मुर्रा
यह विश्व की सबसे अच्छी भैंस की दुधारू नस्ल है। यह भारत के सभी हिस्सों में पायी जाती है। इसका गृह क्षेत्र हरियाणा के रोहतक, हिसार, जिन्द ब करनाल जिले तथा दिल्ली व पंजाब हैं। इसका विशिष्ट रंग जेट काला है। इस नस्ल की मुख्य विशेषता छोटे मुड़े हुए सँग तथा खुर व पूँछ के निचले हिस्से में सफेद धब्बे का होना हैं।
औसत दुग्ध उत्पादन/ब्यांत- 1678 क्रि.ग्रा. 307 दिनों में
प्रथम व्यात की उम्र 40 से 45 माह
दो व्यात के बीच का अंतराल- 450 से 500 दिन
सुरती
भैंस की इस नस्ल का गृह क्षेत्र गुजरात है। यह भूमिहीन, छोटे व सीमान्त किसानों में बहुत प्रचलित हैं इसका कारण इसकी छोटी शारीरिक बनावट है। इस नस्ल की सींग हाँसियाकार होती है।
औसत दुग्ध उत्पादन/ब्यांत-1400 कि.ग्रा. 352 दिनों में
प्रथम व्यात की आयु 40 से 50 माह
दो व्यात के बीच का अंतराल 400 से 500 दिन
जाफराबादी
इस नस्ल का प्रजनन प्रक्षेत्र गुजरात के कच्छव जामनगर जिले है। यह भैंस की सबसे भारी नस्ल है। इसके अग्र सिर में यह सफेद निशान ‘नव चन्द्र’ के नाम से जाना जाता है।
औसत दुग्ध उत्पादन/ब्यांत 2150 कि.ग्रा. 305 दिनों में
दुग्ध वसा की मात्रा 7-8%
प्रथम ब्यांत की आयु 35 से 40 माह
दो ब्यांत के बीच का अंतराल 390 से 480 दिन
मेहसाना
इस नस्ल का गृह क्षेत्र गुजरात है यह मध्यम आकार की शांत स्वभाव की नस्ल है। इस नस्ल की उत्पत्ति गुजरात की सुरती नस्ल व मुर्रा नस्ल के संकर से हुई है।
दुग्ध उत्पादन/ब्यांत 1200 से 1500 कि.ग्रा.
दुग्ध वसा की मात्रा- लगभग 7%
भदावरी
यह विश्व की एक विलक्षण नस्ल है, क्योंकि समस्त गोजातीय जातियों में सबसे अधिक दुग्ध वसा की मात्रा इसके को इस नस्ल का गृह क्षेत्र गुजरात है। यह भूमिहीन, दुग्ध में होती है। अतः इसे भारत के घी का कटोरा के नाम से भी जाना जाता है। इस नस्ल का गृह क्षेत्र उत्तर प्रदेश की भदावरी तहसील जिला आगरा एवं जिला इटावा है।
औसत दुग्ध उत्पादन/ब्यांत- 800 कि.ग्रा.
दुग्ध वसा की मात्रा लगभग 13%
गोदावरी
इस नस्ल का गृह क्षेत्र आंध्रप्रदेश के पूर्व व पश्चिम गोदावरी जिले हैं, यह नस्ल अच्छे दुग्ध उत्पादन एवं अच्छी दुग्ध वसा के लिए जानी जाती है। इस नस्ल में कई गो जातिया रोगों के विरूद्ध प्रतिरोधक क्षमता होती है। इस नस्ल की उत्पत्ति मुर्रा नरो । की सहायता से मूल निवासी मादाओं के संकर से हुई है, प्रक्रिया ग्रेडिंग अप के नाम से जानी जाती है।
औसत दुग्ध उत्पादन/ब्यांत 2150 कि.ग्रा. 305 दिनों में
नागपुरी
यह नस्ल दोहरे उपयोग की हैं अर्थात नर यातायात हेतु उपयोगी हैं तथा मादा अच्छी दुधारू हैं। इस नस्ल का गृह क्षेत्र महाराष्ट्र हैं।
औसत दुग्ध उत्पादन/ब्यांत 1060 कि.ग्रा.
सांभलपुरी
इस नस्ल का गृह क्षेत्र उड़ीसा का सांभलपुर जिला है, यह नस्ल छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में भी पायी जाती है। यह नस्ल दोहरे उपयोग वाली है।
दुग्ध उत्पादन/ब्यांत 2300 से 2700 कि.ग्रा. 340 से 370 दिनों में
तराई
यह मध्यम आकार की नस्ल है तथा कम चारे में भी पर्याप्त मात्रा में दूध देती है। यह नस्ल उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों में तथा उत्तराखंड में पाई जाती है।
औसत दुग्ध उत्पादन-1030 कि.ग्रा.
टोड़ा
इस नस्ल का नाम दक्षिण भारत के टोड़ा आदिवासियों के नाम पर है। इस नस्ल का गृह क्षेत्र तमिलनाडू की नील गिरी पहाड़ियां है। इस नस्ल की उत्पत्ति प्रतिकूल परिस्थितियों में अनुकूलन से हुई है।
औसत दुग्ध उत्पादन/ब्यांत 500 कि.ग्रा.
दुग्ध वसा की मात्रा 8%
साथकनारा
यह मध्यम आकार की प्रचलित नस्ल है। यह नस्ल कर्नाटक के बंगलौर जिले के समुद्रतटीय क्षेत्रों में पायी जाती है।
औसत दुग्ध उत्पादन 600 से 800 कि.ग्रा. 185 से 260 दिनों में
स्त्रोत: पशुपालन, डेयरी और मत्स्यपालन विभाग, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय
Source