
नरेश बैनीवाल/अमर उजाला, चोपटा(हरियाणा)
Updated Tue, 20 Aug 2019 12:49 PM IST
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वर्तमान समय में धान की पराली जलाने से सबसे ज्यादा प्रदूषण होता है। किसान जाने अनजाने में धान की पराली जलाते रहते हैं। जिससे न केवल प्रदूषण बढ़ता है बल्कि जमीन की उर्वरा शक्ति भी कम होती है। कृषि विशेषज्ञ बार बार किसानों को पराली न जलाने के प्रति किसानों को आगाह करते रहते हैं। परंतु किसान अपने खेतों में पराली जला ही देते हैं।
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लेकिन गांव डिंग के प्रगतिशील किसान राकेश कुमार बुरड़क ने धान की पराली को जलाने की बजाय वर्तमान कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बताई गई विधि हैपी सीडर मशीन से पराली को जमीन में ही बिखेर कर गेहूं की बिजाई करके प्रदूषण कम किया है। वहीं गेहूं का उत्पादन भी ज्यादा हुआ है।किसान राकेश कुमार पिछले तीन साल से धान की पराली में ही गेहूं की बिजाई करके पानी का खर्च तो बचा ही रहा है, वहीं प्रदूषण भी नहीं फैलता व अन्य किसानों ने भी राकेश का अनुसरण कर धान की पराली में ही ड्रिल हैपी सिडर मशीन द्वारा बिजाई में जुट गए हैं।