परिचय
ज़ीरो टिलेज तकनीकी का मतलब खेत से धान कटाई के तुरंत बाद बिना जुताई के गेहूँ की सीधी बुआई। ज़ीरो टिलेज गेंहूँ की बुआई की एक बहु उपयोगी और लाभकारी तकनीकी है। ज़ीरो टिलेज से बुआई के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन की गई बीज संग उर्वरक डालने वाली मशीन या ज़ीरो टिल का प्रयोग किया जाता है। इस पद्यति से बुआई करने से खेत की तैयारी में लगने वाले धन और समय की बचत होती है तथा बुआई लगभग 10 दिन पहले की जा सकती है।
इस तकनीकी में उर्वरक एवम बीज के साथ ही संरक्षित नमी का समुचित उपयोग करते हुए गेंहूँ की अगेती बुआई आसानी से की जा सकती है। इसमें फसल का जमाव समान रूप से होता है एवम कम खर्च में अधिक पैदावार संभव है।
इस मशीन के फाले ऐसे बने होते हैं की वह खेत में एक चीरा बनाने के साथ ही बीज व खाद को उचित गहराई (3-5 से.मी.) पर डाल देती है। इस मशीन में 9 से 11 फालें होती हैं। यह 25 या उससे अधिक हार्सपावर वाले ट्रैक्टर से आसानी से चलायी जा सकती हैं। मशीन से एक एकड़ खेत की बुआई एक घंटे में आसानी से की जा सकती हैं।
ज़ीरो टिलेज मशीन में बीज और खाद बॉक्स में अलग-अलग रखने की व्यवस्था होती हैं। बुआई के समय पाइप के द्वारा बीज और उर्वरक पंक्ति में गिरते हैं तथा इनका समुचित उपयोग होता है। पंक्ति से पंक्ति की दूरी आवश्यकतानुसार समायोजित किया जा सकता हैं।
सामान्यत: गेंहूँ बुआई के लिए धान की कटाई के बाद खेत की तैयारी में कम से कम 5 से 6 बार जुताई करनी पड़ती हैं और पाटा चलाना पड़ता है। जिससे कम से कम 8-9 बार खेत में ट्रैक्टर चलता है। ऐसी पारम्परिक विधि में अधिक खर्च होता है और समय भी अधिक लगता है। यदि गेंहूँ की बुआई बिना जोते खेत में की जाए तो समय और डीजल की भी बचत होती है।
ज़ीरो टिलेज मशीन से बुआई करने की विधि
उपयुक्त नमी
धान की कटाई के बाद खेत में उपयुक्त नमी होना आवश्यक है। बिना जुताई वाले खेत में अगर पैर का हल्का निशान पड़ता है तो बुआई के लिए उपयुक्त है। यदि खेत में नमी कम हो तो धान की कटाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई कर दें।
खरपतवार नियंत्रण
यदि खेत में खरपतवार अधिक हो तो बुआई के पूर्व खरपतवारनाशी का प्रयोग करें।ग्लाइफोसेट 41%—400 ग्राम सक्रिय तत्व (1 लीटर/ एकड़ )100—150 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
यदि खेत में कहीं कहीं खरपतवार है तब उन जगहों पर 1-1.5% खरपतवार नाशी का छिड़काव करें।
॰ छिड़काव बुआई के 2-3 दिन पहले करें।
॰ छिड़काव हमेशा फ्लैट फ़ैन नोज़ल से ही करें।
॰ इस खरपतवारनाशी का छिड़काव जमी हुई फ़सल से न करें।
जमाव पश्चात
प्रमुख खरपतवार | खरपतवारनाशी |
उत्पाद (मिली ग्राम या मिली लीटर /एकड़) |
मिश्रित खरपतवार |
टोटल (सल्फोसल्फ़्यूरॉन+मेटसल्फ़्यूरॉन) |
16 ग्राम (12 ग्राम +0.8 ग्राम सक्रिय तत्व /एकड़) |
वेस्टा ( क्लोडिनाफोप+ मेटसल्फ़्यूरॉन) |
160 ग्राम (24 ग्राम + 1.6 ग्राम सक्रिय तत्व/एकड़) |
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संकरी पत्ती वाले खरपतवार |
लीडर /सफल/फतह (सल्फोसल्फ़्यूरॉन) |
13.3 ग्राम (10 ग्राम सक्रिय तत्व/एकड़) |
टॉपिक (क्लोडिनाफाव्प) |
160 ग्राम (24 ग्राम सक्रिय तत्व/एकड़) |
खरपतवार नियंत्रण
प्रमुख खरपतवार |
खरपतवारनाशी |
उत्पाद (मिली ग्राम या मिली लीटर /एकड़) |
2,4 –डी,सोडियम साल्ट |
400 ग्राम (187.5 ग्राम सक्रिय तत्व/एकड़) |
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चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार |
एफिनिटी (काफ़्रेन्ट्राजोन) |
20 ग्राम ( 8 ग्राम सक्रिय तत्व/एकड़) |
एलग्रिप (मेटसल्फ़्यूरॉन) |
8 ग्राम (1.6 ग्राम सक्रिय तत्व/एकड़) |
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** अगर सोलेनम खरपतवार हो तो एफिनिटी (काफ़्रेन्ट्राजोन) का प्रयोग करें। सल्फोसल्फ़्यूरॉन को काफ़्रेन्ट्राजोन में मिलाकर प्रयोग किया जाता है अगर ये खरपतवार दूसरे मिश्रित खरपतवारों के साथ हैं तो। |
उन्नत किस्में व बीज दर
- उन्नत किस्में
एच डी 2967 , एच डी 2733 , एच डी 2824, पी बी डबल्यू 502 और पी बी डबल्यू 550 तथा अन्य क्षेत्रीय विश्वविद्यालय संस्तुत किस्में।
- बीज दर
ज़ीरो टिलेज से बुआई करने के लिए बीज की मात्रा 40-45 किग्रा॰ प्रति एकड़ उपयुक्त है।
बुआई का समय
अधिक उपज के लिए 1 नवम्बर से बुआई शुरू करें। ध्यान रखें कि हर हाल में आप 25 नवम्बर से पहले गेहूँ कि बुआई कर लें। 25 नवम्बर के बाद प्रतिदिन कम से कम 30-35 किग्रा गेहूँ प्रति हेक्टेअर की दर से उपज घटती है। ज़ीरो टिलेज तकनीक का भरपूर लाभ अगेती बुआई से ही मिलता है तथा इससे फसल को गर्म हवा के कुप्रभाव से बचाया जा सकता है।
खाद व उर्वरक
बुआई के समय : 50 किग्रा डी॰ए॰पी॰(ज़ीरो टिलेज मशीन से )+32किग्रा एम॰ओ॰पी॰ +10 किग्रा जिंक (हाथ से छिड़काव करें)
प्रथम सिंचाई : 56 किग्रा यूरिया ( छिड़काव करें)
दूसरी सिंचाई से बाद: 56 किग्रा यूरिया (छिड़काव करें)
बीज की मात्रा
ज़ीरो टिलेज मशीन से बुआई के लिए बीज की मात्रा 40 किलो प्रति एकड़ निर्धारित है। मशीन से बुआई के समय लाइन-से-लाइन की दूरी 17.5 से॰ मी॰ तय किया गया है। जरूरत के हिसाब से ”टाइन” को खिसका कर दूरी बढ़ाई जा सकती है।
सिंचाई
पहली सिंचाई
बुआई के 20-21 दिन (ताज मूल अवस्था पर )
दूसरी सिंचाई
बुआई के दिन 40-45 दिन (कल्ले निकलते समय )
तीसरी सिंचाई
बुआई के 60-65 दिन (गाठें बनते समय)
चौथी सिंचाई
बुआई के 80-85 दिन (पुष्पावस्था के समय)
पाँचवीं सिंचाई
बुआई के 100-105 दिन (दुग्धावस्था के समय)
ज़ीरो टिलेज तकनीक को अपनाने से फसल के अवशेष कार्बनिक पदार्थों के साथ – साथ पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की वृद्धि होती है तथा भूमि की उर्वरक शक्ति बनी रहती। भूमि में रासायनिक तथा भौतिक गुणों पर भी इस तकनीक का लाभदायक प्रभाव पाया गया है तथा जंगली गेंहूँ/ मंडूसी के जमाव में कमी पाई गई है। इस तकनीकी के प्रयोग से मंडूसी के प्रभाव को काफी कम किया जा सकता है।
टिप्पणी
ज़ीरो टिलेज मशीन से गेंहूँ की अगेती बुआई (15 नवम्बर तक ) करने पर पिछेती बुआई के मुक़ाबले ज्यादा पैदावार मिलती है। ऐसा कनकी / गेंहूँ का मामा के कम प्रकोप व पोषक तत्वों के भरपूर उपयोग के कारण संभावित है।
शरद ऋतु के अंत में दाने भरते समय जब तापमान बढ़ना आरंभ होता है तो अगेती बुआई करने पर इस गर्मी का कुप्रभाव कम रहता है। अगेती बुआई करने पर फसल को बढ़ोत्तरी व फसल पकने का समय भी अधिक मिल जाता है जिससे पैदावार अधिक मिलती है।
स्त्रोत: दक्षिण एशिया के लिए खाद्यान प्रणाली की पहल
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