परिचय
सामान्यतः बाजार में उपलब्ध खाद्य पदार्थों में मिलावट का संशय बना रहता है। दालें, अनाज, दूध, मसाले, घी से लेकर सब्जी व फल तक कोई भी खाद्य पदार्थ मिलावट से अछूता नहीं है। आज मिलावट का सबसे अधिक कुप्रभाव हमारी रोजमर्रा के जीवन में प्रयोग होने वाली जरूरत की वस्तुओं पर ही पड़ रहा है। शरीर के पोषण के लिए हमें खाद्य पदार्थों की प्रतिदिन आवश्यकता होती है। शरीर को स्वस्थ रखने हेतु प्रोटीन, वसा, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन तथा खनिज लवण आदि की पर्याप्त मात्रा को आहार में शामिल करना आवश्यक है तथा ये सभी पोषक तत्व संतुलित आहार से ही प्राप्त किये जा सकते हैं। यह तभी संभव है, जब बाजार में मिलने वाली खाद्य सामग्री, दालें, अनाज, दुग्ध उत्पाद, मसाले, तेल इत्यादि मिलावटरहित हों। खाद्य अपमिश्रण से उत्पाद की गुणवत्ता काफी कम हो जाती है। खाद्य पदार्थों में सस्ते रंजक इत्यादि की। मिलावट करने से उत्पाद तो आकर्षक दिखने लगता है, परंतु पोषकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिससे ये स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं।
सामान्य रूप से किसी खाद्य पदार्थ में कोई बाहरी तत्व मिला दिया जाए या उसमें से कोई मूल्यवान पोषक तत्व निकाल लिया जाए या भोज्य पदार्थ को अनुचित ढंग से संग्रहीत किया जाए तो उसकी गुणवत्ता में कमी आ जाती है। इसलिए उस खाद्य सामग्री या भोज्य पदार्थ को मिलावटयुक्त कहा जाएगा। भारत सरकार द्वारा खाद्य सामग्री की मिलावट की रोकथाम तथा उपभोक्ताओं को शुद्ध आहार उपलब्ध कराने के लिए सन् 1954 में खाद्य अपमिश्रण अधिनियम (पीएफए एक्ट 1954) लागू किया गया। उपभोक्ताओं के लिए शुद्ध खाद्य पदार्थों की आपूर्ति सुनिश्चित करना स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी है। इसको ध्यान में रखते हुए उपरोक्त खाद्य अपमिश्रण रोकथाम अधिनियम बनाया गया, जिसके मुख्य उद्देश्य है:
- जहरीले एवं हानिकारक खाद्य पदार्थों से जनता की रक्षा करना
- घटिया खाद्य पदार्थों की बिक्री की रोकथाम
- धोखाधड़ी प्रथा को नष्ट करके उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना
अपमिश्रित खाद्य पदार्थ तथा स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव
खाद्य अपमिश्रण से मूल खाद्य पदार्थ तथा मिलावटी खाद्य पदार्थ में भेद करना काफी मुश्किल हो जाता है। अपमिश्रित आहार का उपयोग करने से शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और शारीरिक विकार उत्पन्न होने की आशंका बढ़ जाती है। खाद्य अपमिश्रण से आखों की रोशनी जाना, हृदय संबन्धित रोग, लीवर खराब होना, कुष्ठ रोग, आहार तंत्र के रोग, पक्षाघात व कैंसर जैसे हो सकते हैं। अनेक स्वार्थी उत्पादक एवं व्यापारी कम समय में अधिक लाभ कमाने के लिए खाद्य सामाग्री में अनेक सस्ते अवयवों की मिलावट करते हैं, जो हमारे शरीर पर दुष्प्रभाव डालते हैं। सामन्यात: दैनिक उपभोग वाले खाद्य पदार्थ जैसे दूध, छाछ, शहद, मसाले, घी, खाद्य तेल, चाय-कॉफी, खोया, आटा आदि में मिलावट की जा सकती है। प्रस्तुत सारणी-2 में खाद्य पदार्थों में संभावित मिलावटी पदार्थ तथा उनसे होने वाले रोग के नाम इंगित हैं।
भोज्य पदार्थों में अपमिश्रण की जांच
व्यावहारिक रूप से खाद्य अपमिश्रण की जांच केन्द्रीय खाद्य प्रयोगशालाओं में की जाती है। खाद्य अपमिश्रण के परीक्षण के लिए मैसूर, पुणे, गाजियाबाद एवं कोलकाता में भारत सरकार द्वारा चार केन्द्रीय प्रयोगशालाएं व्यवस्थित रूप से स्थापित की गई हैं:
- केन्द्रीय खाद्य प्रयोगशाला, मैसूर, कर्नाटक- 570013 के अंतर्गत क्षेत्र आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल, तमिलनाडू, लक्षद्वीप व पुडुचेरी
- केन्द्रीय खाद्य प्रयोगशाला, पुणे, महाराष्ट्र-400001 के अंतर्गत क्षेत्र गुजरात, मध्य परदेश, दादर तथा नगर हवेली, गोवा, दमन व दियू
- केन्द्रीय खाद्य प्रयोगशाला, गाज़ियाबाद-201001, उत्तर प्रदेश के अंतर्गत क्षेत्र हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, चंडीगढ़ एवं दिल्ली
- केन्द्रीय खाद्य प्रयोगशाला, कोलकाता-700016, पश्चिम बंगाल के अंतर्गत क्षेत्र असोम, बिहार, मेघालय, नागालैंड, ओड़ीशा, त्रिपुरा, अंडमान एवं निकोबार, अरुणाचल प्रदेश व मिज़ोरम।
खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच के लिए इन केन्द्रीय प्रयोगशालाओं के अतिरिक्त राज्य सरकार के खाद्य निरीक्षक, भोज्य पदार्थों के नमूने को सरकारी/ लोक विश्लेषक के पास भेजते हैं। एक गृहणी प्रत्येक खाद्य पदार्थ को परीक्षण केलिए प्रयोगशाला नहीं भेज सकती। अत: यह अवशयक है कि गृहणी को मुख्य खाद्य पदार्थों में कि जाने वाली मिलावट का अनुमान अवशय हो। खदाय अपमिश्रण कि जांच के कुछ सरल व घरेलू परीक्षण, जिनसे कोई भी उपभोक्ता आसानी से शुद्धता कि जांच कर सकता है, का संक्षिप्त विवरण सारणी – 2 में दिया गया है।
सारणी 1. मिलावटी खाद्य पदार्थों से होने वाले रोग
क्र.सं. | खाद्य सामग्री |
मिलावटी तत्व |
शरीर पर दुष्प्रभाव |
1. |
खाद्यान्न/दालें/गुड़/मसाले |
कंकड़, पत्थर, मिट्टी, रेत, बुरादा |
पेट संबंधित बीमारियां व आहार तंत्र के रोग |
2. |
सरसों का तेल |
आर्जिमोन तेल |
आंखों की रोशनी जाना, हृदय संबंधित रोग एपिडेमिक ड्रॉप्सी (अनियंत्रित ज्वर व आहार तंत्र प्रभावित) |
3. |
चना/अरहर की दाल/बेसन |
खेसरी दाल |
लकवा व कुष्ठ रोग, जल शोथ व लेथारस रोग |
4. |
बेसन/हल्दी |
पीला रंग (मेटानिल) |
प्रजनन तंत्र, पाचन तंत्र, यकृत व गुर्दे प्रभावित |
5. |
बादाम का तेल |
मिनरल तेल |
यकृत संबंधित रोग, कैंसर |
6. |
समस्त भोज्य पदार्थ |
कीटनाशक अवयव |
शरीर के प्रमुख अंग निष्क्रिय होना तथा भोज्य विषाक्तता |
7. |
दालें |
टेलकम पाउडर व एस्बेस्टस पाउडर |
पाचन तंत्र प्रभावित व गुर्दे में पथरी की आशंका |
8. |
लाल मिर्च |
रोडामाइन-बी |
यकृत, गुर्दे, तिल्ली प्रभावित |
9. |
हल्दी |
सिंदूर (लेड क्रोमेट) |
एनीमिया (रक्त अल्पता), अंधापन व गर्भपात |
10. |
पेय पदार्थ |
निषिद्ध रंग व रंजक |
यकृत संबंधित रोग, रक्त अल्पता व कैंसर |
11. |
वर्क |
एल्युमिनियम |
पेट संबंधित रोग |
12. |
चाय पत्ती व कॉफी |
लौह चूर्ण/रंग |
आहार तंत्र व पाचन तंत्र प्रभावित । |
खाद्य मिलावट
इस अधिनियम के अंतर्गत मिलावटयुक्त भोज्य पदार्थों को अपमिश्रित माना जाता है तथा निम्नवत् भोज्य पदार्थ मिलावटयुक्त कहे जाएंगे:
- यदि दुकानदार ग्राहक की मांग के अनुसार गुणवत्ता वाला भोज्य पदार्थ देने में अक्षम हो।
- किसी खाद्य पदार्थ में उसके अभिन्न पदार्थों के अतिरिक्त किसी अन्य पदार्थ की उपस्थिति उस खाद्य सामग्री को मिलावटी बना देती है। इसके अतिरिक्त मानक स्तर से कम स्तर वाला भोज्य पदार्थ भी अपमिश्रित माना जाता है।
- किसी खाद्य सामग्री में कोई अवयव या पदार्थ इस तरह संशोधित किया गया हो, जिससे मूल खाद्य पदार्थ की संरचना, प्रकार तथा गुणवत्ता स्तर इस प्रकार बदल जाए और शरीर पर प्रतिकूल प्रभाव डाले।
- भोज्य पदार्थ से कोई अवयव आंशिक या संपूर्ण रूप से निकाल लिया गया हो।
- अस्वास्थ्यकर परिस्थितियों में तैयार, पैक व अनुचित तरीके से संग्रहीत भोज्य पदार्थ | को भी मिलावटयुक्त ही कहा जाएगा।
- यदि भोज्य पदार्थ पूर्णत: या आंशिक रूप से गंदा, दुर्गंधयुक्त, सड़ा हुआ या रोगग्रस्त प्राणी या वनस्पति से प्राप्त किया गया हो या वह खाद्य सामग्री कीड़ों आदि से संक्रमित हो तो इसे मानव उपयोग के लिए अपमिश्रित माना जाता है।
- यदि आदेशित मानक रंजक के अतिरिक्त कोई अन्य रंजक पदार्थ या उसकी आदेशित | सीमा से भिन्न मात्रा खाद्य पदार्थ में उपस्थित हो।
- यदि किसी खाद्य सामग्री में प्रतिबंधित संरक्षक पदार्थ मिला हो या आदेशित रंजक व संरक्षण पदार्थ का मानकों से अधिक प्रयोग किया गया हो।
सारणी 2. विभिन्न खाद्य पदार्थों में मिलावट किए जाने वाले पदार्थ एवं उनकी जांच
क्र. |
खाद्य पदार्थ का नाम |
मिलावटी तत्व |
अपमिश्रण की जांच व परिणाम |
1. |
दूध |
पानी, स्टार्च, वाशिंग पाउडर, यूरिया |
1. दूध में पानी की मिलावट की जांच लैक्टोमीटर द्वारा की जाती है। इसकी रीडिंग 28 से 34 होनी चाहिए। अगर रीडिंग 28 से निम्न जाए तो पानी की मिलावट प्रमाणित हो जाती है। 2. दूध की एक बूंद को पॉलिश की ऊर्ध्वाधर सतह पर रखने से शुद्ध दूध बहुत धीरे से बहता है पर एक सफेद निशान छोड़ता है, जबकि पानी मिला हुआ दूध बिना निशान छोड़े बह जाता है। 3. मिलावट करने वाले लैक्टोमीटर की रीडिंग बढ़ाने के लिए दूध में चीनी, स्टार्च आदि मिला देते हैं। इसकी जांच के लिए दूध में आयोडीन मिलाकर गर्म करें। यदि दूध का रंग नीला हो जाता है तो इसका अर्थ है कि दूध में स्टार्च उपस्थित है। 4. यूरिया की पहचान के लिए एक परीक्षण ट्यूब में 5 मि.मी. दूध में दो बूंद ब्रोमोथाइमोल/अल्कोहल मिलाएं। दस मिनट पश्चात नीले रंग का विकास यूरिया की उपस्थिति दर्शाता है। |
2. |
सरसों के बीज |
आर्जिमोन |
आर्जिमोन बीज की सतह खुरदरी होती है। सरसों के बीज को दबाने से वह अंदर से पीले रंग का होता है, जबकि आर्जिमोन बीज का रंग अंदर से सफेद होता है। |
3. |
सरसों का तेल |
आर्जिमोन बीज |
नमूने में सांद्र नाइट्रिक अम्ल मिलाकर मिश्रण को हिलाएं। थोड़ी देर बाद एसिड की परत में लाल-भूरे रंग की परत दिखाई दे तो यह आर्जिमोन की उपस्थिति का संकेत है। |
4. |
आइसक्रीम |
वाशिंग पाउडर |
आइसक्रीम में नींबू के रस की कुछ बूंदे डालने से बुलबुले बनने पर वांशिंग पाउडर की मौजूदगी का पता चलता है। |
5. |
चांदी का वर्क |
एल्युमिनियम |
चांदी के वर्क में एल्युमिनियम की मिलावट की आसानी से जांच की जा सकती है, क्योंकि चांदी के वर्क को जलाने पर वह छोटी गेंद के रूप में परिवर्तित हो जाता है, जबकि मिलावट वाली चांदी को जलाने के बाद गहरे ग्रे रंग का अवशेष बच जाता है। |
6. |
चाय-पत्ती |
रंगीन पत्ते |
चायपत्ती को सफेद रंग के कागज पर रगड़ने से कृत्रिम रंग कागज पर आ जाता है। |
लोहा फिलिंग |
चायपत्ती के नमूने के ऊपर से चुम्बक फिराने से लौह अवयव चुम्बक में चिपक जाते हैं। |
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रंग |
चायपत्ती की शुद्धता की जांच के लिए चीनी मिट्टी के किसी बरतन या शीशे की प्लेट पर नींबू का रस डालकर उस पर चायपत्ती का थोड़ा सा बुरादा डालें। यदि नींबू के रस का रंग नारंगी या दूसरे रंग का हो जाता है तो इसमें मिलावट है। यदि चायपत्ती असली है, तो हरा मिश्रित पीला रंग दिखाई देगा। |
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7. |
शहद |
चीनी और पानी(चाशनी) |
एक रूई के फाहे को शहद में भिगोकर उसे माचिस की तीली से जलाएं। यदि शहद अपमिश्रित है, तो रूई का फाहा नहीं जलेगा और यदि शहद शुद्ध है तो जल उठेगा। |
8. |
कॉफी |
खजूर/इमली के बीज |
कॉफी पाउडर को गीले ब्लॉटिंग पेपर पर छिड़क लें। इसके ऊपर पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड की कुछ बूंदे डालें। यदि कॉफी के आसपास उसका रंग भूरा हो जाये तो समझ लेना चाहिए कि उसमें मिलावट है। |
चिकोरी पाउडर |
कॉफी पाउडर को पानी में छिड़कने पर वह घुल जाती है, परंतु चिकोरी पाउडर बर्तन के तले में जमा हो जाएगा। |
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9. |
लालमिर्च पाउडर |
रोडामाइन कल्चर |
एक परीक्षण ट्यूब में 2 ग्राम नमूना लें तथा इसमें 5 मि.मी. एसीटोन डालें। लाल रंग की तत्काल उपस्थिति रोडामाइन की मिलावट को दर्शाती है। |
ईंट पाउडर |
नमूने को पानी में डालने से ईंट पाउडर पानी के तले में जमा हो जाता है। |
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रंग |
एक चम्मच मिर्च पाउडर को पानी भरे ग्लास में डालें। पानी रंगीन हो जाता है तो मिर्च पाउडर मिलावटी है। |
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10. |
हल्दी पाउडर |
रंग (मेटानिल पीला रंग) |
एक चम्मच हल्दी को एक परखनली में डालकर उसमें सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की कुछ बूंदे डालें। बैंगनी रंग दिखता है और मिश्रण में पानी डालने पर यह रंग गायब हो जाता है, तो हल्दी शुद्ध है। यदि रंग बना रहे तो हल्दी अपमिश्रित है। |
11. |
चने/अरहर की दाल |
खेसरी दाल/ मेटानिल पीला रंग |
दाल को एक परखनली में डालकर उसमें पानी डालें तथा हल्के हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की कुछ बूंदें डालने के बाद हिलाने पर यदि घोल का रंग गहरा लाल हो जाए तो समझना चाहिए कि दाल को मेटानिल पीले रंग से रंगा गया है। खेसरी दाल का परीक्षण, दाल को ध्यानपूर्वक देखकर किया जा सकता है। खेसरी दाल हल्के पीले रंग की व हरे रंग का समिश्रण लिए हुए होती है। इसके अतिरिक्त इसमें अरहर की तुलना में अधिक चिकनापन होता है। |
12. |
केसर |
असली और नकली |
केसर में मिलावट नहीं होती बल्कि पूरी केसर ही बदल दी जाती है। असली और नकली केसर की पहचान बहुत आसानी से की जा सकती है। नकली केसर को मकई की बाली को सुखाकर, चीनी मिलाकर कोलतार डाई से बनाया जाता है। नकली केसर पानी में डालने पर रंग छोड़ता है, जबकि असली केसर को पानी में घंटों रखने पर भी कोई फर्क नहीं पड़ता। |
13. |
शुद्ध घी व मक्खन |
वनस्पति घी |
एक परीक्षण ट्यूब में बराबर अनुपात में एक चम्मच पिघला हुआ घी या मक्खन तथा सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल मिलाएं तथा इसमें एक चुटकी चीनी मिलाने पर यदि लाल रंग की परत दिखाई दे तो वनस्पति घी की मौजूदगी का संकेत है। |
14. |
कालीमिर्च |
पपीते के सूखे बीज |
पपीते के बीज हल्के हरे व भूरे रंग के होते हैं तथा काली मिर्च का रंग गहरा काला होता है। काली मिर्च को पानी में डाल दें यदि पपीते के बीज हैं तो वह पानी में तैरने लगेंगे और काली मिर्च डूब जाएगी। |
15. |
साधारण नमक |
चॉक पाउडर |
एक चम्मच नमक को पानी में घोलने पर अशुद्धियां तल में जमा हो जाती हैं। |
16. |
हींग |
मिट्टी व रेत |
हींग को पानी में डालने पर मिट्टी व रेत बरतन के तल में चिपक जाते हैं। शुद्ध हींग को लौ पर जलाने से लौ चमकीली हो जाती है। हींग को साफ पानी में धोने पर यदि हींग का रंग सफेद या दूधिया हो जाये तो हींग शुद्ध होती है। |
17. |
नारियल का तेल |
खनिज तेल |
नारियल तेल को ठंडा करने पर वह जम जाता है एवं खनिज तेल ऊपरी सतह पर तैरने लगता है। |
18. |
जीरा |
घास के बीज (काले रंगे हुए) |
नमूने को दोनों हथेलियों के बीच रगड़ने से यदि हथेली काली होती है तो जीरा मिलावटी होने का संकेत है। |
19. |
चीनी का बूरा |
चॉक पाउडर |
नमूने को एक गिलास पानी में मिलायें, चॉक पाउडर तल में एकत्रित हो जाएगा। |
20. |
चावल |
चावल में मिलावट की जांच करने के लिए दोनों हाथों से चावल की कुछ मात्रा रगड़ें। यदि इसमें पीला रंग हो तो हथेली में लग जाएगा। चावल को पानी में भिगोएं और उसमें सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल की कुछ बूंदे डालें। बैंगनी रंग की उपस्थिति पीले रंग की मिलावट को दर्शाती है। |
ध्यान रखने वाली बातें
महिलायें हाइड्रोक्लोरिक अम्ल के स्थान पर घरेलू कार्य में उपयोग होने वाले एसिड तथा एसीटोन के स्थान पर नेल पालिश रिमूवर का प्रयोग कर सकती हैं।
मिलावटी पदार्थों से बचने और अपमिश्रण की पहचान के लिए गृहिणियों का जागरूक होना अति आवश्यक है। खाद्य अपमिश्रण एक अपराध है। खाद्य अपमिश्रण अधिनियम (Prevention of Food Adultration Act, 1954) के अंतर्गत किसी भी व्यापारी या विक्रेता को दोषी पाये जाने पर कम से कम 6 महीने का कारावास, जो कि तीन वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, का प्रावधान है। इसके अतिरिक्त मानदण्ड का भी प्रावधान है। खाद्य पदार्थों में मानव स्वास्थ्य के लिए अहितकर है और इसका रोकथाम में उपभोक्ताओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। प्रत्येक उपभोक्ता (विशेषकर गृहिणियों) को अपमिश्रण से बचने हेतु जागरूक होना चाहिए। इसके लिए कुछ आवश्यक बिंदुओं का ध्यान रखना चाहिए जैसे खुली खाद्य सामग्री न खरीदें। अधिकतर मानक प्रमाण चिन्ह (एगमार्क, एफपीओ , आईएसआई, हॉलमार्क) अंकित सामग्री खरीदें तथा खरीदे जाने वाली सामग्री के गुणों, रंग, शुद्धता आदि की समुचित जानकारी रखें। सदैव जानकार दुकानदारों व सत्यापित कम्पनियों का सामान लें तथा जहां तक हो सके पैकेज्ड सामान का उपयोग करते समय कम्पनी का नाम व पता, खाद्य पैकिंग व समाप्ति की तिथि, सामान का वजन, गुणवत्ता लेबल का अवश्य ध्यान रखें क्योंकि स्वस्थ और निरोगी जीवन ही सफलता की कुंजी है।
लेखन: प्रतिभा जोशी, जे.पी.एस. डबास, निशि शर्मा, नफीस अहमद और गिरिजेश सिंह महरा
स्त्रोत: कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार
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