क्षेत्र
प्राथमिक तौर पर सेब की खेती जम्मू एवं कश्मीर हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड की पहाड़ियों में की जाती है। कुछ हद तक इसकी खेती अरूणाचल प्रदेश, नगालैंड, पंजाब और सिक्किम में भी की जाती है।
वानस्पतिक नाम – मैलस प्यूपमिला
परिवार – रोसासिए
पौधा विवरण
यह एक गोलाकार पेड़ होता है जो सामान्य तौर पर 15 मी. ऊंचा होता है। ये पेड़ जोरदार और फैले हुए होते हैं। पत्ते ज्या दातर लघु अंकुरों या स्पूर्स पर गुच्छेदार होते हैं। सफेद फूल भी स्पेर्स पर उगते हैं।
उत्पति केन्द्र – पूर्वी यूरोप और पश्चिमी एशिया
परागण प्रणाली – संकर परागणित
गुणसूत्र सं. – 2n=34
पोषण स्तर
नमी (%) |
प्रोटीन (%)
|
वसा (%) |
खनिज तत्व (%)
|
फाइबर (%) |
कार्बोहाइड्रेट(%) |
कैलोरी (के कैल.)
|
|
84.6
|
0.2
|
0.5
|
0.3
|
1 |
13.4
|
59 |
|
खनिज |
|||||||
फास्फोरस (मि.ग्रा./100ग्रा.) |
पोटाशियम (मि.ग्रा. /100ग्रा.)
|
कैल्शियम (मि.ग्रा./ 100ग्रा.)
|
मैग्नीयशियम (मि.ग्रा./ 100ग्रा.)
|
आयरन (मि.ग्रा./ 100ग्रा.)
|
सोडियम (मि.ग्रा./ 100ग्रा.) |
तांबा (मि.ग्रा. /100ग्रा.)
|
|
14 |
75 |
10
|
7 |
0.66 |
28
|
0.1
|
|
मैंगनीज (मि.ग्रा./100ग्रा.) |
जिंक (मि.ग्रा. /100ग्रा.)
|
सल्फर (मि.ग्रा./100ग्रा.)
|
क्लोरिन (मि.ग्रा./100ग्रा.)
|
मोलिबलम(मि.ग्रा./100ग्रा.)
|
क्रोमलम (मि.ग्रा./ 100ग्रा.) |
|
|
0.14 |
0.06
|
7 |
1 |
0 |
0.008
|
|
|
विटामिन |
|||||||
कारोटिन (मि.ग्रा./100ग्रा.) |
थलामिन (मि.ग्रा./100ग्रा.)
|
रलबोफलविन (मि.ग्रा./100ग्रा.)
|
नलासिन (मि.ग्रा./100ग्रा.)
|
विटामिन सी (मि.ग्रा./100ग्रा.)
|
कोलेन (मि.ग्रा./100ग्रा.)
|
फोलिक एसिड मुक्त (मि.ग्रा./100ग्रा.)
|
|
0 |
0 |
0 |
0 |
0 |
321 |
0 |
|
फोलिक एसिड – जोड़ |
|||||||
0 |
|
|
|
|
|
|
फसल की कटाई
आमतौर पर सेब सितम्बर -अक्तूबर से फसल-कटाई के लिए तैयार होते हैं लेकिन नीलगिरि में ऐसा नहीं होता है जहां मौसम अप्रैल से जुलाई होता है। विकसित की गई किस्म पर निर्भर करते हुए पूर्ण पुष्प पुंज अवस्था के बाद 130-135 दिनों के भीतर फल परिपक्व होते हैं। फलों का परिपक्व रंग में परिवर्तन , बनावट, गुणवत्ता और विशेष स्वाद के विकास से जुड़ा होता है। फसल-कटाई के समय फल एकसमान , ठोस और भुरमुरा होने चाहिएं। परिपक्वन के समय त्वचा का रंग किस्म। पर निर्भर करते हुए पीला-लाल के बीच होना चाहिए। तथापि फसल-कटाई का सर्वोत्तम समय फल की गुणवत्ता और भंडारण की अभीष्ट अवधि पर निर्भर करता है। इर्राफ रूटस्टाएक की शुरूआत की वजह से, हाथ से चुनाई की सिफारिश की गई है क्योंकि इससे अभियांत्रिक फसल-कटाई के दौरान फल गिरने की वज़ह से ब्रूजिंग में कमी आएगी।
पैदावार
सेब के पेड़ पर चौथे वर्ष से फल लगने शुरू होते हैं। किस्म और मौसम पर निर्भर करते हुए, एक सुप्रबंधित सेब का बगीचा औसतन 10-20 कि.ग्रा./पेड़/वर्ष की पैदावार देता है।