटेर को पाला जा सकताहै। एक बटेर लगभग दो से ढाई किलो दाना खाकर 300 ग्राम मांस देता है जो कि स्वादिष्ट होताहै। साथ ही इसका मांस मुर्गे की अपेक्षा महंगा भी बिकताहै। एक बटेर छह-सात सप्ताह में अंडे देने शुरू कर देतीहै। वर्ष भर में बटेर का पांच से छह बार पालन कर उत्पादन प्राप्त किया जा सकताहै। बटेर के अंडे का वजन उसके वजन का आठ प्रतिशत होता है जबकि मुरगी का तीन प्रतिशत ही होताहै। बटेर में रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होने के कारण इसमें बीमारियों का प्रकोप न के बराबर होताहै। फिर भी समय-समय पर चिकित्सक की सलाह के साथ बटेर पालन घर की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना जरूरी होताहै। जापानी बटेर को 70 के दशक में अमेरिका से भारत लाया गया था जो अब केंद्रीय पक्षी अनुसंधान केंद्र, इज्जत नगर, बरेली के सहयोग से व्यावसायिक रूप ले चुकाहै।
प्रतिदिन 1400 अंडों का हो रहा उत्पादन हाजीपुर-लालगंज रोड के किनारे गदाईसराय गांव में स्थित 2000 हजार बटेर पालन की क्षमता वाली से प्रतिदिन लगभग 1400 अंडों का उत्पादन हो रहाहै। रूपेश कुमार इस अंडा उत्पादन फर्म की देखभाल करते हैं इसके एक दूसरे साथी गुड्डू नामक नाबार्ड द्वारा मिली बाइक से अंडों और तैयार बटेर को लेकर अंडा प्रोसेसिंग यूनिट, पटना आते है।यहां से बटेर को उपभोक्ताओं को बेचा जाता है और अंडों से तैयार चूजों को लेकर वैशाली में सभी बटेर पालकों को चूजों की बुकिंग के हिसाब से वितरित करते है।पटना स्थित प्रोसेसिंग यूनिट में 17 दिनों की प्रोसेसिंग के बाद ही अंडों से चूजें निकलते है।यहां से तैयार किये गये चूजों को 15 रुपये प्रति पीस की दर से बटेर पालकों को इस संस्था द्वारा पालन के लिए दिया जा रहाहै।
जिलों में बटेर की मांग प्रेम यूथ फाउंडेशन के सचिव राजदेव राय ने बताया कि बिहार में मांस प्रेमियों के बीच बटेर की अच्छी मांगहै। हम अभी मांग के एक भाग की भी आपूर्ति नहीं कर पा रहे है।उन्होंने बताया कि बटेर पालन का व्यवसाय कम स्थान, कम समय व कम लागत से शुरू किया जा सकताहै। यही कारण है कि थोड़े ही समय में इस व्यवसाय के प्रति किसानों व उपभोक्ता दोनों का अच्छा रिस्पांस मिलने लगाहै। उन्होंने कहा कि बटेर चूजे की 60 हजार प्रतिमाह उत्पादन क्षमता की इकाई है जो स्वयं पंचमुखी एग्रो प्रोडूयसर कंपनी लिमिटेड नाबार्ड द्वारा संपोषित इकाईहै। आने वाले तीन तीन महीनों में यह व्यवसाय 60 लाख रुपये होने की संभावना है। इसके लिये विभिन्न जिलों से अंडे उत्पादन कराकर मांगायी जा रही है । बटेर पालन का व्यवसाय करने के लिए इस पते पर जानकारी प्राप्त की जा सकती है|
राजदेव राय पंच मुर्ति एग्रो प्रोडूयसर कंपनी लिमिटेड अशर्फी भवन हाजीपुर मोबाइल नं. -8877508513
स्त्रोत : संदीप कुमार,स्वतंत्र पत्रकार,पटना बिहार ।