यूरिया एवं अन्य खाद की उपलब्धता
फसल के अच्छे उत्पादन के लिए किसान खाद-उर्वरक का प्रयोग करते ही है | यह इसलिए भी जरुरी है क्योंकि साल में दो या तीन फसलें लेने पर मिट्टी की उर्वरक क्षमता कम हो जाती है | अक्सर किसान फसलों की पहली सिंचाई के बाद यूरिया का प्रयोग करते हैं जिससे फसल वृद्धि के लिए पर्याप्त मात्रा में नाईट्रोजन मिल सके | एक साथ किसानों के द्वारा यूरिया की मांग बढ़ जाने के कारण बाजार में यूरिया की कमी हो जाती है | इसके अलावा कुछ बड़े व्यापारियों के द्वारा यूरिया की जमाखोरी भी कई बार की जाती है जिससे बाजार में कई बार यूरिया उपलब्ध नहीं हो पाता है |
किसानों को यूरिया पर्याप्त मात्रा में मिल सके इसके लिए राज्य सरकार पहले से ही तैयारी करके रखती है इसके लिए सरकार द्वारा ऑनलाइन व्यवस्था की गई है जिसके तहत किसान यह देख सकते हैं की उनके नजदीक कहाँ कौनसा खाद कितनी मात्रा में उपलब्ध है |
किस विक्रेता के पास कितना उर्वरक हैं, यह कैसे मालूम करें
किसान घर बैठे जान सकते हैं की उनके नजदीक यूरिया, डी.ए.पी. एवं अन्य खाद कितनी मात्रा में उपलब्ध है | अधिकांश राज्यों में सभी खाद-उर्वरकों को पी.ओ.एस. मशीन के माध्यम से ही बेच जा रहा है | इसके अलावा किसी विक्रेता के पास कितना उर्वरक हा यह भी किसान मालूम कर सकते हैं | इसके लिए किसान अपने मोबाईल या कंप्यूटर पर एम.एफ.एम.एस. लिखें, इसके बाद एक वेबसाईट खुलेगी | उस पर आपके जिले तथा प्रखंड स्तर पर यह मालूम किया जा सकता है की आपके नजदीक उर्वरक का विक्रेता कौन है तथा उसके पास कितना उर्वरक है |
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यूरिया खाद का मूल्य क्या है ?
राज्य में उर्वरक की बिक्री केन्द्रों पर पी.ओ.एस. मशीन के माध्यम से 296 रूपये प्रति 50 किलोग्राम यूरिया के पैकेट एवं 266.50 रूपये प्रति 45 किलोग्राम यूरिया के पैकेट की दर पर ही बिक्री किया जाना है | राज्य में सभी खुदरा उर्वरक बिक्रेता को पी.ओ.एस. मशीन के माध्यम से ही उर्वरकों की बिक्री करना अनिवार्य कर दिया गया है |
बिहार राज्य में अभी उपलब्ध यूरिया
बिहार राज्य सरकार ने भी यूरिया की पर्याप्त स्टोरेज किये हुए हैं | सरकार का दावा है कि इस रबी वर्ष में किसानों को यूरिया की कोई कमी नहीं है | किसान समाधान यूरिया के साथ–साथ सभी उर्वरकों के बारे में बिहार में उपलब्धता की जानकारी लेकर आया है |
राज्य में उर्वरक की उपलब्धता कितनी है ?
यूरिया
राज्य के कृषि विभाग के अनुसार बिहार को रबी सीजन में 970000 मे.ट. यूरिया की जरूरत होती है | जबकि केंद्र सरकार के तरफ से बिहार को 1001900 मे.ट. यूरिया आवंटित किया गया है तथा 727817 मे.ट. यूरिया की आपूर्ति हो गई है एवं 104367 मे.ट. रास्ते में हैं |
डी.ए.पी.
बिहार में डी.ए.पी. की 280000 मे.ट. की आवश्यकता है | जबकि केंद्र सरकार के द्वारा 391800 मे.ट. डी.ए.पी. आवंटित किये गये हैं | अभी तक 426258 मे.ट. डी.ए.पी राज्य में पहुँच गया है और 18086 मे.ट. डी.ए.पी. अभी रस्ते में है |
एन.पी.के.
बिहार में एन.पी.के. की आवश्यकता 180000 मे.ट. है | केंद्र सरकार के द्वारा 299350 मे.ट. एन.पी.के. आवंटित किया गया है | अभी तक 186766 मे.ट. एन.पी.के. बिहार पहुँच गया है जबकि 8748 मे.ट. एन.पी.के. रस्ते में हैं |
एम.ओ.पी.
बिहार को 120000 मे.ट. एम.ओ.पी. की आवश्यकता है | अभी तक केंद्र सरकार के द्वारा 206400 मे.ट. एम.ओ.पी. की आवंटन किया गया है | बिहार में 132380 मे.ट. एम.पी,के आपूर्ति किया गया है जबकि 4976 मे.ट. रास्ते में हैं |
उर्वरक के नहीं मिलने पर किसान कहाँ शिकाय करें ?
बिहार राज्य में यूरिया की कोई कमी नहीं है | किसानों यूरिया की उपलब्धता पर्याप्त मात्रा में हो इसके लिए राज्य सरकार कटिबद्ध है | उर्वरकों की कालाबाजरी पर निगरानी रखने हेतु जिला स्तर पर जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में एवं प्रखंड स्तर पर प्रखंड प्रमुख की अध्यक्षता में उर्वरक निगरानी समिति गठित है |
बिहार कृषि विभाग ने किसानों से अपील किया है की उन्हें जितना उर्वरक की आवश्यकता है उतना ही वह खरीदें | भविष्य के लिए पर्याप्त मात्रा में उर्वरक राज्य सरकार स्टोक कर के रखा है | इसलिए अफवाहों पर ध्यान नहीं दें |
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