गन्ना बीज उत्पादन
बीमारी मुक्त व्यवसायिक नर्सरी उगाने के लिए जानकारियां:-
उगाने की स्थिति
बीज की फसल का उत्पादन सामान्य परिस्थितियों में करना चाहिए । देर से बिजाई एवं समस्या वाली भूमि में बीज का उत्पादन नहीं करना चाहिए ।
बीज का उपचार
बीज उत्पादन का मुख्य उद्देश्य गन्ने की विभिन्न बीमारियों जैसे कि गन्ने का घासी प्ररोह रोग और पेड़ी कुंठन रोग से मुक्त करना होता है । इसलिए गन्ने के बीज को बिजाई से पहले नम गर्म शोधन मशीन में उपचार करके बिजाई करें ।
गन्ने की आयु
गन्ने के बीज टुकड़े 8-10 महीने की फसल से लेने चाहिए । इससे ज्यादा आयु की फसल के एक तिहाई हिस्से से बीज लेना चाहिए ।
बिजाई का समय
फरवरी से अप्रैल
खाद की मात्रा
गन्ने में खाद की मात्रा 60 कि0 ग्रा0 नत्रजन, 20 कि0 ग्रा0 फास्फोरस तथा 20 कि0 ग्रा0 पोटाश प्रति एकड़ की दर से डालना चाहिए । शुरू में जल्दी, बढ़वार के लिए पूरा फास्फोरस व पोटाश बिजाई के समय, नत्रजन तीन बार बराबर-बराबर मात्रा में बिजाई के 30, 60, तथा 90 दिन बाद डालना चाहिए । इसके अतिरिक्त 20 कि0 ग्रा0 नत्रजन/एकड़ कटाई के 6-8 सप्ताइ पहले डालनी चाहिए जिससे कि स्वस्थ, ज्यादा नमी तथा ज्यादा अपचेय शर्करा की मात्रा का बीज मिल सके ।
फसल का बचाव
आम फसल की तरह
गन्ने की फसल के लिए समग्र सिफारिशे
बिजाई के लिए उपयुक्त समय
- बसन्त कालीन बिजाई-मध्य फरवरी से मार्च के अन्त तक
- असौज (शरदकालीन) बिजाई-सितम्बर के दूसरे पक्ष से अक्टूबर के पहले पक्ष तक
पंक्ति से पंक्ति की दूरी
- 75 से.मी. कम उपजाऊ मिट्टी और सूखे की हालत के लिए ।
- 90 से.मी. उपजाऊ मिट्टी और बसन्त कालीन बिजाई के लिए ।
- 120 से.मी. असौज (शरदकालीन) में अन्तः फसल के साथ बिजाई के लिए ।
बीज की मात्रा
90 से.मी. की दूरी पर बिजाई करके 35-45 कु0 बीज गन्ना प्रति एकड़ (12 आँख प्रति मीटर की दर से)
- एक आँख के बीज टुकड़े: 53,000-53,500 प्रति एकड़
- एक आँख के बीज टुकड़ों को एक दूसरे के सिरे मिलाकर: 31,000-31,500 प्रति एकड़ (40-50: बीज की बचत)
- दो आँख के बीज टुकड़े: 26,500-27,000 प्रति एकड़
- तीन आँख के बीज टुकड़े: 17,500-18,000 प्रति एकड़
बीज का उपचार
- बीमारी रहित स्वस्थ बीज गन्ना ही इस्तेमाल करें ।
- बिजाई से पहले गन्ने के बीज टुकड़ों को कार्बेन्डाजिम के घोल में पाँच मिनट तक डुबोकर उपचार करें (100 ग्रा. कार्बेन्डाजिम को 100 ली. पानी में घोलकर 35 कु0 बीज गन्ना उपचार करें) ।
- बीज गन्ना (नर्सरी) वाले खेत की बिजाई से पहले नम गर्म शोधन मशीन में 54 डिग्री से0 तापमान पर एक घंटे के लिए उपचार करें ।
- गोबर की सड़ी खाद या कम्पोस्ट 4-5 टन प्रति एकड़ गन्ना बिजाई से पहले डालें । गन्ना बिजाई से पूर्व हरी खाद जैसे ढै़चा (13 कि0ग्रा0 बीज प्रति एकड़) या मुंग (6 कि0ग्रा0 बीज प्रति एकड़) की बिजाई करके 1 से 1ण्1ध्2 माह की अवस्था में हरी खाद को डिस्क हैरो की सहायता से मिट्टी में मिला दें ।
उर्वरक
नौलफ गन्ना: 60:20:20 कि0 ग्रा0 नत्रजन: फास्फोरस: पोटाश प्रति एकड
पेडी गन्ना : 90:20:20 कि0 ग्रा0 नत्रजन: फास्फोरस: पोटाश प्रति एकड
- 50 कि0ग्रा0 डी0ए0पी0 और 33 कि0 ग्रा0 म्यूरेट आॅफ पोटाश बिजाई करने से पहले खूड़ों मे डालें ।
- 50 कि0ग्रा0 यूरिया प्रति एकड़ बिजाई करने के 45 दिन बाद डालें ।
- 50 कि0ग्रा0 यूरिया प्रति एकड़ बिजाई करने के 90 दिन बाद डालकर मिट्टी चढ़ा दें ।
सिंचाई
- मानसून के पहले 10 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करें ।
- मानसून के दौरान आवश्यकतानुसार सिंचाई करें ।
- मानसून के बाद 25 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करें ।
खपतवार नियंत्रण
गन्ना बिजाई से पहले कई बार खेत की जुताई करने से और धान के साथ फसल चक्र अपनाने से खरपतवारों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है । जिन खेतों में खरपतवारों की काफी समस्या है ऐसे खेतों में जुताई करने के बाद सिंचाई कर दें । फिर जो खरपतवार उगते हैं । उन पर पैराक्वाट 2.5 मि.ली. प्रति ली. पानी में छिड़काव करें । अगर बहुवर्षीय खरपतवार जैसे हरियाली घास (सायनाडोन) और मोथा (सायपरस) की समस्या हो तो पैराक्वाट की जगह ग्लायफोसेट 2.5 मि.ली. प्रति ली. पानी का छिड़काव करें ।
बिजाई करने के 2-3 दिन बाद एट्राजिन 2 कि0ग्रा0 प्रति एकड़ की दर से 350-400 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें । अगर गन्ने के साथ सब्जी, दलहन या तिलहनी अन्तः फसलें हैं तो एट्राजीन का छिड़काव ना करें । मैट्रीब्यूजिन (सिकोंर) 0.3 कि0ग्रा0 प्रति एकड़ या एलाक्लोर या आॅक्सीलोरफेन (गेल) 0.5 ली. प्रति एकड़ का छिड़काव करें । गन्ने के साथ गेहूं की अन्तः फसल होने पर आईसोटयूराॅन (ग्रामिनोन) 0.4 कि0ग्रा0 सक्रिय पदार्थ प्रति एकड़ का छिड़काव करें ।
बिजाई के 45 दिन बाद हाथ की सहायता से खुरपी आदि से गुड़ाई करें और फिर 60 तथा 90 दिन बाद गुड़ाई करें । अगर चैड़ी पत्ती वाले खरपतवार अधिक हैं, तो खरपतवार उगने के बाद 2,4-डी 0.4 कि0ग्रा0 प्रति एकड़ का छिड़काव करें ।
मिट्टी चढ़ाना
- बिजाई के 90 दिन बाद गन्ने की फसल पर हल्की मिट्टी चढ़ायें ।
- जून माह के आखिरी सप्ताह में या मानसून से पहले पूरी मिट्टी चढ़ा दें ।
- अगस्त माह के आखिरी सप्ताह से सितंबर के दूसरे पखवाड़े के बीच दूसरी बंधाई करें ।
हानिकारक कीड़ों की रोकथाम
- बिजाई के समय दीमक तथा कनसुआ की रोकथाम के लिए दोे लीटर क्लोरपायरीफाॅस को 350-400 लीटर पानी में घोलकर बिजाई के समय बीज टुकड़ों पर छिड़काव करें ।
- जून माह के अन्तिम सप्ताह से जुलाई माह के पहले सप्ताह में चोटी बेधक के लिए कार्बोफ्यूराॅन 13 कि0 ग्रा0 प्रति एकड़ खूड़ों में डालकर सिंचाई करें या अप्रैल माह से मई माह के पहले सप्ताह में रेनेक्सीपीयर 20 एस.सी. 150 मि.ली. प्रति एकड़ की दर से 350-400 लीटर पानी में घोलकर जड़ों के साथ छिड़काव करके सिंचाई करें ।
- अगर माह में अगर जड़ बेधक की समस्या दिखाई दे तो क्लोरपायरीफाॅस 2 ली0 प्रति एकड़ 350-400 लीटर पानी में घोलकर सिंचाई के साथ दें ।
- समेकित कीट नियंत्रण अपनायें ।
बीमारियों का प्रबंधन
रोगरोधी किस्मों का चुनाव, रोग रहित स्वस्थ बीज का उपयोग तथा समेकित उपाय अपनाकर गन्ने की फसल को बीमारियों से बचाया जा सकता है ।
पैदावार
350-400 कु0 प्रति एकड़.
स्रोत-
- गन्ना प्रजनन संस्थान