- गर्मी में उगाया गया ज्वार या इसके काटने के बाद जड़ों से निकली हुई छोटी-छोटी फुनगी काफी जहरीली होती है। पशुओं को इसे नहीं खिलाना चाहिए।
- खेसारी, शरीफा, अकवन, धथूरा, कनैल की पत्ती अथवा फल पूर्ण जहरीले होते हैं। कनैल के पौधे के नीचे जमा पानी, जिसमें कनैल की पत्तियों गिरती रहती हैं, काफी जहरीला होता है।
- पुटुश तथा थेथर के पौधे खाने से अपने जानवरों खासकर बकरी एवं भेड़ों को बचाना चाहिए।
- बागवानी में लगे हुए पौधे के कतरन तथा दूब एवं अन्य घास, जिसमें अत्यधिक मात्रा में यूरिया या कीटाणुनाशक दवाओं का व्यवहार किया गया हो, खासकर गर्मी के दिनों में, जानवरों को नहीं खिलाना चाहिए।
- कीटाणुनाशक दवाओं का प्रयोग करते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए। बची हुई दवाई अथवा शीशी को जमीन के अंदर गाड़ दें। छिड़काव के कम से कम एक सप्ताह के बाद ही खेतों से निकाली गई घास एवं साग-सब्जी मनुष्य एवं जानवरों के खाने योग्य हो सकती है।
- जीवाणुनाशक एवं कीटाणुनाशक दवाओं के व्यवहार के बाद पशुओं से उत्पादित दूध, मांस तथा मुर्गियों के मांस एवं अंडे कम से कम 72 घंटे तक मनुष्य के खाने योग्य नहीं रहते हैं।
- घर में शादी-विवाह या अन्य समारोह के बाद बचे हुए जूठन खासकर भात, दाल, आलू, अन्य सब्जी एवं मिठाई का शिरा पशुओं को भूलकर भी नहीं खिलायें। इससे प्रत्येक वर्ष काफी जानवरों की मृत्यु हो जाती है।
स्त्रोत: कृषि विभाग, झारखंड सरकार