परिचय
अजोला शैवाल जैसा दीखता है जो एक अस्थायी फर्न है । आम तौर पर अजोला धान के खेतों में या उथले जल निकायों में उगाया जाता है यह बहुत तेजी से फैलता है।
चारा/चारे के रूप में अजोला
- आमतौर पर अजोला प्रोटीन, आवश्यक अमीनो एसिड, विटामिन (विटामिन ए, विटामिन बी 12 और बीटा कैरोटिन) तथा विकास के प्रमोटर बिचौलियों और खनिजों से समृद्ध होता है। सूखे वजन के आधार पर इसमें 25-35% प्रोटीन, 10-15% खनिज और 7-1-% अमीनों एसिड, जैव सक्रिय पदार्थ और जैव पोलिमर होते हैं। इसमें उच्च प्रोटीन और कम लिगिन्न होने के कारण पशुधन आसानी से पचा सकते हैं। अजोला पशु दाने के साथ मिलाया जा सकता है या पशुओं को दिशा खिलाया जा सकता है। दुधारू पशुओं के साथ-साथ यह भेड़ों, बकरियां, सूअर और खरगोश को भी खिलाया जा सकता है।
अजोला उत्पादन कैसे करें
- उत्पादन वाले क्षेत्र में पहले खतपतवार को हटाकर भूमि को समतल करना चाहिए। इंटों को एक आयताकार फैशन में क्षैतिज इलाज में खड़ा करते हैं। एक 2 मी.गुना 23 मी. आकर की स्थिरीकरण शीट से ईंटों से बने आयत के मार्जिन को कवर करते है। अब 10-15 किलो छनी हुई मिट्टी समान रूप से गड्ढे में फैला दे । अब 2 किलो गोबर, 30 ग्राम सुपर फास्फेट को 10 किलो पानी के साथ मिश्रित कर घोल बनाया जाता है। अब इस घोल को प्लास्टिक चादर पर डाल दिया जाता है और जल स्तर को 10 सेमी तक बढ़ाने के लिए और पानी डाल सकते है। 0.5 से 1 किलो शुद्ध अजोला कल्चर बीज सामग्री को पानी के ऊपर समान रूप से फैला देना चाहिए इस के तुरंत बाद ताजे पानी का छिड़काव् अजोला पर करना चाहिए। २ओ ग्राम सुपर फास्फेट और 1 किलो गोबर के मिश्रण को 5 दिन में एक बार अजोला गड्ढे में डालना चाहिए। जो इसकी वृद्धि को बढ़ा है और यह मिश्रण 500 ग्राम तक की उपज प्रतिदिन के हिसाब से दिलवा सकता है। एक सप्ताह के अंदर अजोला पूरे हिस्से में फैलकर एक मोटी चटाई की तरह हो जाता है। अजोला में खनिज सामग्री को बढ़ाने के लिए मैग्नीशियम, लोहा, तांबा तथा सल्फर आदि से युक्त एक सूक्ष्मपोषक म्रिशन को सप्ताहिक अंतराल पर जोड़ा जा सकता है। नाइट्रोजन का निर्माण तथा सूक्ष्म तत्वों की कमी को रोकने के लिए प्रत्येक 30 दिनों में ताजा 5 किलो मिट्टी से बदल देना चाहिए 25-35% पानी को प्रत्येक 10 दिनों के बाद ताजा पानी से प्रतिस्थापित किया जाना चाहिए तथा प्रत्येक छः महीने में कएक बार अजोला मेड को साफ करना चाहिए तथा पाने व मिट्टी को भी बदलना चाहिए।
फसल की कटाई
- तेजी से बढ़ने के कारण 10-15 दिनों में गड्ढा भर जाता है। तब से 500 से 600 ग्राम अजोला प्रत्येक दिन काटा जा सकता है।
- 15वें दिन के बाद प्लास्टिक छलनी या ट्रै कि मदद से इकट्ठा किया जा सकता है।
लेखन : सीताराम
स्त्रोत: कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार