कोडलिंग मोठ (साइडिया पोमोनिल्ला)
व्यस्क मादा मोठ विकसित हो रहे फलों तथा पत्तों पर अण्डे देती हैं। कीट का लार्वा सतह के किसी भी बिन्दु से फल में प्रवेश करता है और नीचे केन्द्र तक जाता है। अत्यधिक क्षति मूल क्षेत्र में होती है। नष्ट हुआ फल समय से पहले गिर जाता है।
कीट का नियंत्रण
नियंत्रण रणनीति में बड़े पैमाने पर फेरोमोन ट्रेपिंग (25 ट्रेप/है0), अप्रैल-जून के दौरान ओवर विंटरई कोकूनों का संग्रहण और नष्ट करना तथा अगस्त के दौरान गिरे फलों की गहराई में दबाना शामिल है। जून-जुलाई में 2-3 सप्ताह के अन्तराल पर फास्फामिडोन (0.04 प्रतिशत) के दो छिड़काव कीट नियंत्रण में प्रभावी होते हैं।
सेब क्लियरविंग मोठ (सिंथिडोन मायोपेफोरमिस)
यह सेब में सबसे महत्वपूर्ण कीटों में से एक है। लार्वा छाल में पीलिंग के लिए पुराने पेड़ों की छाल में सुरंगे बनाते हैं। यह छाल को अन्य खस्ताहाल जीवों द्वारा संक्रमण की संभावना से ग्रस्त बना देता है।
कीट का नियंत्रण
कीट नियंत्रण के लिए सर्दी छिड़काव (जब लार्वा भक्षण शुरू करता है) एवं गर्मी छिड़काव (जब व्यस्क दिखाई देते हैं) की सिफारिश की जाती है। लार्वा दिखाई देने पर तत्काल 20 दिनों के अन्तराल पर 3 बार क्लोरपिरिफोस (0.15 प्रतिशत) का छिड़काव किया जाता है।
वूली सेब एफिड (एरिसोमा लेनिगेरम)
वूली सेब एफिड सेबों पर हमला करने वाला एक गंभीर कीट है, और यह पूरे वर्ष जड़ से टहनी और टहनी से जड़ आता जाता रहता है। यह छोटा-सा, भूरे तथा हरे बैंगनी रंग का चूसने वाला एफिड है जो जड़ों, स्टेम तथा टहनी पर गाल बनाने हुए छाल तथा जड़ों पर आक्रमण करता है।
कीट का नियंत्रण
वांछित कल्टिवर की ग्राफ्टिंग के लिए अधिमानतः प्रतिरोधी रूटस्टॉक का प्रयोग किया जाना चाहिए। मई और अक्तूबर/नवम्बर के दौरान फोरेट अथवा कार्बोफुरान ग्रानुल्स का मृदा अनुप्रयोग कीट की घटना तथा फैलने की जांच करता है। मई और जून में दो बार क्लोरपाइरिफोस (0.02 प्रतिशत) अथवा फेनेट्रोथिओन (0.05 प्रतिशत) का छिड़काव करने से कीट प्रभावी ढंग से नियंत्रित होता है।
ब्लोसम थ्रिप्स (तेनिओथ्रिप्सस्प, थ्रिप्स फ्लावस, थ्रिप्स कारथामी, हाप्लोथ्रिप्स सेलोनिकस)
थ्रिप्स हमला गरम तथा शुष्क मौसम परिस्थितियों में होता है। उनसे फूलों को भारी क्षति होती है। थ्रिप्स द्वारा हमला किए गए फूल अपक्षय लक्षण दर्शाते हैं जिसके परिणामस्वरूप खराब फल सैट होता है अथवा विकास की शुरूआती अवस्थाओं में समय से पहले गिराव होता है। व्यापक रूप से फैले पुष्प विकृत फूल पैदा करते हैं जो एक ओर खुले होते है I
कीट का नियंत्रण
जैव-नियंत्रण तत्व जैसे क्रिसोपा स्प. और लेडीबई बीटल (कोकीनेल्ला सेप्टमपनटाटा) थ्रिप्स के परभक्षी के रूप में कार्य करते हैं। पिन बड अवस्था में क्लोरपाइरिफोस (0.04 प्रतिशत) अथवा फेनेट्रोथिओन (0.05 प्रतिशत) का फोलिअर अनुप्रयोग कीट के नियंत्रण के अनुशंसित किया जाता है।
रैड स्पाइडर घुन (पेनोकूस उल्मी)
कम सापेक्ष आर्द्रता घुन के बहुलीकरण में सहायता करती है। घुन की विभिन्न अवस्थाएं पत्तों की निचली सतह पर सफेद-रेशमी जालों से ढकी कॉलोनियों में पाए जाते हैं। व्यस्क पत्तियों के नीचे और स्परों पर लाल रंग के अण्डे देते हैं। निम्फ और व्यस्क सैल सेप को चूसते हैं और पत्तों पर कांस्य रंग के दाग दिखाई देते हैं। प्रभावित पत्ते चित्तीदार हो जाते हैं, भूरे रंग के हो जाते हैं और गिर जाते हैं।
कीट का नियंत्रण
परभक्षी जैसे कोकीनलिड्स, परभक्षी घुन और एंथोकोरिड बग घुनों की जनसंख्या कम करने में मदद करते हैं। डिकोफोल (0.05 प्रतिशत) और उसके बाद मालाथिओन (0.05 प्रतिशत) के साथ छिड़काव घुन पर्याक्रमण को प्रभावी ढंग से कम करता है।
सैन जोस स्केल (क्वादरासपिडिटस पेरनिसिअस)
पेड़ के रस को चूसते हुए तनों और शाखाओं की छाल पर राख के रंग के स्केल फीड करते हैं। प्रभावित छाल सतह पर भूरे से दाग दिखाई देते हैं। लाल रंग के धब्बे बनाने में अग्रणी फलों को कीट भी संक्रमित करते हैं।
कीट का नियंत्रण
फरवरी-मार्च के दौरान डाइजिनोन (0.04 प्रतिशत) का छिड़काव करने के बाद सर्दी में शिथिल पेड़ों पर 2 प्रतिशत मिसिबल ऑयल (6-8 लिटर/पेड़) का अनुप्रयोग कीट को नियंत्रित करता है।
रूट बोरर (डोरिस्थीनीज हुगेली)
रूट बोरर रेतीली दोमट मिट्टी में एक बहुत ही विनाशकारी कीट है। चमकदार चेस्टनट लाल झींगुर जुलाई-अगस्त के दौरान मिट्टी में अण्डे देते हैं। ग्रब्स केवल मात्र मोटी जड़ों पर संभरण करते हैं। नष्ट होने के लक्षण प्रायः तभी देखे जाते हैं जब काफी नुकसान पहले ही हो चुका होता है।
कीट का नियंत्रण
शुष्क और रेतीली मिट्टी पर सेब बगीचों के रोपण से बचना चाहिए। व्यस्क सितम्बर माह में फँसाए तथा मारे जाने चाहिएं। सितम्बर में क्लोरपाइीफोस (0.04 प्रतिशत) से पौधों की बेसिनों को भिगोना और फोलिडोल इस्ट (25 कि.ग्रा./है0) से झाड़ने से कीट प्रभावी रूप से कीट नियंत्रित करता है।
स्रोत: भारत सरकार का राष्ट्रीय बागवानी बोर्डSource