परिचय
हमारे देश में फल एवं सब्जी का उत्पादन प्रति वर्ष क्रमशः 50 मिलियन टन एवं 94 मिलीयन टन हो रहा है, जो पूरे विश्व में दूसरे स्थान पर है। यदि उपलब्ध आंकड़ों पर ध्यान दें तो प्रतिवर्ष कुल उत्पाद की लगभग 37% भाग विभिन्न कारणों जैसे तुड़ाई उपरांत उचित देखभाल का न होना, भंडारण की समय, उपभोक्ताओं तक समय से न पहुच पाना आदि से खराब हो जाता है।
फल एवं सब्जियों के तुड़ाई उपरांत नुकसान
फल | नुकसान (%) |
सब्जी |
नुकसान (%) |
सेव |
14 |
पत्तागोभी |
37 |
केला |
20-80 |
फूलगोभी |
49 |
अंगूर |
27 |
प्याज |
16-35 |
नीबू |
20-85 |
टमाटर |
5-50 |
संतरा |
20-95 |
आलू |
5-40 |
पपीता |
40-100 |
झारखण्ड प्रदेश में सब्जियों जैसे मटर, टमाटर, फूलगोभी, फ़्रांसबीन, शिमला मिर्च का अच्छा उत्पादन हो रहा है। करीब-करीब पूरे वर्ष इन सब्जियों की उपलब्धता बनी रहती है। इसी तरह फलों में आम, लीची, अमरुद, केला, पपीता, नींबू एवं कटहल की अच्छी उपज होती है। राष्ट्रीय स्तर पर अगर उत्पादकता देखी जाए तो आम, लीची, केला आदि की प्रति हेक्टेयर उत्पादकता सबसे अधिक है।
फल एवं सब्जियों को बाजार में भेजने से पहले मूल्यवर्धन के मुख्य बिंदु
- उपभोक्ता हमेशा ऐसी ताज़ा, मुलायम, कीड़े एवं बीमारी रहित सब्जियों एवं फलों को पसन्द करता है जो देखने में अच्छा लगता है।
- कोमल अवस्था पर जब पूर्ण विकास हो जाए तभी तुड़ाई करनी चाहिए।
- जड़ वाली सब्जियों जैसे मूली, गाजर को देर में उखाड़ने से जड़ में खोखलापन आ जाता है। यदि प्याज एवं लहसुन को देर तक खेत में छोड़ दिया जाए तो भंडारण में उनकी गुणवत्ता प्रभावित होती है।
- सुबह या शाम जब मौसम ठंडा हो तभी तुड़ाई का कार्य करना चाहिए। पटीदार एवं पहल वाली सब्जियों की तुड़ाई जहाँ तक संभव हो चाकू से करना चाहिए।
- बाजार में भेजने से पहले उत्पाद को साफ पानी से धोकर छटाई करना बहुत आवश्यक है।
- फल एवं सब्जियों को उचित आकार के डिब्बों, टोकरी, दफ्ती के डब्बों पर रखकर भेंजने से बाजार एन मूल्य अधिक मिलता है। जैसे यदि उपलब्ध टमाटर, आम, अमरुद को श्रेणीकरण करके लकड़ी के डिब्बों में बंद करके बाजार में भेजा जाय तो मूल्य अधिक मिलेगा। ऐसा पाया गया है कि अभी भी बहुत से फल एवं सब्जियों को जूट के बोरों, बांस की टोकरी, कागज के गत्तों आदि में रखकर बाजार में भेजा जाता है। इनसे गुणवत्ता तो प्रभावित होती है ही साथ ही साथ उचित मूल्य भी नहीं मिलता है।
यदि मौसम विशेष में अधिक फल एवं सब्जी की उपलब्धता हो तो परिरक्षण विधि के द्वारा बेमौसम में भी इनकी उपलब्धता बढ़ाई जा सकती है। परिरक्षण का अर्थ है फल एवं सब्जियों को विशेष उपचारित के माध्यम से लंबे समय तक सुरक्षित रखना एवं तैयार उत्पादों को ऐसे समय में प्रयोग में लाना जब उनकी उपलब्धता न हो। इस प्रक्रिया में महिलाओं को जोड़कर अधिक रोजगार का सृजन किया जा सकता है।
झारखण्ड में उपलब्ध फल एवं सब्जियों से तैयार होने वाले प्रमुख परिरक्षित उत्पाद
फल/सब्जी |
तैयार होने वाले प्रमुख परिरक्षित उत्पाद |
आम |
शरबत , नेक्टर, स्क्वैश, मुरब्बा, अचार, चटनी |
अमरुद |
जैली, स्क्वैश, टाफी, नेक्टर, शर्बत |
आंवला |
मुरब्बा, जैम कैंडी, स्क्वैश, अचार, चटनी त्रिफला, चवनप्राश |
लीची |
जूस, नेक्टर, स्क्वैश, सीरप, डिब्बाबंद लीची, लीची नट |
पपीता |
जैम, कैंडी नेक्टर, आचार, पपेन |
केला |
सुखा केला (चिप्स) टॉफी |
नींबू |
जूस शरबत, आचार |
टमाटर |
सॉस, चटनी, ट्युरी, पेस्ट, जूस, सूप, टमाटर पाउडर |
फूलगोभी |
आचार, सुखागोभी, डिब्बाबंद गोभी |
गाजर |
जैम, आचार, मुरब्बा, कैंडी |
मटर |
डिब्बाबंद मटर, बोतल में बंद मटर, सुखा मटर, मिश्रित अचार। |
परवल |
डिब्बाबंद प्रबल, परवल की मिठाई |
फ्रेंचबीन |
आचार, डिब्बाबंद फ्रेंचबीन के टुकड़े |
मशरूम |
आचार, डिब्बाबंद मशरूम, सुखा मशरूम |
परिरक्षण के सिद्धांत
फल एवं सब्जियों में 70-95% तक नमी पाई जाती है। परिरक्षित पदार्थ बनाते समय इस बात का विशेष ध्यान दिया जाता है की तैयार पदार्थ में नमी की मात्रा इस प्रकार नियंत्रित की जाए की उत्पाद जल्दी खराब न हों। मुख्यतः इस प्रक्रिया में तीन सिद्धांतों का पालन किया जाता है।
क. सूक्ष्म जोवों द्वारा सड़ने से बचाना
- सूक्ष्म जीवों का आक्रमण न होने देना
- सूक्ष्म जीवों को हटाना/छानना
- सूक्ष्म जीवों के विकास को रोक देना
- सूक्ष्म जीवों को मारना।
ख. पदार्थों को पाने आप में सड़ने से बचाना
- पदार्थों के अंदर होने वाले एंजाइम की क्रियाशीलता को रोकना (ब्लोचिग)
- पदार्थों के अंदर होने वाले रसायनिक क्रियाओं को बंद करना अथवा देर तक रोककर रखना (चीनी, तेल, सिरका, नमक, मसला)
ग. पदार्थों की कीड़े, फफूंदों एवं यांत्रिक क्षति से बचाव
- पदार्थों को फफूंदों को आक्रमण से बचाना
- सूखे पदार्थों को धूल/पतंगों से बचाना
- पदार्थों या उससे डिब्बों/बोतलों को नुकसान से बचाना।
फल एवं सब्जी परिरक्षण के लाभ
- फल एवं सब्जी परिरक्षण एवं विज्ञान के साथ-साथ एक कला भी है। इस विधि से उनके उपयोगी पदार्थ तैयार करके उनका मूल्यवर्धन भी किया जाता है। जिससे अधिक आमदनी प्राप्त होती है।
- विभिन्न फलों एंव सब्जियों की उपलब्धता एक निश्चित समय विशेष पर होती है। शीत गृहों में भंडारण के फलस्वरूप कुछ अधिक समय तक इनकी उपलब्धता बढ़ाई जा सकती है। परिरक्षण के द्वारा पूरे वर्ष उपलब्धता बढ़ाई जा सकती है।
- फलों एंव सब्जियों को सड़ने तथा नुकसान होने से बचाया जा सकता है।
- हमारे देश में आधी जनसंख्या महिलाओं की है। प्राचीन काल से ही इनका योगदान अनाज, फल-फूल, सब्जियां उगाने तथा संरक्षण में सरहानीय रहा है। स्थानीय एवं सामूहिक स्तर महिलाओं के परिरक्षण से जोड़ने पर उनकी आमदनी बढ़ाई जा सकती है।
फल एवं सब्जी परिरक्षण द्वारा कम उदगोभी पदार्थ से भी अधिक मूल्य संबधित पदार्थ तैयार किये जा सकते हैं।
स्त्रोत एवं सामग्रीदाता : समेति, कृषि विभाग , झारखण्ड सरकार
Source