परिचय
पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं बिहार में वर्षा की अनिश्चितता के कारण धान की रोपाई में देरी हो जाती है तथा कभी-कभी भारी वर्षा के कारण अधिक पानी भर जाने से नये रोपे गये धान की फसल खराब हो जाती है तो उस परिस्थिति में किसान को अच्छी गुणवत्ता की नर्सरी की आवश्यकता होती है। अतः इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए धान की नर्सरी का व्यवसायिक उत्पादन एक अच्छा विकल्प है।
ध्यान देने योग्य बातें
धान की रोपाई, सिंचाई, मजदूरों और मशीनों की उपलब्धता पर निर्भर होती है। धान की नर्सरी उगाते समय 10 मुख्य प्रबन्धन बिन्दुओं को ध्यान में रखना चाहिए।
खेत में पानी भरें और एक से दो बार कल्टीवेटर या पैडी पडलर चलाने के बाद पाटा लगायें। एक से दो मीटर चौड़ी, 10 से 15 सेमी ऊँची और 10 मीटर लम्बी क्यारी बनायें और दो क्यारियों के बीच में 30 सेमी चौड़ी पानी की निकासी के लिए नाली बनायें।
- अधिक उत्पादन वाली व प्रचलित प्रजातियों या हाइब्रिड का नर्सरी व्यवसाय के लिए चयन करें।
- नर्सरी उगाने के लिए ऐसे क्षेत्र का चयन करें जहाँ छाया न हों, 4. बीज की गुणवत्ता- प्रजातियों का प्रमाणित बीज या हाइब्रिड सिंचाई के साधन उपलब्ध हों तथा साथ ही जल निकास की भी उत्तम व्यवस्था हो।
- नम विधि द्वारा नर्सरी की तैयारी के लिए क्यारी की आवश्यकता–एक एकड़ क्षेत्र की नर्सरी लगाने के लिए 300 से 400 वर्ग मीटर क्षेत्रफल पर्याप्त होता।
नर्सरी तैयार करने की विधि इस प्रकार है-
- रबी की फसल कटाई के बाद खेत को दो बार हैरो से जुटाई करें।
- नर्सरी की बुआई से 25 से 30 दिन पहले 2 क्विंटल गोबर की खाद या कम्पोस्ट की खाद 300 से 400 वर्ग मीटर क्षेत्रफल मेन फैलाकर दो बार खेत की जुताई कर अच्छी तरह मिट्टी में फैला लें।
- खेत में पानी भरें और एक से दो बार कल्टीवटोर या पैड़ी पड्लर चलाने के बाद पाटा लगाएँ।
- एक से दो मीटर चौड़ी, 10 से 15 से.मी. ऊंची और 10 मीटर लंबी क्यारी बनाएँ और दो क्यारियों के बीच में 30 से.मी. चौड़ी पानी की निकासी के लिए नाली बनाएँ।
4. बीज की गुणवत्ता – प्रजातियों का प्रमाणित बीज या हाइब्रिड विश्वसनीय विक्रेता से ही खरीदना चाहिए। यदि अपना बीज प्रयोग करते हैं तो बीज साफ (खरपतवार, मिट्टी, पठार रहित हो)शुद्ध (केवल एक प्रजाति) और अवस्थ (दाने समान रंग के, पूरी तरह भरे और टूटे न हों) होने चाहिए।
5. बीज को भिगोना और उपचार – बुआई से पूर्व बीज को एक बाल्टी में भिगोकर हाथ से मिलते है। इस प्रक्रिया में जो बीज ऊपर आ जाते हैं उनको निकालकर अलग कर दें व केवल स्वस्थ बीज ही नर्सरी के लिए प्रयोग करें। यदि अपना बीज प्रयोग करते हैं तो लवणीय जल का उपचार करें। इसके लिए 1 कि.ग्रा. नमक को 10 लीटर पानी में मिलकर 1 समय में 1.5 से 2 किलोग्राम बीज साफ किया जा सकता है। साफ करते समय जो बीज ऊपर तैर जाते है उनको निकाल देना चाहिए तथा नीचे बैठे स्वस्थ बीजों को बुआई से पूर्व 2-3 बार पानी से साफ करने के बाद ही बुआई करनी चाहिए।
- बुआई के लिए अंकुरित बीजों का प्रयोग करें – बीज उपचार करने के लिए बीज को (बावस्टीन 2 ग्राम/ कि.ग्रा. या रैकसल 1 ग्राम/ कि.ग्रा./लीटर) के घोल में पूरी रात भिगोएँ। उसके बाद पानी निकाल दें और भिगोये हुये बीजों को छायादार जगह पर 24 से 36 घंटों के लिए बोरे से ढककर अंकुरण के लिए रख दें। अंकुरित बीजों के प्रांकुर कि लंबाई 7 से 8 मिमी. से अधिक नहीं होनी चाहिए।
6. बीज दर एवं बुआई – प्रजातियों के लिए 25 से 40 ग्राम प्रति वर्ग मीटर (10 से 16 कि.ग्रा./ 400 वर्ग मीटर के लिए) और हाइब्रिड 15 ग्राम (5 से 6 कि.ग्रा./ 400 वर्ग मीटर के लिए) यदि ज्यादा दिनों कि नर्सरी लगानी है तो प्रजातियों का 25 से 30 ग्राम/ वर्ग मीटर (10-12 कि.ग्रा.) बीज पर्याप्त है। अंकुरित बीजों को समान रूप से तैयार की गयी क्यारियों में बिखेर दें तथा केंचुआ खाद कि पतली परत से बीज को ढँक दें। चिड़ियों आदि से बीजों का बचाव करें।
7.बुआई का समय और पौध कि आयु –
- लंबी अवधि की प्रजातियों के लिए : 01—25 मई और रोपाई के लिए 30 दिन कि पौध का प्रयोग करें।
- मध्यम अवधि की प्रजातियों के लिए : 15 मई से 15 जून और 25 से 30 दिन कि पौध का प्रयोग करें।
- कम अवधि वाली प्रजातियों के लिए : 10-25 जून और 20 से 25 दिन की पौध का प्रयोग करें।
- यदि सिंचाई की व्यवस्था ठीक हो तो 15 से 25 दिन की नर्सरी का प्रयोग करना चाहिए।
- लवणीय भूमि में रोपाई के लिए 30 से 40 दिन आयु की नर्सरी का प्रयोग करना चाहिए।
- सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए कम दिनों (25 दिनों) की नर्सरी उपयुक्त रहती है।
8.नत्रजन प्रबंधन – 300 से 400 वर्ग मीटर नर्सरी क्षेत्र के लिए 4 कि.ग्रा. डीएपी, 2.4 कि.ग्रा. एमओपी और 1 कि.ग्रा. जिंक का प्रयोग बुआई के समय करें और बुआई से 13 से 15 दिन बाद 2.8 कि.ग्रा. यूरिया का छिड़काव करें। यदि नर्सरी 30 दिन से अधिक की लगानी है तो उखाड़ने के एक सप्ताह पहले 2.2 कि.ग्रा. यूरिया का प्रयोग करें। यदि आइरन की कमी दिखाई दे तो 0.5 कि.ग्रा. की दर से फ़ैरस सल्फ़ेट का छिड़काव करें।
9.खरपतवार नियंत्रण- सोफिट (प्रेटिलाक्लोर 30ईसी+सेफनर) 60 ग्राम 400 मीटर नर्सरी क्षेत्र के लिए 5 से 6 कि.ग्रा. रेत में मिलाकर बुआई के 1 से 3 दिन बाद खड़े पानी में छिड़काव करें।
10.सिंचाई- नर्सरी क्षेत्र में शाम के समय हल्की सिंचाई करें जिससे कि गर्मी के समय में नमी बनी रहे और पौधे गर्मी से बचे रहें। नर्सरी उखाड़ने से पूर्व पानी भर दें तथा उखाड़ने के बाद खेत से आसानी से ले जाने के लिए नर्सरी के छोटे-छोटे बंडल बना लें।
टिप्पणी- नर्सरी व्यवसायिक उत्पादन करते समय आय–व्यय व लाभ का विश्लेषण करें और इसमें 25 प्रतिशत अधिक लागत रखें।
स्त्रोत: कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार
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