बीएयू में खिले हॉलैंड के लीलियम फूल
बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के टेक्नोलॉजी पार्क में इन दिनों हॉलैंड के सुगंधित और रंग-बिरंगे लीलियम फूल खिलने लगे हैं। इनकी खूबसूरती और खुशबु लोगों को अनायास ही आकर्षित कर रही है। इन फूलों की खेती कर अच्छी कमाई की जा सकती है। बीएयू में अक्टूबर में लीलियम की नासविली, बैच और ब्रुनेलो वेराईटी के फूल खिल गए हैं। नासविली पीले रंग के, बैच सफेद और ब्रुनेलो नारंगी रंग के फूल हैं, जिनका उपयोग गुलदस्ता, बुके और सजावट में किया जाता है। वैसे लीलियम की और भी वेराइटियाँ हैं, लेकिन यहाँ फिलहाल तीन वेराईटी के फूलों के पौधे ही लगाए गए हैं। प्रति फूल 100-150 रूपए की दर से बिकती है।
सात दिन रहते हैं ताजा ये फूल
लीलियम फूलों की खासियत है कि ये जल्द खराब नहीं होते और तोड़े जाने के बाद सात-आठ दिनों तक उपयोग में लाए जा सकते हैं। बीएयू के हार्टिकल्चर डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष डॉ. के.के. झा ने बताया कि लहसुन के पोट के आकार के बल्ब से लीलियम के पौधे तैयार होते हैं। लीलियम पौधों के लिए 10-15 डिग्री सेल्सियस का तापमान मेंटेन रखना होता है। तीन महीने के अंदर पौधे तैयार हो जाते हैं। जरबेरा और गुलाब की तरह ही लीलियम फूलों की मार्केट डिमांड ज्यादा है। 25 डिसमिल यानि एक हजार वर्गफुट जमीन पर एकसाथ लीलियम के पाँच हजार बल्ब लगाए जा सकते हैं। बल्बों को 20 से 40 सेंमी. के फासले पर लगाया जाता है। वेराईटी के अनुसार लीलियम के पौधे 70 से 180 सेंमी. तक के होते हैं। बल्ब को 10-20 सेंमी. की गहराई में लगाया जाता है।
लीलियम पौधे को लगाने की विधि
डॉ. झा ने बताया कि सालभर में लीलियम के पौधे तीन दफा उगाए जा सकते हैं, जिससे 10-12 लाख की कमाई हो सकती है। उन्होंने बताया कि लीलियम के बल्ब लगाने के सबसे बेहतर मौसम जाड़े से लेकर वसंत ऋतु तक है। इसे लगाने के लिए मिटटी में नमी होनी चाहिए। मिटटी की खुदाई भी अच्छी तरह से होनी चाहिए और बल्ब लगाने के लिए मिटटी खुली होनी चाहिए। लीलियम के पौधे गमले में भी लगाए जा सकते हैं।
स्त्रोत: विकासपीडिया सामग्री टीम