मशरूम की पौष्टिकता एवं औषधीय गुण
मशरूम एक पूर्ण स्वास्थ्यवर्धक है जो सभी लोगों बच्चों से लेकर वृद्ध तक के लिए अनुकूल है इसमे प्रोटीन, रेशा, विटामिन तथा खनिज लवण प्रचुर मात्रा में पाये जाते है ताजे मशरूम में 80-90 प्रतिशत पानी होता है तथा प्रोटीन की मात्रा 12- 35 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 26-82 प्रतिशत एवं रेशा 8-10 प्रतिशत होता है मशरूम में पाये जाने वाला रेशा पाचक होता है। मशरूम में पाये जाने वाले पोषक तत्व
(ग्राम 100 ग्राम माश्क माट मशरूम)
मशरूम की प्रजातियाँ | प्रोटीन |
रेशा |
कार्बोहाइड्रेट |
वसा |
खनिज |
ऊर्जा (किलो कैलरी) |
श्वेत बटन मशरूम |
33.48 |
20.90 |
46.17 |
3.10 |
5.70 |
499 |
प्लूरोट्स सजोर काजू |
19.23 |
48.60 |
63.40 |
2.70 |
6.32 |
412 |
प्लूरोट्स ओस्ट्रीएट्स |
30.40 |
8.70 |
57.60 |
2.20 |
9.80 |
265 |
धान पुआल मशरूम |
37.50 |
5.50 |
54.80 |
2.60 |
1.10 |
305 |
दूधिया मशरूम |
17.69 |
3.40 |
64.26 |
4.10 |
7.43 |
391 |
शिटाके मशरूम |
32.93 |
28.80 |
47.60 |
3.73 |
5.20 |
387 |
शीतकालीन मशरूम |
17.60 |
3.40 |
43.10 |
1.90 |
7.40 |
378 |
ब्लैक इयर मशरूम |
4.20 |
19.80 |
82.80 |
8.30 |
4.70 |
351 |
औषधीय गुण
मशरूम शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाता है स्वास्थ्य ठीक रहता है कैंसर की सम्भावना कम करता है गॉठ की वृद्धि को रोकता है, रक्त शर्करा को सन्तुलित करता है।
मशरूम निम्न रोगों में लाभदायक है:
1. हृदय के लिए
2. मधुमेह के रोगियों एवं मोटापे से ग्रस्त लोगो के लिए
3. कैंसर रोधी प्रभाव
मशरूमों का औषधीय गुण :
मशरूम |
तत्व |
औषधीय गुण |
गैनोडरमा लुसीडियम |
गैनोडेरिक एसिड बीटा ग्लूकान |
प्रतिरक्षा तन्त्र को बढ़ाता है। यकृत को सुरक्षा प्रदान करता है। एन्टीबायोटिक गुण कोलेस्ट्राल निर्माण को रोकता है। |
लैन्टीनुला इडोड्स (शिटाके मशरूम) |
इरिटाडेनाइन लेन्टीनन |
कोलेस्ट्राल को कम करता है। कैंसर रोधी गुण। |
अगैरिक्स बाइस्पोरस (श्वेत बटन मशरूम) |
लेक्टिनस |
इन्सुलिन के स्त्राव को बढाता है। |
प्लरोटस सजोर काजू (ढीगरी मशरूम) |
लोवास्टाटिन |
कोलेस्ट्राल को कम करता है। |
गैनोडरमा फ्रोन्डोसा |
पोलीसिकेराइड्स लैक्टिन |
इन्सुलिन के स्त्राव को बढ़ाता है। रक्त में ग्लूकोज को कम करता है। |
औरिक लेरिया औरिकुला (ब्लैक ईयर मशरूम) |
एसिडिक पेलीकेराइड्स |
रक्त में ग्लूकोज को कम करता है। |
करेडिसेव्स साइनेनसिंस |
कोरडिसिपिन |
फेफड़े के संक्रमण को ठीक करता है। तनाव को कम करता है। कोशिकाओं को स्वस्थ्य रखता है। |
ट्रामेंटीज वीर्सकलर |
पोलीकराइड्स के (क्रेसिन) |
प्रतिरक्षा एवं तनाव को कम करता है। |
फ्लामुलिना वेल्युटिप्स (शीतकालीन मशरूम) |
अर्गोथायौनिन प्रोफ्लामिन |
एण्टीआक्सीडेन्ट कैंसर विरोधी गुण। |
वार्षिक फसल चक्र
विभिन्न प्रकार की मशरूम प्रजातियों की वानस्पतिक वृद्धि (बीज फैलाव) व फलस्वरूप (फसल) अवस्था के लिए अनुकूल तापमान अलग-अलग होता है जो सारणी देखने से स्पष्ट है। अतः मशरूम को कृषि फसलो की भॉति फेर बदल करके वर्ष भर उगाया जा सकता है।
मशरूम को उगाने के लिए आवश्यक अनुकूल तापमान
मशरूम के वैज्ञानिक नाम |
प्रचलित नाम |
अनुकूल तापमान डिग्री. सेन्टी. |
|
बीज फैलाव हेतु |
फलन हेतु |
||
एगेरिकस वाईस्पोरस |
श्वेत बटन मशरूम |
22-25 |
14-18 |
एगेरिकस बाइटॉरकिस |
ग्रीष्मकालीन श्वेत बटन मशरूम |
28-30 |
25 |
प्लूरोटस इरिन्जाइ |
करबुल ढिंगरी |
18-22 |
14-18 |
प्लूरोटस फ्लेविलेट्स |
ढिंगरी मशरूम |
25-30 |
22-26 |
प्लूरोटस फ्लोरिडा |
ढिंगरी मशरूम |
25-30 |
18-22 |
प्लूरोटस सजोरकाजू |
ढिंगरी मशरूम |
25-32 |
22-26 |
कैलोसाइबी इंडिका |
दूधिया मशरूम |
25-30 |
30-35 |
वालवेरिल्ला वालवेसिया |
पुआल मशरूम |
32-35 |
28-32 |
ऑरिकुलेरिया प्रजाति |
ब्लैक इयर मशरूम |
20-35 |
12-20 |
लुन्टीनुला इडोड्स |
शिटाके मशरूम |
22-27 |
15-20 |
श्वेत बटन मशरूम की खेती शरद ऋतु में अक्टूबर से फरवरी तक
खेती की विधि:
आधार सामग्री की तैयारी : मशरूम की खेती हेतु गेहूँ के भूसे को बोरे में रात भर के लिए साफ पानी में भिगो दिया जाता है यदि आवश्यक हो तो 7 ग्राम कार्बेन्डाइजिन (50 प्रतिशत) तथा 115 मिली0 फार्सलीन प्रति 100 लीटर पानी की दर से मिला दिया जाता है, इसके पश्चात भूसे को बाहर निकालकर अतिरिक्त पानी निथारकर अलग कर दिया जाता है और जब भूसे से लगभग 70 प्रतिशत नमी रह जाये तब यह बिजाई के लिए तैयार हो जाता है।
बिजाई : इसमें ढिंगरी मशरूम की तरह की बिजाई की जाती है परन्तु स्थान की मात्रा ढिंगरी मशरूम से दो गुनी (5-6 प्रतिशत) प्रयोग की जाती है तथा बिजाई करने के बाद थैलों में द्रिद्र नहीं बनाये जाते है। बिजाई के बाद तापक्रम 28-32 डिग्री होना चाहिये बिजाई के बाद इन थैलों को फसल कक्ष में रख देते है।
आवरण मृदा तैयार करना : विजाई के वी 20-25 दिन बाद फहूँद पूरे भूसे में सामान रूप से फैल जाती है, इसके बाद आवरण मृदा तैयार कर 2 से 3 इंच मोटी पर्त थैली के मुँह को खोलकर ऊपर समान रूप से फैला दिया जाता है इसके पश्चात पानी के फव्वारे से इस तरह आवरण मृदा के ऊपर सिचाई की जाती है कि पानी से आवरण मृदा की लगभग आधी मोटाई ही भीगने पाये आवरण मृदा लगाने के लगभग 20 से 25 दिन बाद आवरण मृदा के ऊपर मशरूम की बिन्दुनुमा अवस्था दिखाई देने लगती है। इस समय फसल का तापमान 32 से 35 तथा आर्द्रता 90 प्रतिशत से अधिक बनाये रखा जाता है अगले 3 से 4 दिन में मशरूम तोड़ाई योग्य हो जाती है।
उपज : सूखे भूसे के भार का 70 से 80 प्रतिशत उत्पादन प्राप्त होता है।
धान के पुआल का मशरूम (वालवेरियल्ला प्रजाति) : इस मशरूम को चाईनीज मशरूम तथा गर्मी का मशरूम भी कहा जाता है इसकी खेती सर्वप्रथम 1822 में चीन में शुरू हुई थी यह सबसे कम समय में तैयार होने वाला मशरूम है। भारत वर्ष में इसकी खेती प्रायः समुद्र तटीय राज्यों जैसे–पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, कर्नाटक, तमिलनाडु एवं आन्ध्र प्रदेश में की जाती है। वर्तमान में इसकी खेती देश के मादानी भागों में प्रायः माह जुलाई से सितम्बर तक की जाती है।
मशरूम स्थान प्राप्त करने के स्रोत : मशरूम की खेती को करने के लिए गुणवत्तायुक्त स्थान अति आवश्यक है। जिसके लिए निमन्स्त्रोतों से सम्पर्क किया जा सकता है:
- पादप रोग विज्ञान विभाग, चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्यौगिक विश्वविद्यालय, कानपुर। पादप रोग विज्ञान विभाग, गोविन्द वल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्यौगिक विश्वविद्यालय, पन्तनगर, उधम सिंह नगर, उत्तराखंड।
- पादप रोग विज्ञान विभाग, राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय उदयपुर, राजस्थान।
- पादप रोग विज्ञान विभाग, महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ पूना महाराष्ट्र।
- पादप रोग विज्ञान विभाग, हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार, हरियाणा।
मशरूम प्रशिक्षण : मशरूम उत्पादन में प्रशिक्षण एक महत्वपूर्ण अंग है क्योकि बिना प्रशिक्षण प्राप्त किये कोई व्यक्ति मशरूम का सफलता पूर्वक उत्पादन नहीं कर सकता है, सभी सामग्री का सही मात्रा में प्राप्त करने सम्बन्धितत जानकारी हेतु निम्न केन्द्रों से सम्पर्क किया जा सकता है:
1. राष्ट्रीय खुम्ब अनुसंधान केन्द्र, बम्बाघाट सोलन, हिमाचल प्रदेश।
2. पादप रोग विज्ञान विभाग चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्यौगिक विश्वविद्यालय, कानपुर–208002
3. उ.प्र. अखिल भारतीय समन्वित मशरूम विकास परियोजना के अन्र्तगत कुछ राज्यों से भी प्रशिक्षण कार्य चलाया जारहा है जो निम्न है।
- पादप रोग विज्ञान विभाग इन्दिरा गांधी कृषि विश्वविद्यायल रायपुर, छत्तीसगढ़।
- पादप रोग विज्ञान विभाग, आई.आई.एच.आर, बंगलौर, कर्नाटक।
- उद्यान विभाग, मेघालय, शिलांग।
- उद्यान निदेशालय, लखनऊ उत्तर प्रदेश।
- उद्यान निदेशालय, ईटा नगर, अरूणांचल प्रदेश।
स्त्रोत: कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार
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