प्रसार एवं सामाजिक वानिकी
लोगों की दैनिक आवश्यकता के वनोत्पाद, जैसे लकड़ी, बांस, बल्ला, लट्ठा, चारा, फल आदि की पूर्ति हेतु आम जनता के सहयोग से निजी अथवा सरकारी जमीन पर वृक्षारोपण करना सामाजिक वानिकी है। सामाजिक वानिकी का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्ग, जैसे छोटे एवं सीमांत किसान, भूमिहीन एवं दैनिक मजदूर, अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा मथबोझिया महिलाओं को जलावन लकड़ी और चारा के संबंध में आत्मनिर्भर बनाकर उनका सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान करना है। वैसे तो सामाजिक वानिकी के अंतर्गत मुख्यत: आम जनता की भागीदारी से बंजर एवं परती भूमि पर बड़े पैमाने पर जनता की आवश्यकतानुसार वृक्षारोपण किया जाता है, किन्तु झारखंड राज्य में कृषि की विषम परिस्थितियों को देखते हुए वानिकी नितांत आवश्यक विकल्प प्रतीत होती है। अत: झारखंड के किसानों की समस्याओं के निदान हेतु कृषिवानिकी पर प्रकाश डालना आवश्यक है।
स्त्रोत: कृषि विभाग, झारखंड सरकार