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Author: Mukesh Kumar Pareek

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग और औषधीय पौधे: भारत में महत्त्व

Posted on September 29, 2021January 27, 2022 By Mukesh Kumar Pareek No Comments on कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग और औषधीय पौधे: भारत में महत्त्व

कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक ऐसी व्यवस्था है जहां कृषि उत्पादों का उत्पादन और उनकी बिक्री एक कॉन्ट्रैक्ट के अधीन की जाती है जो कि किसान, आपूर्तिकर्ता और उत्पादक में होती है। यह व्यवस्था भारत में कृषि कार्यों के आधुनिकीकरण के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में काम कर सकती है क्योंकि कृषि उत्पादों पर निर्भर उद्योगों…

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धान में कैसे करें बीमारियों की पहचान

Posted on September 9, 2021 By Mukesh Kumar Pareek No Comments on धान में कैसे करें बीमारियों की पहचान

यह समय धान की फसल के लिए बहुत नाजुक होता है, इस समय धान निसरना शुरू करता है और अधिक बीमारी का हमला होने का यह अनुकूल समय होता है, धान में इस समय बीमारियों और कीट का सर्वेक्षण करना बहुत ज़रूरी है और इसके लक्षण द्वारा बीमारी की पहचान और रोकथाम दोनों ही समय…

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कैसे की जा सकती है सोयाबीन की खेती

Posted on August 5, 2021 By Mukesh Kumar Pareek No Comments on कैसे की जा सकती है सोयाबीन की खेती

सोयाबीन को गोल्डन बीन भी कहा जाता है, जोकि फलीदार प्रजाति से संबंध रखती है। यह प्रोटीन के साथ साथ रेशे का भी अच्छा स्रोत है। किसानों को सोयाबीन की खेती की जानकारी होना बहुत अनवार्य है क्योंकि यह आमदन का बढ़िया स्रोत है। आएं जानें सोयाबीन की खेती कब की जाती है और कौन-सी…

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कैसे की जाती है पॉली हॉउस में टमाटर की खेती

Posted on July 8, 2021 By Mukesh Kumar Pareek No Comments on कैसे की जाती है पॉली हॉउस में टमाटर की खेती

उत्तरी राज्यों में, बसंत के समय टमाटर की पनीरी नवंबर के आखिर में बोयी जाती है और जनवरी के दूसरे पखवाड़े में खेत में लगाई जाती है। पतझड़ के समय पनीरी की बिजाई जुलाई-अगस्त में की जाती है और अगस्त-सितंबर में यह खेत में लगा दी जाती है। पहाड़ी इलाकों में इसकी बिजाई मार्च-अप्रैल में…

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Uncategorized

कैसे फायदेमंद है गाजर की खेती

Posted on June 9, 2021 By Mukesh Kumar Pareek No Comments on कैसे फायदेमंद है गाजर की खेती

गाजर का इस्तेमाल सलाद और सब्जियों दोनों में किया जाता है। यह एंटीऑक्सीडेंट और पोषक तत्वों से भरपूर होता है। लाल गाजर में लाइकोपीन होता है और काली गाजर में एंथोसायनिन होता है, जो शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट होते हैं और हृदय रोग, मोटापा, कैंसर आदि से बचाते हैं।काली गाजर में आयरन की मात्रा भी अधिक होती…

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माल्टे की बीमारियां और उनकी रोकथाम

Posted on April 7, 2021 By Mukesh Kumar Pareek No Comments on माल्टे की बीमारियां और उनकी रोकथाम

पंजाब में नींबू जाति के फल जिनमें किन्नू, माल्टा, ग्रेपफ्रूट और गलगल शामिल है, का मुख्य आर्थिक महत्त्व है। रकबे और पैदावार के हिसाब से किन्नू पहले नंबर पर और इसके बाद माल्टा,नींबू और गलगल आते हैं। राज्य के किन्नू के निम्न रकबे का आधे से अधिक रकबा होशियारपुर, फिरोजपुर,फाजिल्का और फरीदकोट ज़िले में है।…

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खेतीबाड़ी कानून 2020 – पहचान, लाभ और नुकसान

Posted on January 13, 2021 By Mukesh Kumar Pareek No Comments on खेतीबाड़ी कानून 2020 – पहचान, लाभ और नुकसान

संसद के बाद कृषि से संबंधित कानून पास करने के बाद पूरे भारत में हंगामा छाया हुआ है। कानूनों का विरोध करने के लिए लाखों की संख्या में किसान (30 से अधिक विभिन्न किसान यूनियन समूह) दिल्ली की अलग-अलग सीमा पर इकट्ठे हुए हैं। यदि सरकार उन तीन कानूनों को वापिस नहीं लेती जो किसानों…

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जई की खेती

Posted on November 1, 2018 By Mukesh Kumar Pareek No Comments on जई की खेती

रबी मौसम में उगाई जाने वाली फसलों में जई का एक महत्वपूर्ण स्थान है । मध्यप्रदेश में इसकी खेती अधिकतर सिंचित दशा में की जाती है, किंतु मध्य अक्टूबर तक भूमि पर्याप्त नमीं होने पर इसे असिंचित दशा में भी पैदा किया जा सकता है । ऐसे सभी जलवायु क्षेत्रों में जहां गेहूं और जौ की खेती होती हो वहां इसकी खेती की जा सकती है । यह पाले एवं अधिक ठंड को सहन कर सकती है ।

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रजनीगंधा की खेती (Tuberose cultivation)

Posted on October 30, 2018 By Mukesh Kumar Pareek No Comments on रजनीगंधा की खेती (Tuberose cultivation)

Floriculture (पुष्पकृषि), Tuberose (रजनीगंधा) रजनीगंधा कन्दीय पौधों में एक मुख्या आभूषक पौधा है| भारत में रजनीगंधा की खेती मुख्या रूप से पश्चिम बंगाल , तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक में की जाती है| उत्तर भारत में इसकी खेती उत्तर प्रदेश में , हरयाणा , पंजाब ,हिमाचल प्रदेश में सफलतापूर्वक की जा रही है| रजनीगंधा की किस्में 1.)…

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रजनीगंधा की खेती मध्यप्रदेश / Tuberose cultivation in M.P.

Posted on September 30, 2018 By Mukesh Kumar Pareek No Comments on रजनीगंधा की खेती मध्यप्रदेश / Tuberose cultivation in M.P.

एक बारह मासी पौधा है जिसका उपयोग इत्र के निर्माण में किया जाता है। इसका नाम लैटिन भाषा ट्वरोज से निकला है। इसका हिन्दी नाम “रजनीगंधा” है। रजनीगंधा का मतलब “सुगंधित रात” (रजनी = रात; गंधा= सुगंधित) होता है। इसे रात की राना भी कहते है। इसके फूलों का पौराणिक महत्व भी हैं।

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