कोरॉजन कीटनाशक का गन्ने की फसल में प्रयोग
देश में गन्ना किसानों की आर्थिक हालत वैसे ही ठीक नहीं है ऐसे में फसल उत्पादन में अधिक कीटनाशक एवं उर्वरक के प्रयोग से फसल की लागत बढ़ जाती है जिससे किसानों को आर्थिक क्षति होती है | ऐसे में वैज्ञानिकों के द्वारा किसानों को गन्ने की फसल की लागत कम करने के लिए आवश्यकता अनुसार ही खाद एवं कीटनाशक का प्रयोग करने की सलाह देते हैं | खाद की उपयोग मात्रा किसान खेत की मिट्टी का जांच करवा कर पता कर सकते हैं वहीँ कीटनाशकों का प्रयोग जरुरत पर ही कर नुकसान से बचाया जा सकता है |
अंकुर बेधक एवं चोटी बेधक कीट नियंत्रण हेतु कोरॉजन कीटनाशक का प्रयोग
उत्तरप्रदेश के गन्ना एंव चीनी आयुक्त, श्री संजय आर. भुसरेड्डी ने बताया कि वैज्ञानिक संस्तुतियों के अनुसार फसल वर्ष में एक बार ही कोरॉजन का प्रयोग गन्ने की फसल में लगने वाले बेधक कीटों के नियंत्रण हेतु पर्याप्त है, क्योंकि यह कीटनाशक काफी महंगा है और इसका प्रभाव भी काफी समय तक बना रहता है और वातावरण में जल्दी नष्ट नहीं होता है | अतः किसानों के लिये आर्थिक एंव पर्यावरण की द्रष्टि से भी इसका अधिक उपयोग किया जाना हितकर नहीं है | यह एक अतिघातक श्रेणी का वर्गीकृत रसायन है, जिसका पर्यावरण तथा मृदा स्वास्थ पर भी प्रतिकूल प्रभाव पडता है |
कोरॉजन कीटनाशक के सम्बन्ध में भ्रामक प्रचार के कारण किसानों द्वारा इसका प्रयोग गन्ना फसल में 2 से 3 बार किया जा रहा है, जो अत्यंत गलत है | इससे किसानों को आर्थिक नुकसान तो होता ही है, पर्यावरण तथा मृदा स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पडता है |
आई.आई.एस.आर., लखनऊ की रिपोर्ट दिनांक–23.03.2017 के अनुसार इसका उपयोग अंकुर बेधक व चोटी बेधक कीट के नियंत्रण हेतु किया जाता है तथा इसका प्रयोग मई के अंतिम सप्ताह या जून के प्रथम सप्ताह में केवल एक बार करना पर्याप्त हैं | इसी प्रकार गन्ना शोध परिषद् , शाहजहापुर द्वारा अपनी रिपोर्ट में बताया गया है कि इसका उपयोग अंकुर बेधक व चोटी बेधक कीट के नियंत्रण हेतु किया जाता है | राष्ट्रीय शर्करा संसथान कानपूर, जो कि एक भारत सरकार की संस्था है, के द्वारा भी इसका (शिफारिश) कंसुआ तथा टाप बोरर नियंत्रित करने हेतु की गई है |
अतः उपय्रुक्त वैज्ञानिक रिपोर्ट इस बात की पुष्ठी करती हैं की कोरॉजन का प्रयोग फसल की बोरर से सुरक्षा हेतु केवल एक बार करना पर्याप्त है | कोरॉजन एक महंगी दवा है, जिसके अधिक प्रयोग से गन्ना फसल की लागत में काफी बढोत्तरी हो जाती है तथा इसका प्रयोग आर्थिक द्रष्टि से तभी उचित है, जब खेत में कम से कम 15 प्रतिशत पौधों में बोरर का प्रकोप दिखाई पड़े |
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