नरेश बैनीवाल, अमर उजाला, चोपटा (हरियाणा)
Updated Mon, 07 Oct 2019 10:26 AM IST
उसने अपने घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए 9 वर्ष पूर्व में 25 एकड़ भूमि में कीनू का बाग लगाया। इससे परंपरागत कृषि के साथ अतिरिक्त आमदन शुरू हो गई। लीक से हटकर कुछ करने के जज्बे ने विकास को हरियाणा के साथ – साथ निकटवर्ती राजस्थान के आस – पास के गांवों में अलग पहचान भी दिलवाई जिससे किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया। विकास पूनिया ने बताया कि रेतीली जमीन व नहरी पानी की हमेशा कमी के कारण परंपरागत खेती में अच्छी बारिश होने पर तो बचत हो जाती वरना घाटा ही लगता। 9 वर्ष पूर्व तत्कालीन सरकार ने समाचार पत्रों में विज्ञापन दिया कि किसान खेतों में बाग लगाए तो उन्हें कई प्रकार की रियायतें दी जाएंगी। समाचार पत्रों से पढ़कर स्कीम के बारे में विभाग से जानकारी लेकर व वहां से प्रेरणा लेकर 25 एकड़ जमीन में कीनू का बाग लगाया।