मंडलेश्वर।
कहते हैं सीखने के लिए न तो उम्र आड़े आती है और न ही शिक्षा। यदि व्यक्ति ठान ले, तो आकाश भी छू सकता है। बड़वाह रोड़ पर कतरगांव से 3 किमी अंदर स्थित गांव चिराखान के श्री गजानन पटेल (46 ) ऐसे उत्साही कृषक हैं, जो कृषि क्षेत्र में हमेशा सीखने और कुछ नया करने की सोचते रहते हैं। यह उन्नत कृषक कृषि क्षेत्र में अपना ज्ञान बढ़ाने के लिए विदेश यात्रा करना चाहते हैं।
कुल 4 हेक्टेयर ज़मीन के मालिक श्री गजानन पटेल खरीफ और रबी सीजन में परम्परागत खेती के तहत सोयाबीन, मक्का , गेहूं और चना तो लगाते ही हैं, साथ ही 2 हेक्टेयर में सुबबूल और 1 हेक्टेयर में अमरुद के पेड़ भी लगाए हैं। सुबबूल की हर दो साल में कटाई होती है , जिसे 12 साल के अनुबंध पर जे. के.पेपर लि. सोनगढ़ (गुजरात ) को 3200 रु. प्रति टन की दर से बेचा जाता है। जबकि देसी इलाहाबादी अमरुद की बहार को स्थानीय ठेकेदारों को एक मुश्त राशि पर बेच दिया जाता है। इससे 50,000 से 80,000 रु. तक मिल जाता है। उद्यानिकी विभाग की नमामि देवी नर्मदे योजना के तहत इनके द्वारा 2017 में लगाए नई प्रजाति के अमरुद के पेड़ भी अब फल देने लग गए हैं। यह फल भी बहुत मीठा है। इसके अलावा करीब डेढ़ साल पहले नीलगिरि के 700 पौधे और गत अक्टूबर में आम के 200 पौधे भी इन्होंने लगाए हैं।
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