परिचय
किसान खेती कर आर्थिक रूप से उन्नति के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं और लोगों को भी इसके लिए प्रेरित कर रहे हैं। वनस्पति शास्त्र से स्नातक व कंप्यूटर साइंस में पोस्ट ग्रैजुएट कर लगभग सात वर्ष तक अपनी प्राइवेट कंपनी की स्थापना कर नई दिल्ली में डायरेक्टर के पद पर रहे बिहार के सीवान जिला के बड़हरिया प्रखंड के सुंदरी गांव निवासी किसान उमाशंकर साह आज अपने खेत में बीज का उत्पादन कर रहे हैं। इसकी मांग दूसरे प्रदेशों में भी है। खेती की ही देन है कि उनका एक पुत्र इंजीनियर के पद पर प्राइवेट कंपनी में है व दो पुत्र क्रमश: इंजीनियरिंग व इंटर की पढ़ाई कर रहे हैं। शुरू से उनके घर में सब्जी की खेती होती आ रही है। 1985 से लेकर 1998 तक वे दिल्ली में रहे और वहां एक प्राइवेट कंपनी खोलकर शेयर का कार्य शुरू किया। आमदनी कम होने के कारण घर चले आये और अपने पिता व भाई के साथ खेती में हाथ बंटाने लगे। इसकी देन है कि आज वे डेढ़ एकड़ में सब्जी व बीज के साथ नर्सरी भी खोले हुए हैं। इससे उन्हें सालाना चार लाख से अधिक की आय हो जाती है। उनकी इस तरह की खेती को देखने के लिए दूसरे प्रदेशों से भी किसान आते हैं। कृषि विभाग की तरफ से वे कई बार भागलपुर जिले के बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में जाकर प्रशिक्षण भी प्राप्त कर चुके हैं।
सब्जी बीज उत्पादन व नर्सरी की शुरुआत की है
किसान उमाशंकर साह अपनी खेती में केवल जैविक खाद का ही प्रयोग करते हैं। उनके यहां गोभी, मिर्च , टमाटर, बैंगन सिह त अन्य सब्जी के बीज व नर्सरी में पौधे का उत्पादन किया जाता है। इसे खरीदने के लिए स्थानीय किसान तो आते ही हैं। इसके अलावा सीमावर्ती यूपी, झारखंड, असम से भी किसान व व्यापारी आते हैं। वे अत्याधुनिक विविध से इसको तैयार करते हैं। उन्होंने बताया कि इसी की देन है कि आज मेरे एक पुत्र रवि शंकर ने इंजीनियरिंग कर नौकरी कर रहा है।
आदर्श किसान क्लब की स्थापना भी की है
वे बताते हैं कि मेरे पिता जी खेती करते थे, तो मैं काफी छोटा था। उस समय मैं उनके साथ हाथ बंटाता था और खेती के साथ पढ़ाई भी करता था। उन्होंने डीएवी कॉलेज से वनस्पति शास्त्र से स्नातक किया है किसानों को खेती के संबंध में देते हैं जानकारी उमाशंकर साह ने आदर्श किसान क्लब की स्थापना की है। जहां वे किसानों को समय समय पर प्रशिक्षण देने का भी कार्य करते हैं। यहां किसानों को आधुनिक तरीके से खेती करने की जानकारी इनके द्वारा दी जाती है। ये हर समय खेती में ही अपना समय लगाते हैं। इसकी देन है कि जिला स्थापना दिवस के अवसर पर गांधी मैदान में विभाग की तरफ से इनका स्टॉल भी लगा हुआ था, जहां लोगों को उन्होंने बीज उत्पादन व नर्सरी के संबध में जानकारी जिला परियोजना निदेशक आत्मा केके चौधरी के साथ मिल कर दी। जिलाधिकारी महेंद्र कुमार व जनप्रतिनिधियों ने स्थापना दिवस के दिन इनके स्टॉल को देख कर सराहा था और इनके कार्य को अन्य किसानों को भी करने की बात कही थी।
लेखन : संदीप कुमार, स्वतंत्र पत्रकार