दीमक (Cryptotermes brevis)
किसान भाई दीमक का प्रकोप उन क्षेत्रों में होता है जहां पर मिट्टी बलुई दोमट होते हैं और उन क्षेत्रों में होता है जहां पर नमी ज्यादा रहती है |
कीट की पहचान:-
दीमक सफेद मटमैला रंग के किट होता है जो कॉलोनी बनाकर रहते हैं इनके साथ जो श्रमिक रहते हैं छोटे तथा पीलापन लिए हुए सफेद रंग के होते हैं यह बलुई दोमट मृदा और सूखे की स्थिति में दीमक का प्रकोप अधिक संभावना होती है दीमक बीज व पौधे की जड़ों को खाकर नुकसान पहुंचाते हैं और उसे नष्ट कर देते हैं।
दीमक का रोकथाम:-
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- बुवाई करने से पहले खेत को गहरी जुताई करनी चाहिए ।
- खेतों में कच्चे गोबर या पूर्णता ना सड़ी हुई खाद का प्रयोग नहीं करनी चाहिए।
- किसान भाई खेतों में पूर्णता सड़ी हुई खाद का प्रयोग करनी चाहिए।
- खेतों में बचे फसलों के अवशेष को एक गड्ढे में एकत्र कर कर कंपोज बनाकर खेतों में खाद के रूप में प्रयोग करनी चाहिए।
- नीम की खली प्रति हेक्टेयर 200 किलोग्राम अंतिम जुताई के समय खेतों में मिला देनी चाहिए इससे दीमक का प्रकोप फसल में नहीं लगता है।
- वेवरिया वेसियाना (1.15%) 2.5 किलोग्राम को 75 से 100 किलोग्राम गोबर की खाद में मिलाकर 1 हफ्ते के बाद खेत में अंतिम जुताई के समय मिला देनी चाहिए इससे दीमक का प्रकोप बहुत ही कम हो जाता और दीमक खेत मे नही लगते है।
- खड़ी फसल में क्लोरोपायरीफास 20 EC प्रति हेक्टेयर 3 लीटर मात्रा को 60 किलोग्राम बालू के साथ है मिलाकर खेत में फैलाव कर देना चाहिए।
- इमिडाक्लोप्रिड 250ml प्रति हेक्टेयर की दर से खेतों में छिड़काव कर देनी चाहिए।
- क्लोरोपायरीफास 20 EC 2.5 लीटर प्रति हेक्टेयर दर से खेतों में छिड़काव करनी चाहिए।