Table of Contents
Medicinal Plants औषधीय फसलों की खेती के बारे में जानकारी
1 Stevia ki Kheti / स्टीविआ की खेती
2 Artemisia ki Kheti / आर्टिमिसिआ की खेती
3 Lemongrass ki Kheti / लेमनग्रास की खेती
किसान को पौधे देने के साथ साथ प्रशिक्षण और तेल निकालने से ले कर मार्केटिंग तक की जानकारी उपलब्ध करवाता है। इसकी खेती करने के लिए पहाड़ी क्षेत्र उपयुक्त रहता है। जैसे की राजस्थान के बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ आदि|
लैमन ग्रास का पौधा साल भर में तीन बार उपज देता है। हर कटाई करने के बाद इसकी सिंचाई करने से उत्पादन में बढ़ोतरी होती है। lemon grass की खेती करने के लिए सर्व प्रथम अप्रैल मई माह में इसकी नर्सरी तैयार की जाती है। प्रति हेक्टेयर 10 किलो बीज काफी होता है।
जुलाई अगस्त में पौधे खेत में लगाने के लायक हो जाते है। इसके पोधों को क्यारी में 45 से 60 सेमी की दूरी पर लगाए जाते है। प्रति एकड़ में लगभग 2000 पौधे लगाए जा सकते है। इस फसल को बहुत ही काम सिंचाई की जरूरत होती है।
कम वर्षा होने पर इसकी सिंचाई आवश्यकता अनुसार कर सकते है। लेमन ग्रास की पहली कटाई 120 दिनों के बाद शुरू हो जाती है। उसके बाद दूसरी और तीसरी कटाई 50 से 70 दिनों के अंतराल में होती है। लेमन ग्रास के छोटे छोटे टुकड़े कर आसवन विधि से तेल निकाला जाता है। प्रति एकड़ में लगभग 100 किलो ग्राम तेल का उत्पादन होता है। जिसकी बाजार में कीमत 700 रूपये किलो से लेकर 900 रूपये किलो ग्राम तक होती है।
4 Satavar ki Kheti / सतावर की खेती
शतावरी को कई नामो से जाना जाता है जैसे शतावरी सतसुता लेकिन इसका वैज्ञानिक नाम एस्येरेगस रेसीमोसा है। इस औषधि का उपयोग शक्ति बढ़ाने, दूध बढ़ाने, दर्द निवारण एवं पथरी संबंधित रोगों के इलाज़ के लिए किया जाता है। सतावर की खेती करने के लिए 10 से 50 डिग्री सेल्सियस उत्तम माना जाता है।
इसके लिए खेत को जुलाई अगस्त माह में 2-3 बार अच्छी जुताई कर लेना चाहिए। अंतिम जुताई (अगस्त) के समय 10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद् प्रति एकड़ मिला लेना चाहिए। फिर 10 मीटर की क्यारी बना कर बीजो की बुआई करना चाहिए। बुआई ले लिए प्रति एकड़ 5 किलो बीज की आवश्यकता होती है। बाजार में सतावर के बीज का मूल्य 1000 किलो ग्राम तक रहता है।
बीज को बोने एक सप्ताह बाद हलकी सिंचाई करे। दूसरी सिंचाई जब पौधे बड़े हो जाये उसके बाद करना चाहिए। सतावर को बहुत ही काम सिंचाई की जरूरत होती है। जब पौधे के पत्ते पिले पड़ जाये तो इसकी खुदाई कर के रसदार जड़ों को निकाल ले। गीली जड़ों का उत्पादन प्रति एकड़ 300 से 350 क्विंटल तक होता है। खेत से निकली जड़ों को अच्छे से सफाई कर के तेज़ धूप में रखना होती है।
जब जड़े सुख जाती है तो उनका वजन घटकर 40 से 50 क्विंटल तक रह जाता है। बाजार में इन जड़ों की कीमत 250 से 300 प्रति किलो तक रहता है। सतावर की बिक्री दिल्ली, लखनऊ, कानपुर, बनारस में बड़े पैमाने पर होती है। सतावर के बीज उद्यानिकी विभाग, सीमैप और निजी दुकानों पर आसानी से मिल है।
5 Tulsi ki Kheti / तुलसी की खेती
तुलसी का पौधा प्राचीन समय से ही हर घर के लगया जाता रहा है। तुलसी का पौधा जितना पूजनीय है उससे कई ज्यादा उसमे औषधीय गुण होते है। तुलसी की खेती अब व्यावसायिक रूप में होने लगी है। तुलसी के पत्ते तेल और बीज को बेचा जाता है। तुलसी कम पानी और कम लागत में ज्यादा फ़ायदा देने वाली औषधीय फसल है।
भारत में कई सारी राज्य सरकारें तुलसी की खेती करने पर अनुदान भी उपलब्ध करवा रही है। तुलसी के बीज निजी दुकानों और आपके जिले के उधानिकी विभाग में भी आसानी से उपलब्ध हो जाते है। तुलसी के बीज बेचने के लिए मध्यप्रदेश की नीमच मंडी बेस्ट है। नीमच मंडी में सैंकड़ो प्रकार की औषधियों की खरीदी होती है।
यह भी पढ़ें –> तुलसी की खेती कैसे करे पूरी जानकारी पढ़े।
6 Aloevera ki kheti / ऐलोवेरा की खेती
दोस्तों एलोवेरा कई सारे नामो से जाना जाता है। जैसे घृतकुमारी,ग्वारपाठा,एलॉय आदि।
एलोवेरा एक औषधीय फसल है। जिसकी खेती भारत के कई सारे राज्यों में हो रही है। एलोवेरा के बारे में हमने बहुत अच्छी पोस्ट लिखी है जिसमे एलोवेरा की खेती कैसे करे कब सिंचाई करे कब और कैसे उत्पादन ले यदि आपने वो पोस्ट नही पढ़ी तो पहले उसे नीचे दी गयी लिंक को खोल कर जरूर पड़े
यह भी पढ़ें–> एलोवेरा की खेती कैसे करे पूरी जानकारी हिंदी में
इस पोस्ट को लिखने के बाद मुझे My Kisan Dost पर कई सारे सवाल मुझसे कॉमेंट में ईमेल के जरिए और फेसबुक पर पूछे गए में उन सवालों को आपके बीच में शेयर करना चाहुगा ताकि आपको भी benefit मिल सके। ज्यादा संख्या में पूछे गए महत्वपूर्ण प्रश्न
1 एलोवेरा की फसल कितना मुनाफ़ा, लाभ, कमाई होती है ?
दोस्तों यदि हम एक बीघे के हिसाब की बात करे तो (contract farming के अनुसार)
एक बीघे खेत में क्यारियों में 2 ⅹ 2 फिट की दूरी पर 6000 से 7000 पौधे लगाए जाते है। प्रति पौधा लागत 4 रूपये माने तो 7000ⅹ 4 रूपये =28000 रूपये ख़र्चा (अनु.)
एलोवेरा का पौधा लगाने के बाद 9-10 माह बाद फसल देने के लायक होता है। हर्बल कंपनियाँ 3 से 4 रूपये किलो पत्तियां खरीदती है। प्रति पौधे से हमें 3 से 7 किलो तक पत्तियां मिल जाती है। यदि हम एक बीघे में 7000 हजार पोधों से प्रति पौधा मात्र 3 किलो उत्पादन माने तो 7000 ⅹ 3 किलो =21000 किलो ग्राम ।
प्रति किलो 3 रूपये माने तो 21000 ⅹ 3 रूपये =63000 हजार रूपये अब खर्च को घटाए तो 63000-28000 =35000 रूपये शुद्ध मुनाफ़ा प्रति बीघे में उसके बाद भी 3 से 4 बार कटाई साल में होती है। और एलोवेरा को एक बार लगाने के बाद 4-5 सालों तक उत्पादन होता है।
2 Aloevera ki fasal kahan beche / ग्वारपाठा की मंडी कहा है / एलोवेरा की फसल कौन खरीदेगा?
दोस्तों ये सवाल बहुत ही लाज़मी भी है। अगर हम किसी भी फसल की मार्केटिंग के बारे में बिना सोचे उस फसल को लगाएंगे तो नुकसान होना तो निश्चित है। और बहुत से किसानों को नुकसान भी हुआ है। अब जब भी कोई नई फसल आप लगाए तो पहले उसे बेचने के लिए मार्केट जरूर conform कर ले।
अब मुद्दे की बात पर आते है भारत में एलोवेरा को कहाँ बेचें, तो भारत में सबसे ज्यादा एलोवेरा की खपत करने वाली कंपनियाँ-पतंजलि, हिमालया, डाबर और भी कई सारी हर्बल कंपनियां है जो की कॉन्टेक्ट फार्मिंग पर पौधे देती है और खरीदती है।
आप जिस भी कंपनी से या नर्सरी से पौधे ख़रीदे उसी के साथ बेचने का अनुबंध भी कर ले। किसी भी किसान दोस्त को ऐसी हर्बल कंपनियों के contact no या पते की जरूरत हो तो मुझे आप कॉमेंट या ईमेल अथवा facebook page पर message कर दे में आपको दे दूँगा।
इसके अलावा कोई हर्बल कंपनी चाहे तो वो अपना contact no भी पोस्ट कर दे ताकि किसानों को आपसे सम्पर्क करने में आसानी हो (website की लिंक पोस्ट ना करे सिर्फ text में लिखे link वाले comment publish नही होंगे)
एक और सवाल जो बहुत से किसान भाई पूछते है
3 Medicinal plants farming training kahan se le / औषधीय फसलो की खेती का ट्रेनिंग कहा से ले ?
इसके जबाब में आप लोगो को बताना चाहूंगा की भारत में औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान सीमैप के जरिये इन औषधीय फसलो पर रिसर्च के साथ साथ किसानों को समय समय पर मार्गदर्शन भी देती है। यह एक सरकारी संस्था है यह संस्था जानकारी देने के लिए कई मेले, सेमिनार का आयोजन करती है जिसमे किसान सीधे विज्ञानिकों से बातचीत कर सके साथ ही कई सारी लेख सामग्री भी प्रकाशित करती है।
यह संस्था पौधे देने के साथ उसकी मार्केटिंग आदि के बारे में भी जानकारी उपलब्ध करवातीं है। सीमैप का पता –Central Institute of Medicinal and Aromatic Plants
निर्देशक केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान CIMAP कुकरैल, लखनऊ-उत्तरप्रदेश फोन no 0522-2359623
CIMAP के चार रिसर्च सेंटर- बैंगलोर, हैदराबाद, पंतनगर, पुरार में है।
इसके अलावा आप अपने जिले के कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र और उधानिकी विभाग के अधिकारियों और कृषि विज्ञानिकों के सम्पर्क में रहो और जब भी किसी कृषि मेले, सेमिनार का आयोजन हो तो उसमे हिस्सा लो| इंटर नेट पर कृषि रिलेटेड आर्टिकल पढ़ो एवं कृषि लेख, पत्र, पत्रिका आदि को पढ़े।
मैने इस पोस्ट माध्यम से आपको औषधीय Medicinal and Aromatic Plants खेती करने के benefits और marketing के साथ training के बारे में बताया है।
यदि इस पोस्ट से जुड़ा आपका कोई सवाल या सुझाव हो तो हमें comments के जरिए जरूर बताये आप से बात कर के मुझे अच्छा लगता है।
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