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Afara Rog पशुओ में अफरा रोग होने पर उनका उपचार कैसे करें?
नमस्कार दोस्तों आज की इस पोस्ट में हम अफ़रा रोग क्या होता है और इसका इलाज पशुपालक कैसे करे इस बारे में पूरी जानकारी बताएंगे।
पशु में अफ़रा रोग क्या होता है – परिचय
अफ़रा पशुओं में आमतौर और अचानक होने वाली बीमारी होती है।यह रोग पशुओं में अधिक खाने या दूषित खाने के कारण होता है। इस रोग में पशु के पेट में acidity अमोनिया,कार्बनडाई ऑक्साइड,मीथेन आदि दूषित गैस बन जाती है। इस गैस का दबाब छाती पर पड़ता है। और पशु को सास लेने में तकलीफ़ होती है। और पशु बेचन हो कर बेट जाता है या एक साइड लेट जाता है। पैर पटकने लगता है। यदि इस अवस्था में तुरंत इलाज नही किया जाये तो पशु कुछ घंटो में मर जाता है।
पशु में अफ़रा रोग का इलाज़ |
अफ़रा रोग के प्रमुख लक्षण:-
पशुओं में अफ़रा रोग की पहचान करने के लिए पशु पालक को निम्नलिखित लक्षणों का ध्यान रखना चाहिए।
- पशु को सास लेने में कठिनाई होना।
- जुगाली करना बंद कर देना।
- पशु का पेट बायें और अधिक फूल जाना।
- खाना और पानी पीना बंद कर देना।
- ज़मीन पर लेट कर पाँव पटकना।
- पशु के फूले हुए पेट पर धीरे धीरे देने से ढ़ोल जैसी डब डब आवाज़ करना।
- पेशाब मल त्याग बंद कर देना।
अफ़रा रोग किन किन कारणों से होता है:-
पशुओं में अफ़रा रोग का सीधा सम्बन्ध उसके खान पान से होता है।
- खाने में अचानक बदलाव करना।
- अत्यधिक मात्रा में हरा और सुख चारा एवं दाना खा लेना।
- बरसात के दिनों में कच्चा चारा अधिक मात्रा में खा लेना।
- गर्मी के दिनों में उचित तापमान न मिलना और पाचन क्रिया गड़बड़ाना और अपच हो जाना।
- चारे भूसे के साथ कीड़े और जहरीले जानवर खा जाना।
- बरसात के दिनों में दूषित पानी पी लेना।
- बिनौले जैसे तैलीय आहार का देना।
- हरा चारा बरसीम को खेत से काटकर सीधे पशु को खिलाना
- नए भूसे को अधिक मात्रा में देना।
- गेहू मक्का आदि अनाज ज्यादा मात्रा में खाने से।
अफ़रा रोग से बचाव के लिए क्या क्या करना चाहिए:-
पशु पालक निम्नलिखित बातों का ध्यान रख कर पशु को अफारे से बचा सकता है।
- चारा भूसा आदि खिलाने से पहले पानी पिलाए।
- प्रतिदिन पशु को खुला चरने देवे।
- दूषित चारा दाना भूसा और पानी न पिलाये ।
- हरा चारा जैसे बरसीम ज्वार रजका बाजरा काटने के बाद कुछ समय पड़ा रहने दे उसके बाद खिलाये।
- पशु को लगातार भोजन ना दे कम से कम 20 मिनट का अन्तराल जरूर दे।
- हरा चारा पूरी तरह पकने के बाद ही खिलाये।
- अचानक पशु के खान पान में परिवर्तन नही करे।
- पशु को चारा खिलाने के बाद तुरंत जोतना नही चाहिए
- मौसम में बदलाव होने पर पशु के लिए उचित तापमान की व्यवस्था करे।
अफ़रा होने पर घरेलू तरीके से प्राथमिक उपचार कैसे करे:-
पशुओं में अफ़रा एक जानलेवा बीमारी होती है। जहाँ तक हो सके जल्दी से जल्दी पशु चिकित्सक को बताना सबसे बेस्ट रहता है। लेकिन यदि पशु चिकित्सक के आने में ज्यादा समय लगता हो तो आप पशु को प्राथमिक उपचार के लिए नीचे बताये गये उपचार में से कोई भी उपचार कर के पशु को बचा सकते है।
- सबसे पहले पशु को बैठने ना दे उसे टहलाते रहे(घुमाते फिरते)
- एक लीटर छाछ में 50 ग्राम हींग और 20 ग्राम काला नमक मिला कर उसे पिलाए।
- सरसों अलसी या तिल के आधा लीटर तेल में तारपीन का तेल 50 से 60 मी.ली. लीटर मिला कर पिलाये।
- घासलेट यानि मिटटी के तेल में सूती कपड़े को भिगो कर उसे सुघाये
- आधा लीटर गुन गुने पानी में 15 ग्राम हींग घोल कर नाल द्वारा पिलाये।
- पतली सुई द्वारा पेट की गैस बहार निकले(यह कार्य सावधानी पूर्वक करना चाहिए पूरी जानकारी नही होने पर न करे।)
पशु में अफ़रा होने पर अन्य अफ़रा नाशक औषधिया
ऊपर दिए गये पशु के अफ़रा के घरेलू उपचार थे अब कुछ दवाइयाँ भी पशुपालक को अपने पास रखनी चाहिए ताकि समय पर उचित इलाज हो सके।
अफ़रा नाशक दवाइयों के नाम anti-bloats
1 Afron एफ़्रोन
इस दवाई में सोडाबाइकार्ब,हींग,मरीच,जिंजिबर होता है। यह बड़े पशुओं को जैसे बेल भैस आदि को एक लीटर गुननुने पानी में 50 ग्राम मिलकर नाल दुवारा दिया जाना चाहिए।
2 GARLILL
गार्लिल इस दवाई में हींग,कुटचा,सागर गोटा,प्रवाल पिष्टी,इंद्रा जो,लहसुन,उपलेट आदि होते है यह पाचन क्रिया में गड़बड़ी होने पर लाभदायक है। इसे 10 ग्राम मुँह के द्वारा देवे।
3 TIMPOL टीम्पोल
यह भी एक आयुर्वेदिक दवाई है। इसे 25 से 80 ग्राम गुनगुने पानी या LINSID तेल के साथ दिन में दो बार दे।
4 TYMPLAX टाईम्पलेक्स
यह पेट में वायु गोला अफ़रा आदि में काम आती है। 100 मी.ली.मुख द्वारा पिलाए।
Note:- किसी भी दवाई या तरीके का उपचार पशु पर करने से पहले उसके रोगों की पहचान करना अतिआवश्यक होती है। कोई भी दवाई देने से पहले अपने पशु चिकित्सक की सलाह अवश्य ले।
दोस्तों मैंने पूर्ण रूप से प्रयास किया है। की आपको पशु में होने वाले अफ़रा रोग की पूरी जानकारी एवं उपचार के तरीके बताऊँ यदि यदि कोई उपाय बाकी रह गया हो तो आप उसे कॉमेंट में जरूर लिखे ताकि आपके कॉमेंट को पढ़कर अन्य पशुपालक किसान दोस्तों को फ़ायदा हो सके।
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