संरक्षित खेती का महत्व
- डॉ. विजय अग्रवाल, वैज्ञानिक ज.ने.कृ.वि.वि, जबलपुर
- डॉ. सुधीर सिंह धाकड़, वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंन्द्र, शाजापुर
15 मार्च 2021, भोपाल । लगाएं फल-सब्जी ग्रीन हाउस में – संरक्षित खेती, कृषि की ऐसी परिष्कृत तकनीकी है जो पौधों की बढ़वार हेतु उपयुक्त वातावरण प्रदान करती है। इस तकनीकी द्वारा वर्षा, तापमान, सोर्य विकिरण, पाला,कीट, रोग आदि से पौधों को सुरक्षा प्रदान की जाती है।
लाभ
- जैविक एवं अजीवित कारकों से फसल को सुरक्षा।
- भूमि एवं जल का बेहतर उपयोग।
- अधिकतम लाभ हेतु बैमोसमी फसल उत्पादन संभव।
- जैविक खेती का मजबूत आधार ।
- कम क्षेत्रफल में अधिक उत्पादन संभव।
- शहरों के आसपास के क्षेत्रों के लिए अत्यधिक उपयोगी।
- खुले खेतों की अपेक्षा गुणवत्ता युक्त उत्पादन प्राप्त होता है।
- ग्रामीण युवाओं हेतु स्वरोजगार की अधिक संभावनाएं।
विभिन्न प्रकार के हाउस
संरक्षित खेती के अंतर्गत विभिन्न प्रकार की संरचनाओं का फसल उत्पादन हेतु उपयोग किया जाता है। जैसे ग्रीन हाउस अथवा पाली हाउस, छाया घर, नेट हाउस या जालीदार घर, वाक इन टनल, लोटनल, सब्जियों की प्लग ट्रे पौध उत्पादन प्रौद्योगिकी आदि।
ग्रीनहाउस पाली हाउस
ग्रीनहाउस, पॉलीथिन से बना हुआ अद्र्ध चंद्राकार या झोपड़ीनुमा शेड होता है, जिसके अन्दर नियंत्रित वातावरण में पौधों को उगाया जाता है तथा उत्पादन को प्रभावित करने वाले कारक जैसे सूर्य का प्रकाश, तापमान, आद्र्रता आदि विभिन्न कारकों पर नियंत्रण होता है। ठंड की अधिकता में जहां खुले वातावरण में फसल विशेष आसानी से प्राप्त नहीं की जा सकती, वहीं ग्रीनहाउस में सफलतापूर्वक इसका उत्पादन किया जा सकता है। ग्रीनहाउस में सूर्य प्रकाश द्वारा विकिरण से प्राप्त ऊर्जा ग्रीनहाउस के अंदर संचित की जाती है, जिससे इसका सूक्ष्म वातावरण बदल जाता है। तापमान बढऩे से अधिकतर फसलों का उत्पादन ग्रीनहाउस के नियंत्रित वातावरण में संभव हो सकता है। इसी प्रकार ग्रीष्म ऋतु में ग्रीनहाउस में तापमान की अधिकता होने पर फैन एवं पेड अथवा सूक्ष्म फव्वारे एवं क्रास वेंटीलेशन के द्वारा तापमान को कम किया जा सकता है।
लाभ
- सामान्य खेत में सब्जियों का सफल एवं अधिक उत्पादन लेना संभव नहीं होता है जबकि ग्रीनहाउस में सफलतापूर्वक लिया जा सकता है।
- स्थान विशेष में कुछ सब्जियों को ग्रीनहाउस के अंदर साल भर उगायें।
- ग्रीनहाउस की फसल उत्तम गुणवत्ता वाली होती है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में विदेशी मुद्रा अर्जित कर सकती है।
- खुले खेतों की अपेक्षा ग्रीनहाउस की उतपादकता कई गुना होती है।
- ग्रीनहाउस के नियंत्रित वातावरण में फसल सुरक्षा आसान होती है।
- ग्रीनहाउस में सब्जियों की नर्सरी के साथ -साथ फलों की नर्सरी के लिये भी उपयुक्त वातावरण होता है।
- सब्जियों में जैविक खादों का उपयोग कर अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
स्थान कैसे चुनें
ग्रीनहाउस के लिये स्थल का चुनाव अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। ऐसे स्थान का चुनाव करें जहाँ कम से कम लागत लगे। साथ ही आवश्यक सामग्री, जो ग्रीनहाउस के निर्माण में सहायक हो, उसकी उपलब्धता नियमित और समय पर हो, इसके निर्माण में कम से कम बाधा आये।
- ग्रीनहाउस के नजदीक कोई भवन या वृक्ष नहीं हो, जो प्रकाश के मार्ग में बाधा उत्पन्न करें।
- ग्रीनहाउस शहर या मार्केट के नजदीक हो।
- ग्रीनहाउस स्थल पर पर्याप्त ढलान हो ताकि पानी की निकासी अच्छी तरह से हो सके।
- स्वच्छ और साफ पानी ग्रीनहाउस तक पहुंचाया जा सके।
ग्रीनहाउस के निर्माण
ग्रीनहाउस निर्माण के उपयोग में सामग्री एवं लागत के आधार पर तीन प्रकार से वर्गीकृत किया गया है –
कम लागत: जिसमें फसलों के लिए वर्षा, धूप एवं लू से सुरक्षा हेतु व्यवस्था की जाती है। इसके अंतर्गत नेचुरली वेंटीलेटेड ग्रीन हाउस आते है जिनका निर्माण पाईप अथवा बॉस या लकड़ी द्वारा भी किया जा सकता है। इसमें लगभग 9 माह (अगस्त-अप्रैल) तक फसल उत्पादन किया जाना संभव है। उपयोग की गयी सामग्री के अनुसार इसकी लागत रू. 350/वर्ग मी. से लेकर रू. 935/वर्ग मी. होती है।
मध्यम लागत
जिसमें हाउस की आंतरिक जलवायु का तापमान फसलों की आवश्यकतानुसार कम व अधिक करने संबंधी (कूलिंग पेड सिस्टम) व्यवस्था हो। इसमें उच्च लागत वाली फसलों को वर्ष भर सफलता पूर्वक लागाया जा सकता है। उपयोग की गयी सामग्री के अनुसार इसकी लागत रू. 1000 /वर्ग मी. से लेकर रू. 1450/वर्ग मी. होती है।
उच्च लागत: यह ग्रीनहाउस आधुनिकतम तकनीक से सुसज्जित एवं कम्प्यूटर नियंत्रण प्रणाली द्वारा संचालित, जिसमें फसल उत्पादन को प्रभावित करने वाले प्रत्येक कारकों जैसे – प्रकाश, तापमान, आद्र्रता एवं कार्बन डाइऑक्साइड आदि का नियंत्रण संभव होता है। इस प्रकार का अच्छा व उपयुक्त ग्रीनहाउस बनवाने पर लगभग 3000 रूपये प्रति वर्गमीटर के हिसाब से खर्चा होता है।
निर्माण में सावधानियां
ग्रीनहाउस के निर्माण में दिशा की भी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसके निर्माण के समय की गई छोटी त्रुटि भी भविष्य में इसके उद्देश्यों की पूर्ति में बाधक हो सकती है। अत: ग्रीनहाउस निर्माण के समय निम्न बातों का ध्यान रखना अत्यंत आवश्यक है।
- ग्रीनहाउस की निर्माण पूर्व-पश्चिम दिशा में ज्यादा लाभप्रद होगा बजाय उत्तर-दक्षिण के, क्योंकि पूर्व-पश्चिम दिशा में ठंड के समय प्रकाश का आवागमन ज्यादा समय के लिए होता है, जो कि प्रकाश-संश्लेषण क्रिया में सहायक होती है।
- ग्रीनहाउस के निर्माण में हवा की रोकथाम के लिए वायुअवरेाधक वृक्षों को लगाया जाए ताकि प्रकाश के मार्ग में बाधा उत्पन्न न हो और संरचना को भी तेज हवा से बचाया जा सके।
- ग्रीनहाउस के फ्रेम पर लगने वाली प्लास्टिक एवं जाली एल्यूमिनियम प्रोफाईल और जिगजैग स्प्रिंग लॉक द्वारा लगायें।
- नेचुरली वेंटीलेटेड ग्रीनहाउस में वायु आवागमन के लिए जाली 40 मेश आकार की तथा पराबंैगनी अवरोधी हो।
- ग्रीनहाउस के अंदर धूप की सघनता को कम करने हेतु थर्मल अथवा सफेद रंग की 50 प्रतिशत वाली छायादार जाली हो।
- प्रवेश के लिए दो दरवाजे रखें।
- ग्रीनहाउस के निर्माण के दौरान स्कर्टवाल बनायें ताकि निचले क्षेत्रों में ग्रीनहाउस के अंदर जल भराव न हो।
- ग्रीनहाउस की फिटिंग के दौरान केवल नट/बोल्ट का प्रयोग हो। इसमें फिटिंग हेतु वेल्डिंग नहीं हो।
- ग्रीनहाउस की छत से पानी नीचे लाने वाला गटर 1 मिमी मोटाई का, 500 मिमी चौड़ा एवं बिना जोड़ वाला हो।
- आंशिक रूप से वातानुकूलित ग्रीनहाउस की ऊंचाई अपेक्षाकृत कम (4.0-4.5) हो।
फसलों का चयन
ग्रीनहाउस के अंदर फसलों का चयन करते समय विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है। इसके अंदर उच्च गुणवत्ता की सब्जी एवं फूलों की खेती करें जिससे कम क्षेत्र में अधिक एवं गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त किया जा सके। सब्जी फसलों के अंतर्गत टमाटर, रंगीन शिमला मिर्च, खीरा आदि फसलें लगाई जा सकती हैं। इसी प्रकार फूलों की फसलों में गुलाब, एन्थूरियम , जरबेरा आदि को लगाया जा सकता है।
ध्यान देने योग्य बातें
- बेमौसमी फसल उत्पादन का चयन करें।
- फसल चक्र अपनाएं।
- अधिकतम पौध संधनता अपनाएं।
- वर्ष में एक बार सोर्यीकरण द्वारा मृदा उपचार करें जिससे रोग एवं कीट की रोकथाम की जा सके।
- भूमि की उर्वराशक्ति बनाये रखने हेतु रसायनिक उर्वरकों के साथ-साथ जैविक उर्वरकों का आवश्यक रूप से उपयोग करें।
- लंबवत एवं क्षैतिज स्थान का पूर्ण रूप से उपयोग करें।
- संरक्षित खेती हेतु केवल अनुशंसित फसल प्रभेदों का ही चयन करें।
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