परिचय(Introduction)
टमाटर वर्ष भर उगाया जा सकता हैं तथा इसका उत्पादन करना बहुत सरल हैं। टमाटर का उपयोग सब्जी सूप, सलाद, अचार, केचप, फ्यूरी एवं सास बनाने में किया जाता हैं। यह विटामिन ए., बी. और सी का अच्छा स्त्रोत हैं। इसके उपयोग से कब्ज दूर होता हैं।
टमाटर उत्पादन के लिए भूमि का चुनाव (Land selection for Growing Tomato)
यह सब्जी हर तरह की जमीन पर लगायी जा सकती है। बलुई-दुमट मिट्टी जिसमें जल निकास अच्छा हो टमाटर की खेती के लिये ज्यादा उपयुक्त होती हैं। भूमि का पी. एच.मान 6 से 7 तक होना चाहिये।
टमाटर उत्पादन हेतु भूमि की तैयारी (Land preparation for Tomato)
दो या तीन बार जुताई करने के बाद दो बार बखर चलाकर मिट्टी को अच्छी तरह से भुरभुरी बना लेना चाहिये। तथा पाटा लगाकर खेत को समतल बना लेना चाहिये।
टमाटर की जातियां (Tomato varieties)
1.पूसा रूबी
फल मध्यम आकार के गोल तथा पकने पर लाल रंग के होते हैं। इस किस्म में संक्रामक रोग कम लगता हैं। फसल 129-125 दिन तक रहती हैं।
2.पंजाब छुहारा
यह पंजाब कृषि विश्व विद्यालय लुधियाना द्वारा विकसित की गयी हैं। इसका फल छुहारे के समान लंबा होता हैं। फल काफी लगते है। फल पकने पर लाल व पीला होता हैं। यह गर्मी के लिये उपयुक्त किस्म हैं
3.पूसा शीतल
यह किस्म भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद दिल्ली से विकसित की गयी। इस किस्म की कास्त अधिक ठंड वाले स्थानों पर भी जहां रात्रि का तापक्रम 8 से. ग्रे. तक गिर जाता है आसानी से की जा सकती है। यह एक नियत कालिक किस्म हैं पौधा लगभग 60 से.मी. उंचा होता हैं। पके हुये फल आकर्षक चपटे गोलाकार होते हैं। उपज 350 से 370 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती हैं। यह किस्म पहाड़ी क्षेत्रों के लये अधिक उपयुक्त हैं।
4.सोनाली
यह किस्म कोकन कृषि विद्यापीठ दापोली (महाराष्ट्र) से विकसित की गयी हैं। यह किस्म बैक्टीरियल विल्ट रोधी हैं। पौधा लगभग 70 से.मी. उंचा एवं अधिक फलने वाला होता हैं। फसल 120 से 140 दिन में तैयार हो जाती हैं। फल का आकार अंडाकार एवं रंग आकर्षक होता हैं। इस किस्म से 400-500 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिलती हैं। यह किस्म बैक्टीरियल विल्ट ग्रसित क्षेत्रों के लिये अधिक उपयुक्त हैं।
5.अर्का सौरभ
यह किस्म भारतीय अनुसंधान हिसारगट्टा बैगलोर से विकसित की गयी। यह नियत कालिक किस्म हैं जो बड़े आकार के अति उत्तम आकर्षक लाल रंग के फल देती हैं। 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिलती हैं।
6.जवाहर टमाटर-99
फल मध्यम, बड़ा और गोल होता हैं। फल गूदेदार एवं कम बीज वाला होता हैं। फल गुच्छे में आते हैं। इसकी फसल जल्द आती हैं एवं फल एक साथ पकते हैं। जिससे तुड़ाई में आसानी होती हैं उपज 275 से 300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिलती हैं।
संकर जातियाँ
1.उत्कल दीप्ती
यह किस्म उड़ीसा कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से विकसित की गई हैं। फल छोटे एवं मध्यम गोल, फलो की संख्या 6-8 फल प्रति गुच्छे में आते हैं। अच्छी रखरखाव क्षमता वाली किस्म हैं। 80-85 दिनों की अवधि की फसल हैं। प्रमुख तौर पर वैटीरियल विल्ट एवं नेमोटोड रोधी हैं। उसकी उपज लगभग 400 क्विं/हे. प्राप्त कर सकते हैं
2.उत्कल पल्लवी
फल छोटे मध्यम आकार के 6-12 फल प्रति गुच्छे में आते हैं। यह किस्म वैक्टीरियल विल्ट रोधी 85 से 90 दिनों की अवधि की फसल हैं इनकी उपज लगभग 375 क्विं/हे. तक प्राप्त कर सकते हैं।
अन्य किस्में जैसे उत्कल कुमारी, उत्कल उर्वषी, उत्कल राजा, उत्कल गायत्री जो वैक्टीरियल विल्ट अवरोधी है तथा उनकी उपज भी अच्छी प्राप्त होती हैं।
फसल चक्र
भिण्डी – टमाटर – तर ककड़ी/खीरा
बरबटी – टमाटर – करेला
खीरा – टमाटर – लौकी
टमाटर के बीज एवं बीजोपचार (Seed Treatment)
टमाटर का बीज 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से लगता हैं। नर्सरी में बीज बोने के पूर्व थायरम या डायथेन एम – 45 नामक 3 ग्राम दवा की प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।
बोने का समय(Sowing time of Tomato)
नर्सरी में बीज साल में तीन बार बोया जा सकता है जैसे जून-जुलाई, अगस्त-सितम्बर तथा अक्टूबर-नवम्बर में बीज बोने के 4-5 सप्ताह बाद पौधे खेत में लगाने योग्य हो जाते हैं।
रोपड़ी तैयार करना
पौध शाला की मिट्टी को कीटाणु एवं रोगाणु रहित करना अति आवश्यक हैं। इसके लिये क्यारियों को सौर ऊर्जा से उपचारित करें। इसमें तैयार क्यारियों (3.5 मी. ग 1.0मी.) को पोलीथिन शीट से ढंककर करीब 20 से 25 दिन तक रखें। बोवाई के 10 दिन पहले प्रत्येक क्यारियों में 10-20 कि.ग्राम अच्छी सड़ी गोबर की खाद तथा 500 ग्राम 15:15:15 सकुल उर्वरक डालिये। नर्सरी क्यारियों में कतार से कतार 10 से.मी. और बीज की दूरी 5 से.मी. (कतार में) रखते हुये एक इंच की गहराई पर बीज को बोयें। बोवाई के बाद क्यारियों को कांस अथवा सूखे पुआल से ढंक दीजिये, इसके तुरंत बाद सिंचाई करना चाहिये। आवश्यकतानुसार सिंचाई और पौधे संरक्षण करते रहना चाहिये।
पौध रोपाई
अच्छी तरह तैयार खेत में सांयकालीन समय में कतार से कतार 60 से.मी. तथा पौधे से पौधे 30-45 से.मी. की दूरी रखते हुये रोपाई करें तथा सिंचाई करें।
टमाटर के खाद एवं उर्वरक(Fertilizers requirement for Tomato)
20-25 टन अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद 50 किलो स्फुर तथा 50 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर की दर से खेत की तैयारी करते समय डाल देना चाहिये। नत्रजन 100 किलो जिसकी एक तिहाई मात्रा पौधा लगाने के पूर्व तथा बाकी दो तिहाई पौधा लगाने के बाद दो बार में 20 दिन तथा 40 दिन बाद डाल देना चाहिये।
सिंचाई(Irrigation water requirements of Tomato)
टमाटर की फसल में आवश्यकता होने पर हल्की सिंचाई करें आवश्यकता से अधिक सिंचाई करने पर फसल पर हानि कारक प्रभाव पड़ता हैं। वर्षा ऋतु में सामान्य वर्षा होने पर सिंचाई की आवश्यकता नही पड़ती हैं । ठण्ड के दिनों 10-12 दिनों के अंतर से तथा गर्मी में 5-6 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करना चाहियें। यदि पाला पडने की सम्भावना हो तो खेत की आवश्यक रूप से सिंचाई करें।
निदाई गुड़ाई(Weeding)
खेत को खरपतवारों से साफ रखने तथा फसल वृद्धि के लिये निंदाई गुड़ाई आवश्यक हैं। परन्तु यह गुड़ाई करते समय ध्यान रखे कि गुड़ाई अथली हो जिससे पौधे की जड़ो को नुकसान न हो। रासायनिक नींदा नियंत्रण हेतु लासों ई सी. 50 का 4 लीटर में 1000 लीटर पानी मिलाकर रोपाई के दो दिन पूर्व छिड़काव करें। इस रसायन का प्रभाव केवल 45 दिन तक ही रहता हैं।
अन्य कार्य
बरसात में फलों को सड़ने से बचाने के लिये पौधों को बांस या लकड़ी के सहारे जमीन से उपर रखते हैं पत्तियों पर कैल्सियम अथवा मैग्नीशियम सल्फेट के 0.3 प्रतिशत का छिड़काव करने से फल कम फटते हैं। छिड़काव पौधे लगाने के एक महीने बाद दो बार 15 दिन के अंतर से करना चाहियें।
पौध संरक्षण(Plant Protection)
अ) टमाटर के कीट(Tomato insect pests)
१.माहू (एफिडस्) और फुदका (जेसिडस्)
इसके कीट के बच्चे और वयस्क पत्तियों का रस चूसकर नुकसान पहुंचाते हैं। इसकी रोकथाम के लिये एमीडाक्लोपिरिड 150 मि.ली. प्रति हेक्टेयर की दर से या डायमेथियेट 30 ई.सी. -0.03 प्रतिशत या मिथाइल डेमिटान 25 ई.सी. 0.05 प्रतिशत का छिड़काव करें।
२.फल खाने वाला कीड़ा
चने की इल्ली फलों के भीतर घुसकर खाती हैं। इसके फसल को बचाने के लिये कारबोरिल 50 डब्ल्यू पी. 1500 ग्राम या फोसेलान 35 ई.सी. का 1000 मि.ली. प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करें।
ब) टमाटर की बीमारियां( Tomato Diseases)
१.अर्ली ब्लाईट
पत्तियों पर मटमैले भूरे रंग के धब्बे हो जाते हैं। इसकी रोकथाम के लिये जिनेव का 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 15 दिन के अंतर से छिड़काव करें।
२.बेक्टीरियल बिल्ट
पौधे मुरझाकर सूख जाते है। इसका आक्रमण कम करने के लिये रोग ग्रस्त पौधों को उखाड़कर फेंक दे और स्ट्रेप्टोसाइक्लिन 1 ग्राम दवा प्रति 3 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
३.वायरस
पौधों की पत्तियां छोटी हो जाती है तथा सिकुड़ जाती हैं। इसमें फसल को बचाने के लिये रोगग्रस्त पौधों को उखाड़कर फेंक दें।
नोट:-
- यदि फसल में जेसिडस् व एफिडस् का आक्रमण दिखाई दे तो कीटनाशक दवाओं का छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर करें।
- बोवाई व रोपाई के समय थिमेट या फोरेट 15 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर की दर से खेत में डालने पर विषाणु का प्रभाव 40 दिनों तक नही होता।
फल तुड़ाई
- टमाटर के फलों की तुड़ाई उसके उपयोग के अनुसार करना चाहिये।
- परिपक्व हरे फलों को दूर बाजार में भेजने के लिये तोड़ना चाहियें।
- पिंक स्टेज के फलों को लोकल बाजार में भेजने की लिये तोड़ना चाहिये।
- पके फलों को घर में उपयोग के लिये तोड़ना चाहिये।
- पूरी तरह पके फलों को तभी तोड़े जब फल 24 घण्टे में संरक्षित पदार्थ बनाने में उपयोग हो।
उपज(Tomato yield per acre)
टमाटर की उपज, किस्म, भूमि के प्रकार सिंचाई रोपाई के समय, पौध संरक्षण और कीट एवं बीमारियों के प्रकोप पर निर्भर करती हैं। सामानयतः टमाटर की औसतन उपज 200-300 क्विं समान्य जाति में तथा 300 से 400 क्विं संकर में/हे. पा्रप्त कर सकते हैं।
Source-
- Jawaharlal Nehru Krishi VishwaVidyalaya,Jabalpur,Madhya Pradesh.