
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, शिमला
Updated Sat, 08 Feb 2020 12:32 PM IST
बागवानी विशेषज्ञों का कहना है कि सेब के पेड़ों में पौध रस चलने के समय पेड़ों की प्रूनिंग करना उपयुक्त रहा है। सुप्तावस्था में पेड़ों की टहनियों की काट छांट करने से पेड़ों पर कैंकर और वूली एफिड के हमलों की आशंका बनी रहती है। इस कारण से बागवानों का चाहिए कि फरवरी से मार्च के बीच पेड़ों की प्रूनिंग कर लें। इस दौरान पेड़ों की प्रूनिंग करने से पेड़ों के जख्म आसानी से भर जाते हैं, क्योंकि पेड़ों का पौध रस इसके लिए मददगार साबित होता है।
बागवानी विशेषज्ञ डॉ. एसपी भारद्वाज कहते हैं कि फरवरी से मार्च के बीच सेब के पेड़ों की प्रूनिंग का काम पूरा कर लें। इस दौरान सेब के पेड़ों के जख्म आसानी से भर जाते हैं। पेड़ों पर बोडो मिक्सचर यानी 2 किले नीला थोथा, 2 किलो चूना और दो सौ लीटर पानी में मिलाकर घोल तैयार कर लें। यह घोल 25 से 30 पेड़ों में छिड़काव के लिए उपयुक्त है। पेड़ों की प्रनिंग के साथ पेड़ों पर छिड़काव भी करते रहें। पेड़ों की प्रूनिंग उपयुक्त समय पर करने से फलों की पैदावार भी अच्छी मिलती है।