सर्दी और पाले से फसलों को बचायें – किसानों को बढ़ती सर्दी से चिंता सताने लगी है कि फसलों को कैसे बचाये जल्द ही शीतलहर और पाले का प्रकोप दिखाई देने लगेगा। जब सर्दी चरम पर होती है तो उस समय किसानों के सामने अपनी फसल को बचाने की चिंता सताने लगती है। कड़ाकेदार सर्दी में फसलों पर पाला पडऩे की संभावना बढ़ जाती है। जब आसमान साफ हो, हवा न चले और तापमान कम हो जाए तब पाला पडऩे की संभावना बढ़ जाती है। दिन के समय सूर्य की गर्मी से पृथ्वी गर्म हो जाती है तथा पृथ्वी से यह गर्मी विकिरण द्वारा वातावरण में स्थानांतरित हो जाती है। इसलिए रात्रि में जमीन का तापमान गिर जाता है, क्योंकि पृथ्वी को गर्मी को नहीं मिलती और इससे मौजूद गर्मी विकिरण द्वारा नष्ट हो जाती है। तापमान कई बार 0 डिग्री सेल्सियस या इससे भी कम हो जाता है। ऐसी अवस्था में ओस की बूंदें जम जाती हंै। इस अवस्था को पाला कहते हैं।
पौधों को पाले से होने वाली हानि से कैसे बचायें
पाले से प्रभावित पौधों की कोशिकाओं में उपस्थित पानी सर्वप्रथम अंतरकोशिकीय स्थान पर इक्क_ा हो जाता है। इस तरह कोशिकाओं में निर्जलीकरण की अवस्था बन जाती है। दूसरी ओर अंतरकोशिकीय स्थान में एकत्र जल जमकर ठोस रूप में परिवर्तित हो जाता है, जिससे इसके आयतन बढऩे से आसपास की कोशिकाओं पर दबाव पड़ता है। यह दबाव अधिक होने पर कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। इस प्रकार कोमल टहनियां पाले से नष्ट हो जाती हैं।
पाले से बचाव के उपाय
जब पाला या सर्द हवाएं चलती हैं तो किसान की चिंता बढऩा स्वाभाविक है क्योंकि इस से फसलों और सब्जियों को नुकसान होने का प्रतिशत बढ़ जाता है। जब वायुमंडल का तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से कम तथा शून्य डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है तो पाला पड़ता है। इसलिए पाले से बचने के लिए किसी भी तरह से वायुमंडल के तापमान को शून्य डिग्री सेल्सियस से ऊपर बनाए रखना जरूरी है। ऐसा करने के कुछ उपाय सुझाए गए हैं, जिन्हें अपनाकर हमारे किसान भाई ज्यादा लाभ उठा सकते हैं।
बारानी फसल पर करें गंधक के तेजाब का छिडक़ाव
जब खेत में खड़ी बारानी फसल में पाला पडऩे की आशंका हो तो पाले की आशंका वाले दिन फसल पर व्यावसायिक गंधक के तेजाब का 0.1 प्रतिशत का छिडक़ाव करें। इस प्रकार इसके छिडक़ाव से फसल के आसपास के वातावरण में तापमान बढ़ जाता है और तापमान जमाव बिंदु तक नहीं गिर पाता है, इससे फसल को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है।
वायुरोधक प्रयोग : खेत की मेड़ पर लगाएं पेड़ व झाडिय़ों की बाड़
पाले से बचाव के लिए खेत के चारों दिशाओं में मेड़ पर पेड़ व झाडिय़ों की बाड़ लगा दी जाती है। इससे शीतलहर द्वारा होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है। अगर खेत के चारों ओर मेड़ पर पेड़ों की कतार लगाना संभव न हो तो कम से कम उत्तर-पश्चिम दिशा में जरुर पेड़ की कतार लगायें। जो इसी दिशा में आने वाली शीतलहर को रोकने का काम करेगी। पेड़ों की कतार की ऊंचाई जितनी अधिक होगी शीतलहर से सुरक्षा उसी के अनुपात में बढ़ती जाती है और यह सुरक्षा चार गुना दूरी तक होती है जिधर से शीतलहर आ रही है। पेड़ की ऊंचाई के 25-30 गुना दूरी तक जिधर शीतलहर की हवा जा रही है, फसल सुरक्षित रहती है।
खेतों की सिंचाई करके पाला से बचाव
जब भी पाला पडऩे की संभावना हो या मौसम विभाग द्वारा पाले की चेतावनी दी गई हो तो फसल में हल्की सिंचाई कर दें। इससे तापमान 0 डिग्री सेल्सियस से नीचे नहीं गिरेगा और फसलों को पाले से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है। जहां पर सिंचाई फव्वारा विधि द्वारा की जाती है वहां यह ध्यान रखने की बात है कि सुबह 4 बजे तक अगर फव्वारे चलाकर बंद कर देते हैं तो सूर्योदय से पहले फसल पर बूंदों के रूप में उपस्थित पानी जम जाता है और फायदे की अपेक्षा नुकसान अधिक हो जाता है। अत: स्प्रिंक्लर को जल्दी प्रात:काल से सूर्योदय तक लगातार चलाकर पाले से होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।
लो टनल अपनाएं सर्दी से सब्जियों को बचायें
सर्दी बढऩे से सब्जियों में नुकसान की सम्भावना बढ़ जाती है इसके लिए सरकार द्वारा किसानों को लो टनल लगाने के लिए अनुदान दिया जा रहा है । इसके लिए किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है जिसका लाभ किसान भाइयों को लेना चाहिए।
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