किसान भाई यह रोग धान में कवक से होने वाला रोग है और यही कारण है की धान की फसल ज्यादा प्रभावित होता है, यह बहुत बड़ी समस्या है जिसके कारण से हर वर्ष बहुत ज्यादा धान की पैदावार में कमी करता है और फसल नष्ट हो जाती है हमारे किसान भाई इस रोग की पहचाना न कर पाने से रोग पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे है।
रोग का कारक – Rice Blast is caused by Magnaporthe oryzae. (Fungus disease) |
रोग का लक्षण या पहचान–
- धान की दूधिया की अवस्था में तलके के आकार का लंबे धब्बे बनते हैं पुष्पगुच्छ के आधार पर घाव बन जाते हैं जिससे ये गिर जाते हैं।
- यह रोग से प्रभावित भाग काला हो जाता है और भुरभुरा होकर टूट जाता है। जो पौधे की पत्ती, गाँठ, नेक को प्रभावित करती है। उसी के कारण क्रमशः लीफ ब्लास्ट, नोड ब्लास्ट एवं नेक ब्लास्ट नाम से भी जाना जाता है।
- धब्बों का घर बढ़ने से पूरी पत्ती झुलस जाती है।
- अधिक प्रकोप होने पर तानो की गांठ ऊपर काला भूरा धब्बा बन जाता है, जिससे तने हल्की हवा से भी टुट कर गिर जाते हैं।
- रोग ज्यादा होने से बाली में दाना नहीं बनता है।
रोग का प्रबंधन–
- गर्मियों के समय में खाली होने पर खेत की गहरी जुताई करनी चाहिए।
- रोग प्रतिरोधक वाली प्रजातियों का चयन करना चाहिए।
- नर्सरी में बीज शोधन के उपरांत ही होना चाहिए।
- धान के खेतों में खरपतवार को निकाल देना चाहिए।
- रोग रहित नर्सरी का प्रयोग करनी चाहिए।
- ज्यादा नाइट्रोजन का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
रासायनिक नियंत्रण–
- नर्सरी में बुवाई से पूर्व बीज का उपचार बविस्टिन 10 ग्राम + 1 ग्राम स्ट्रेप्टोसायक्लीन की मात्रा को 10 लीटर पानी के घोल में मिलाकर 10 से 12 घंटे भीगा देनी चाहिए।
- नर्सरी में बुवाई से पूर्व बीज का उपचार 2 ग्राम स्ट्रेप्टोसायक्लीन प्रति 12 किलोग्राम बीज की मात्रा को 20 लीटर पानी के घोल में मिलाकर 10 से 12 घंटे भीगा देनी चाहिए।
- कार्बेंडाजिम 50% 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर देनी चाहिए।
- ट्राईसाइक्लाजोल 75WP की 288 ग्राम प्रति हेक्टेयर मात्रा को 240 से 280 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करनी चाहिए।
- क्लोरोथेनॉनिल 750 ग्राम प्रति हेक्टेयर मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर देनी चाहिए।
- मैनकोज़ेब+कार्बेंडाजिम (साफ) 600 ग्राम प्रति हेक्टेयर मात्रा को 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव कर देनी चाहिए।