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Author: iswar

फलों की गुणवत्ता में सुधार

Posted on September 9, 2014 By iswar No Comments on फलों की गुणवत्ता में सुधार

फलों की गुणवत्ता-महत्वपूर्ण दिशानिर्देश पादप जैव विनियामकों एवं सस्यक्रियाओं द्वारा फलों की क्वालिटी में सुधार। भा. कृ. अ. सं. द्वारा मानसूनी वर्षा प्रारंभ हाने से पहले ही अंगूरों की अगेती तुड़ाई कर लेने की तकनीक विकसित की गयी है। जनवरी के प्रथम सप्ताह में छंटाई के तुरन्त पश्चात अंगूर बेलों पर डार्मेक्स अथवा डॉरब्रेक (30…

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मिट्टी जाँच: महत्व एवं तकनीक

Posted on September 5, 2014 By iswar No Comments on मिट्टी जाँच: महत्व एवं तकनीक

मिट्टी जाँच: महत्व एवं तकनीक मिट्टी के रासायनिक परीक्षण के लिए पहली आवश्यक बात है – खेतों से मिट्टी के सही नमूने लेना। न केवल अलग-अलग खेतों की मृदा की आपस में भिन्नता हो सकती है, बल्कि एक खेत में अलग-अलग स्थानों की मृदा में भी भिन्नता हो सकती है। परीक्षण के लिये खेत में…

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संभावित सूखों का निदान

Posted on September 5, 2014 By iswar No Comments on संभावित सूखों का निदान

प्राप्त अनुभवों के आधार पर हमारे कृषि चक्रों के विभिन्न अवस्थाओं के लिए आने वाले सूखों की चेतावनी भरे संकेतों की पहचान की गई है। ये निम्नलिखित हैं: खरीफ़ के लिए ( जून से अगस्त तक बुआई) दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून आने में विलंब दक्षिणी-पश्चिमी मॉनसून के क्रियाकलापों में लंबी “अंतराल” जुलाई माह के दौरान कम वर्षा…

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लीची की सघन बागवानी

Posted on September 1, 2014 By iswar No Comments on लीची की सघन बागवानी

लीची के फल अपने आकर्षक रंग, स्वाद और गुणवत्ता के कारण भारत ही नहीं बलिक विश्व में अपना विशिष्ट स्थान बनाये हुये हैं इसमें प्रचुर मात्राा में कैल्शियम पाया जाता है। इसके अलावे प्रोटीन, खनिज पदार्थ, फास्फोरस, विटामिन-सी इत्यादि पाये जाते हैं। इसका उपयोग डिब्बा बंद, स्क्वैश, कार्डियल, शिरप, आर.टी.एस., रस, लीची नट इत्यादि बनाने…

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कृषि की नवीनतम अवधारणाएँ

Posted on August 13, 2014 By iswar No Comments on कृषि की नवीनतम अवधारणाएँ

पोली हाउस की अवधारणा पोली हाउस खेती में ऑफ सीजन के फूल, सब्जियां उगाई जाती हैं। यह प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों में भी सब्जी नर्सरी के उत्पादन में उपयोगी है। फसलों का चुनाव पाली हाउस संरचना, बाजार की मांग के साथ ही उम्मीद की बाजार कीमत के आकार पर निर्भर करता है। यह वर्ष के किसी…

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राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना

Posted on August 4, 2014 By iswar No Comments on राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना

रूपांतरित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने रूपांतरित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (MNAIS) को मंजूरी प्रदान कर दी है। कमियों को दूर करने और इसे अधिक समग्र एवं किसानोन्मुखी बनाने के लिए राज्यों के साथ विचार-विमर्श कर आवश्यक परिवर्तनों/रूपांतरणों का समावेश कर रूपांतरित NAIS का निर्माण हुआ है। रूपांतरित योजना के…

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कैसे बनते हैं मोती

Posted on July 15, 2014 By iswar No Comments on कैसे बनते हैं मोती

मोती का ऐतहासिक परिप्रेक्ष्य रामायण काल में मोती का उपयोग काफी प्रचलित था। मोती की चर्चा बाइबल में भी की गई है। साढ़े तीन हजार वर्ष ईसा पूर्व अमरीका के मूल निवासी रेड इंडियन मोती को काफी महत्व देते थे। उनकी मान्यता थी कि मोती में जादुई शक्ति होती है। ईसा बाद छठी शताब्दी में…

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ग्रामीण भंडार योजना

Posted on July 9, 2014 By iswar No Comments on ग्रामीण भंडार योजना

ग्रामीण भंडार योजना-एक परिचय यह सर्वविदित है कि छोटे किसानों की आर्थिक सामर्थ्‍य इतनी नहीं होती कि वे बाजार में अनुकूल भाव मिलने तक अपनी उपज को अपने पास रख सकें। देश में इस बात की आवश्‍यकता महसूस की जाती रही है कि कृषक समुदाय को भंडारण की वैज्ञानिक सुविधाएं प्रदान की जाएं ताकि उपज…

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पशुपालन से संबंधित योजनाएं

Posted on May 28, 2013 By iswar No Comments on पशुपालन से संबंधित योजनाएं

पशुधन बीमा योजना पशुधन बीमा योजना एक केंद्र प्रायोजित योजना है जो 10वीं पंचवर्षीय योजना के वर्ष 2005-06 तथा 2006-07 और 11वीं पंचवर्षीय योजना के वर्ष 2007-08 में प्रयोग के तौर पर देश के 100 चयनित जिलों में क्रियान्वित की गई थी। यह योजना देश के 300 चयनित जिलों में नियमित रूप से चलाया जा रहा है।…

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