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अप्रैल, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

शीशम के औषधीय गुण medicinal benefits of shisham

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1. शीशम के फायदे शीशम को आयुर्वेद में जड़ी-बूटी के रूप में प्रयोग किया जाता है। शीशम के पत्तों से निकलने वाले चिपचिपे पदार्थ को कई रोगों के उपचार में इस्तेमाल किया जाता है। इ...

शीशम के चमत्कार Dalbergia sissoo

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परिचय - शीशम (Shisham, Dalbergia Sissoo , The Blackwood, Rosewood) बहुपयोगी वृक्ष है। इसकी लकड़ी, पत्तियाँ,जड़ें सभी काम में आती हैं। इस की लकड़ी फर्नीचर एवं इमारती लकड़ी के लिये बहुत उपयुक्त होती है। पत्तियाँ पशुओ...

दूब घास एक चमत्कारिक औषधी

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दूब या 'दुर्वा' (वैज्ञानिक नाम- 'साइनोडान डेक्टीलान" ) वर्ष भर पाई जाने वाली घास है, जो ज़मीन पर पसरते हुए या फैलते हुए बढती है। हिन्दू धर्म में इस घास को बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्...

30 बीघा में खेती कर बेचीं तुलसी माला, मिला अच्छा मुनाफा

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भरतपुर घर के आंगन में धार्मिक महत्व के लिए लगाई जाने वाली तुलसी की अब व्यवसाय के तौर पर भी खेती की जाने लगी है। डीग के खेरिया पुरोहित के किसानों ने यह प्रयोग किया है। यहाँ करीब 30 बीघा क्षेत्र में तुलसी की खेती हो रही है। इसके पत्तो से आयुर्वेदिक दवा बनती है और लकड़ी माला बनाने के काम आती है। इसलिए तुलसी की माला बनाने का काम कुटीर उद्योग का रूप लेने है। तुलसी की खेती और माला बनाने का काम डीग, नदबई, कामां के अलावा गाँव बहताना, बहरावली, इकलेरा, शाहपुरा, कुचावटी, बहज, बैलारा, चैनपुरा, नदबई, नगला हरचंद में हो रहा है। करीब 30 बीघा में खेती हो रही है। इन गांवों में करीब तीन हजार महिलाएं माला बनाने का काम करती है। मालाएँ मथुरा, वृन्दावन, गोवर्धन, बरसाना, नन्दगाँव, गोकुल, अयोध्या, बनारस , इलाहबाद, हरिद्वार, जयपुर, आगरा, नाथद्वारा, कांकरोली, पुष्कर, अहमदाबाद, सोमनाथ, मुम्बई, जगन्नाथपुरी धाम में बिकती है। लूपिन संस्था ने महिलाओं को बेटरी चालित मशीन दी है। इससे विभिन्न आकर के दाने तैयार कर माला बनाई जाती है। लूपिन निदेशक सीताराम गुप्ता ने बताया है किइन मशीनों को IIT दिल्ली के छात्रों ने...

कुछ महत्वपूर्ण फसलों के अंग्रेजी, वानस्पतिक एवं हिंदी नामों की सूची Glossary of English, Botanical and Hindi Names of Important Crops

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दोस्तों कई दिनों से मै वानस्पतिक नाम लिखने की कोशिश कर रहा था लेकिन लिख नही पा रहा था अंततः आज मै आप तक फसलों के वानस्पतिक नाम पहुंचा ही रहा हूँ। इसमें कोई त्रुटि रह गई हो तो जरुर बताना मै सुधार करने की कोशिश करूंगा। English - Botanical - Hindi (Roman) - हिन्दी Bara (Bulrush or spiked millet) - Pennisetum typhoides - Bajra - बाजरा Barley - Hordeum vulgare - Jau - जौ Barnyard millet - Echinochloa frumentacea - Kutki - कुतकी Cholam (Great Millet) - Sorghum bicolor - Jowar - ज्वार Common Millet - Panicum milliaceum - Cheena - चीना Little Millet - Panicum milliare - Sawan - सावन Italian foxtail Millet - Setaria italica - Kangani - कांगनी Kodo Millet - Paspalum scrobiculatum - Kodon - कोदन Maize or Indian corn - Zea mays - Makka - मक्का Oat - Avena sativa - Jaie - जेई Ragi - Eleusine coracana - Mandua - मंडवा Paddy (Rice) - Oryza sativa - Dhan (Chawal) - धान (चावल) Wheat - Triticum aestivum - Gehun - गेंहूँ Black gram - Vigna mungo - Urad - उड़द...

एक चमत्कारी पादप : नीम

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नीम भारतीय मूल का एक सदाबहार वृक्ष है। यह सदियों से समीपवर्ती देशों- पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, म्यानमार (बर्मा), थाईलैंड, इंडोनेशिया, श्रीलंका आदि देशों में पाया जाता रहा है। यह भी पढ़ें नीम के फायदे : • नीम के पेड़ पूरे दक्षिण एशिया में फैले हैं और हमारे जीवन से जुड़े हुए हैं। नीम एक बहुत ही अच्छी वनस्पति है जो कि भारतीय पर्यावरण के अनुकूल है और भारत में बहुतायत में पाया जाता है। भारत में इसके औषधीय गुणों की जानकारी हज़ारों सालों से रही है। • भारत में एक कहावत प्रचलित है कि जिस धरती पर नीम के पेड़ होते हैं, वहाँ मृत्यु और बीमारी कैसे हो सकती है। लेकिन, अब अन्य देश भी इसके गुणों के प्रति जागरूक हो रहे हैं। नीम हमारे लिए अति विशिष्ट व पूजनीय वृक्ष है। नीम को संस्कृत में निम्ब, वनस्पति विज्ञान में ‘आज़डिरेक्टा- इण्डिका (Azadirecta-indica) अथवा Melia azadirachta कहते है। नीम के गुण : यह वृक्ष अपने औषधि गुण के कारण पारंपरिक इलाज में बहुपयोगी सिद्ध होता आ रहा है। नीम स्वाभाव से कड़वा जरुर होता है, परन्तु इसके औषधीय गुण बड़े ही मीठे होते है। तभी तो नीम के बारे में कहा जाता है क...

गाँव का दवाखाना : नीम

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नीम में इतने गुण हैं कि ये कई तरह के रोगों के इलाज में काम आता है। यहाँ तक कि इसको भारत में ‘गांव का दवाखाना’ कहा जाता है। यह अपने औषधीय गुणों की वजह से आयुर्वेदिक मेडिसिन में पिछले चार हजार सालों से भी ज्यादा समय से इस्तेमाल हो रहा है। नीम को संस्कृत में ‘अरिष्ट’ भी कहा जाता है, जिसका मतलब होता है, ‘श्रेष्ठ, पूर्ण और कभी खराबन होने वाला।’ नीम के अर्क में मधुमेह यानी डायबिटिज, बैक्टिरिया और वायरस से लड़ने के गुण पाए जाते हैं। नीम के तने, जड़, छाल और कच्चे फलों में शक्ति-वर्धक और मियादी रोगों से लड़ने का गुण भी पाया जाता है। इसकी छाल खासतौर पर मलेरिया और त्वचा संबंधी रोगों में बहुत उपयोगी होती है। नीम के पत्ते भारत से बाहर 34 देशों को निर्यात किए जाते हैं। इसके पत्तों में मौजूद बैक्टीरिया से लड़ने वाले गुण मुंहासे, छाले, खाज-खुजली, एक्जिमा वगैरह को दूर करने में मदद करते हैं। इसका अर्क मधुमेह, कैंसर, हृदयरोग, हर्पीस, एलर्जी, अल्सर, हिपेटाइटिस (पीलिया) वगैरह के इलाज में भी मदद करता है। नीम के बारे में उपलब्ध प्राचीन ग्रंथों में इसके फल, बीज, तेल, पत्तों, जड़ और छिलके में बीमारियों से ल...

लकड़ी का महत्व

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मित्रों हमारे जिंदगी मे लकड़ी का बहूत महत्व है, इसलिए आपके लिए एक बहुत ही पुराना और उम्दा भजन लेकर आया हूँ। आपको जरुर पसंद आएगा!!" जीते लकड़ी मरते लकड़ी, तू देख तमाशा लकड़ी का हमें फेसबुक पर भी पसंद करें जीते लकड़ी मरते लकड़ी, तू देख तमाशा लकड़ी का जब मात गर्भ से जन्म लिया तो पलंग बिछाया लकड़ी का जब बड़े भये खेलन चले तो गिल्ली-डंडा लकड़ी का जीते लकड़ी मरते लकड़ी, तू देख तमाशा लकड़ी का जब गुरु गृह में पढने चले तो कलम बने लकड़ी की जब व्याह करन ससुराल चले तो मौहर बंधा लकड़ी का जीते लकड़ी मरते लकड़ी, तू देख तमाशा लकड़ी का जब गृह पत्नी घर में आई तो काम पड़ा हैं लकड़ी का जब घूमन को मुंबई चले तो रेल का डिब्बा लकड़ी का जीते लकड़ी मरते लकड़ी, तू देख तमाशा लकड़ी का जब बूढ़े हुए जो उठ न सके तो लिया सहारा लकड़ी का जब चार जने लेकर चले तो अर्थी बनाई लकड़ी की मुझे फेसबुक पर जोड़ें जीते लकड़ी मरते लकड़ी, तू देख तमाशा लकड़ी का जब मर करके मरघट पहुचे तो चिता बनाई लकड़ी की नाती बेटों ने दाग दिया तो दीया सलाई लकड़ी की जीते लकड़ी मरते लकड़ी, तू देख तमाशा लकड़ी का !!

मदार (कैलोट्रोपिस जाइगैन्टिया)

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वैज्ञानिक वर्गीकरण जगत: Plantae विभाग: Magnoliophyta वर्ग: Magnoliopsida गण: Gentianales कुल: Apocynaceae उपकुल: Asclepiadoideae प्रजाति: Calotropis जाति: C. gigantea द्विपद नाम _Calotropis gigantea_(L.) मुझे फेसबुक पर देखें मदार (वानस्पतिक नाम:Calotropis gigantea) एक औषधीय पादप है। इसको मंदार',आक, 'अर्क' और अकौआ भी कहते हैं। इसका वृक्ष छोटा और छत्तादार होता है। पत्ते बरगद के पत्तों समान मोटे होते हैं। हरे सफेदी लिये पत्ते पकने पर पीले रंग के हो जाते हैं। इसका फूल सफेद छोटा छत्तादार होता है। फूल पर रंगीन चित्तियाँ होती हैं। फल आम के तुल्य होते हैं जिनमें रूई होती है। आक की शाखाओं में दूध निकलता है। वह दूध विष का काम देता है। आक गर्मी के दिनों में रेतिली भूमि पर होता है। चौमासे में पानी बरसने पर सूख जाता है।आक के पौधे शुष्क, उसर और ऊँची भूमि में प्रायः सर्वत्र देखने को मिलते हैं। इस वनस्पति के विषय में साधारण समाज में यह भ्रान्ति फैली हुई है कि आक का पौधा विषैला होता है, यह मनुष्य को मार डालता है। इसमें किंचित सत्य जरूर है क्योंकि आयुर्वेद संहिता...