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मई, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जैविक खेती के लिए खाद निर्माण (Fertilizer making for Organic Farming)

दोस्तों आपने पिछली पोस्ट में पढ़ा की जैविक खेती क्या होती है? आज में आपको बताऊंगा कि जैविक खेती में काम में आने वाली खाद कैसे बनाते हैं तो दोस्तों जानिए और जैविक खेती करिये। दोस्तों जैसा कि आपको पता ही है कि आज के समय में जैविक खेती एक बहुत ही आवश्यक चीज़ हो गईं है क्योकि खेतों में रसायन डालने से ये जैविक व्यवस्था नष्ट होने को है तथा भूमि और जल-प्रदूषण बढ़ रहा है। खेतों में हमें उपलब्ध जैविक साधनों की मदद से खाद, कीटनाशक दवाई, चूहा नियंत्रण हेतु दवा बगैरह बनाकर उनका उपयोग करना होगा। इन तरीकों के उपयोग से हमें पैदावार भी अधिक मिलेगी एवं अनाज, फल सब्जियां भी विषमुक्त एवं उत्तम होंगी। प्रकृति की सूक्ष्म जीवाणुओं एवं जीवों का तंत्र पुन: हमारी खेती में सहयोगी कार्य कर सकेगा। जैविक खाद बनाने की विधि:- अब हम खेती में इन सूक्ष्म जीवाणुओं का सहयोग लेकर खाद बनाने एवं तत्वों की पूर्ति हेतु मदद लेंगे। खेतों में रसायनों से ये सूक्ष्म जीव क्षतिग्रस्त हुये हैं, अत: प्रत्येक फसल में हमें इनके कल्चर का उपयोग करना पड़ेगा, जिससे फसलों को पोषण तत्व उपलब्ध हो सकें। दलहनी फसलों में प्रति एकड़ 4 से 5 पैकेट...

जैविक खेती क्या है? ( What is Organic Farming)

दोस्तों बहुत दिनों से कोशिश कर रहा था कि आपको जैविक खेती के बारे में कुछ बताऊँ लेकिन परिस्थितिवस कर नही पा रहा था। आज विकिपीडिया की मदद से आपको जैविक खेती के बारे में कोशिश करूंगा। अगर आपको अच्छी लगे तो कमेन्ट बॉक्स में जरुर लिखें। हमारे पौधे को फेसबुक पर लाइक करें जैविक खेती कृषि की वह विधि है जो संश्लेषित उर्वरकों एवं संश्लेषित कीटनाशकों के बिना प्रयोग या न्यूनतम प्रयोग पर आधारित है तथा जो भूमि की उर्वरा शक्ति को बचाये रखने के लिये फसल चक्र,हरी खाद,कम्पोस्ट आदि का प्रयोग करती है। सन् 1990 के बाद से विश्व में जैविक उत्पादों का बाजार काफ़ी बढ़ा है। परिचय   संपूर्ण विश्व में बढ़ती हुई जनसंख्या एक गंभीर समस्या है, बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ भोजन की आपूर्ति के लिए मानव द्वारा खाद्य उत्पादन की होड़ में अधिक से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए तरह-तरह की रासायनिक खादों, जहरीले कीटनाशकों का उपयोग, प्रकृति के जैविक और अजैविक पदार्थों के बीच आदान-प्रदान के चक्र को (इकालाजी सिस्टम) प्रभावित करता है, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति खराब हो जाती है, साथ ही वातावरण प्रदूषित होता है तथा मनुष्य...

विनियर ग्राफ्टिंग ( Grafting )

विनियर भेंट कलम विनियर भेंट कलम द्वारा प्रसारण की यह विधि व्यावसायिक स्तर पर प्रसारण के लिये उपयुक्त है। जिस तने पर कलम लगानी हो उसे एक सप्ताह पहले ही पत्ती रहित कर देते है। इससे सुप्त कलियॉ पत्तियो के आधार पर फूल जाती है। विनियर भेंट कलम के लिये मानक

मसरूम की खेती (Farming of masroom)

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दोस्तो बहुत दिनों से कोशिश कर रहा था कि आपको कोई नई जानकारी दूं लेकिन कुछ दिनों से मैं कुछ भी नहीं लिख नही पा रहा था| तो दोस्तों आज मै आपको एक ऐसी फसल के बारे में बताऊंगा जिसके बारे में हर कोई जानना चाहता है और इसकी खेती भी करना चाहता है। आपने हमारी पिछली पोस्ट में जैविक खाद बनाने के बारे में जाना आज मै आपको मसरूम के बारे में बताने वाला हूँ। परिचय :- दोस्तों कई हजारों वर्षों से विश्वभर में मशरूमों की उपयोगिता भोजन और औषध दोनों ही रूपों में रही है। ये पोषण का भरपूर स्रोत हैं और स्वास्थ्य खाद्यों का एक बड़ा हिस्सा बनाते हैं। मशरूमों में वसा की मात्रा बिल्कुल कम होती हैं, विशेषकर प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट की तुलना में, और इस वसायुक्त भाग में मुख्यतया लिनोलिक अम्ल जैसे असंतप्तिकृत वसायुक्त अम्ल होते हैं, ये स्वस्थ हृदय और हृदय संबंधी प्रक्रिया के लिए आदर्श भोजन हो सकता है। पहले, मशरूम का सेवन विश्व के विशिष्ट प्रदेशों और क्षेत्रों तक ही सीमित था पर वैश्वीकरण के कारण विभिन्न संस्कृतियों के बीच संप्रेषण और बढ़ते हुए उपभोक्तावाद ने सभी क्षेत्रों में मशरूमों की पहुंच को सुनिश्चित किया है।...

स्ट्राबेरी: एक अदभुत पादप (Strawberry: a magical plant)

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वैज्ञानिक वर्गीकरण जगत:- पादप विभाग:- मेंगोलिओफाईटा वर्ग:- मेंगोलिओप्सीडा गण:- रोजेल्स कुल:- रोजेसी प्रजाति:- फ़्रागार्या जाति:- अन्नानास्सा द्विपद नाम फ़्रागार्या अन्नानास्सा परिचय:- दुशैन स्ट्रॉबेरी फ़्रागार्या जाति का एक पादप होता है, जिसके फल के लिये इसकी विश्वव्यापी खेती की जाती है। इसके फल को भी इसी नाम से जाना जाता है। स्ट्रॉबेरी की विशेष गन्ध इसकी पहचान बन गयी है। ये चटक लाल रंग की होती है। इसे ताजा भी, फल के रूप में खाया जाता है, साथ ही इसे संरक्षित कर जैम, रस, पाइ, आइसक्रीम, मिल्क-शेक आदि के रूप में भी इसका सेवन किया जाता है। बगीचा स्ट्रॉबेरी, फ़्रागार्या × आनानास्सा, एक संकर प्रजाति है जिसकी अपने फल (सामान्य स्ट्रॉबेरी) के लिए दुनिया भर में खेती की जाती है। फल (जो वास्तव में एक बेर नहीं है, लेकिन एक समग्र गौण फल है) व्यापक रूप से अपनी विशिष्ट सुगंध, चमकीले लाल रंग, रसदार बनावट और मिठास के लिए मशहूर है। यह बड़ी मात्रा में सेवन किया जाता है, ताजा अथवा संरक्षित करके फलों के रस, आइसक्रीम और मिल्क शेक के रूप में तैयार खाद्य पदार्थों में इसका उपयोग बहुतायत में ...

कोको पीट : बिना मिट्टी के खेती करने का तरीका (Coco peat : A solution for without soil farming)

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दोस्तों पिछले कुछ दिनों से किसी काम में व्यस्त था इसलिए कोई नई पोस्ट नही कर पाया उसके लिए आप सभी दोस्तों से माफ़ी चाहता हूँ। दोस्तों आज एक एसी पोस्ट लाया हूँ जिसके बारे में स...

मृदा परिक्षण: मृदा की सुरक्षा (soil test)

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मिट्टी का नमूना कैसे लें? मिट्टी जाँच हेतु नमूना सही ढंग से लें क्योंकि थोड़ी से भी असावधानी से मिट्टी की सिफारिश का पूर्ण लाभ नहीं हो सकता ह। खेत से मिट्टी का नमूना लेने कि सही विधि यह है कि जिस खेत से आपको नमूना लेना हो उसे भली-भांति देख लें कि खेत कि मिट्टी में रंग, भारीपन, पौधे की लम्बाई उपज या और कुछ कारण से भिन्नता तो नही। यदि भिन्नता हो तो हर क्षेत्र से ५-६ भिन्न स्थान से १५-२० सेंटीमीटर या एक बिस्ता गहराई तक मिट्टी का नमूना लें। मिट्टी का नमूना लेने के लिए खुरपी या कुदाली से V आकार का एक बिस्ता गहरा गड्डा खोदें। गड्डे के अंदर की सब मिट्टी निकाल दें तथा खुरपी से दो अंगुल मोटा परत ऊपर से नीचे तक खुरच लें और एक साफ कागज में जमा कर लें, इस प्रकार कई स्थानों से जमा की गई मिट्टी को अच्छी प्रकार मिलाकर छाया में सुखा लें और आधा किलो मिट्टी का नमूना थैली में भर दें। हमारे पौधे फेसबुक पर फलों के पेड़ (बगीचे) लगाने के लिए – > दो हेक्टेयर के बीच एक मीटर गड्डा खोदें, जिसका एक दीवार सीधा हो। >अब सीधी दीवार पर 15, 30, 40, और 100 सें.मी. पर निशान लगायें। >अब एक बाल्टी को 1...

पौधे कैसे लगायें (How do plantation)

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पौधा लगाने की विधि: [1] पौधा गड्ढे में उतनी गहराई में लगाना चाहिए जितनी गहराई तक वह नर्सरी या गमले में या पोलीथीन की थैली में था। अधिक गहराई में लगाने से तने को हानि पहुँचती है और कम गहराई में लगाने से जड़े मिट्टी के बाहर जाती है, जिससे उनको क्षति पहुँचती है। [2] पौधा लगाने के पूर्व उसकी अधिकांश पत्तियों को तोड़ देना चाहिए लेकिन ऊपरी भाग की चार-पांच पत्तियाँ लगी रहने देना चाहिए। पौधों में अधिक पत्तियाँ रहने से वाष्पोत्सर्जन (Transpiration) अधिक होता है अर्थात् पानी अधिक उड़ता है। पौधा उतने परिमाण में भूमि से पानी नहीं खींच पाता क्योंकि जड़े क्रियाशील नहीं हो पाती है। अतः पौधे के अन्दर जल की कमी हो जाती है और पौधा मर भी सकता है। हमारे पौधे को फेसबुक पर भी लाइक करें [3] पौधे का कलम किया हुआ स्थान अर्थात् मूलवृन्त और सांकुर डाली या मिलन बिन्दु (Graft Union) भूमि से ऊपर रहना चाहिए। इसके मिट्टी में दब जाने से वह स्थान सड़ने लग जाता है और पौधा मर सकता है। [4] जोड़ की दिशा दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर रहना चाहिए। ऐसा करने से तेज हवा से जोड़ टूटता नहीं है। [5] पौधा लगाने के पश्चात् उ...